USA News: अब अमेरिका के कैलिफ़ोर्निया राज्य में जाति भेदभाव खत्म करने का विधेयक आया

USA News: अब कैलिफोर्निया ऐसा ही करने वाला अमेरिका का पहला राज्य बनने वाला है। कैलिफोर्निया के रहने वाले दक्षिण एशियाई मूल के लोगों का कहना है कि आवास, शिक्षा और तकनीकी क्षेत्र में भेदभाव से बचाने के लिए कैलिफोर्निया जाति-आधारित भेदभाव को खत्म करने वाला देश का पहला राज्य बन सकता है।

Neelmani Lal
Published on: 23 March 2023 3:15 PM GMT (Updated on: 23 March 2023 3:15 PM GMT)
USA News: अब अमेरिका के कैलिफ़ोर्निया राज्य में जाति भेदभाव खत्म करने का विधेयक आया
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USA News: पहले सिएटल शहर और अब कैलिफोर्निया राज्य। सिएटल शहर अमेरिका का पहला शहर बना जिसने जातिगत भेदबाव को खत्म करने के लिए कानून बनाया है। अब कैलिफोर्निया ऐसा ही करने वाला अमेरिका का पहला राज्य बनने वाला है। कैलिफोर्निया के रहने वाले दक्षिण एशियाई मूल के लोगों का कहना है कि आवास, शिक्षा और तकनीकी क्षेत्र में भेदभाव से बचाने के लिए कैलिफोर्निया जाति-आधारित भेदभाव को खत्म करने वाला देश का पहला राज्य बन सकता है।

आइशा वहाब ने पेश किया बिल
कैलिफोर्निया राज्य की सीनेटर आइशा वहाब, राज्य विधायिका के लिए चुनी गई पहली मुस्लिम और अफगान मूल की अमेरिकी नागरिक हैं। उन्होंने ये बिल 22 मार्च को पेश किया। यह बिल जाति को जन्म या वंश से संबंधित विभाजन की तरह राज्य के भेदभाव-विरोधी कानूनों में संरक्षित श्रेणी के रूप में जोड़ता है।

दलितों की मांग
दरअसल, अमेरिका में रह रहे दलित लोग इस तरह के कानून की लगातार मांग कर रहे हैं। इस वर्ग का कहना है कि उन्होंने अमेरिका में इस तरह के भेदभाव का सामना किया है। वहाब ने कहा है कि जातिगत भेदभाव सामाजिक न्याय और नागरिक अधिकारों का मुद्दा है। लोग इस देश में इसलिए आए ताकि वे स्वतंत्र हो सकें और अपने जीवन में बिना किसी व्यवधान के अपने अमेरिकी सपने को पूरा कर सकें। वहाब ने कहा कि वह इसके प्रति बहुत सम्वेधानशील हैं कि अल्पसंख्यक धर्मों और समूहों को कैसे चित्रित किया जाता है। उन्होंने कहा – जाति, धर्म और राष्ट्रीयता से परे है। यह कानून मुख्य रूप से उन लाखों लोगों की रक्षा करता है जो मौन रहते हैं और जिन्हें इस तरह की सुरक्षा कभी नहीं मिली है क्योंकि इस मुद्दे की बहुत कम समझ है। यह बिल कमजोर लोगों की सुरक्षा के बारे में है।

विरोध भी है
लेकिन हिंदू अमेरिकन फाउंडेशन और नार्थ अमेरिका हिन्दू कोआर्डिनेशन जैसे संगठन ऐसी नीतियों का विरोध करते हैं। उनका तर्क है कि इन उपायों से उस समुदाय को नुकसान होगा जो पहले से ही नफरत और भेदभाव का सामना कर रहा है। ये विशेष रूप से उन हिंदुओं और भारतीय अमेरिकियों को टारगेट करेगा जो आमतौर पर जाति व्यवस्था से जुड़े हैं। लेकिन ऐसे कानून को हिंदू फॉर ह्यूमन राइट्स और हिंदू फॉर कास्ट इक्विटी जैसे संगठनों द्वारा समर्थन दिया जा रहा है।

संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट
2016 में संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि दुनिया भर में कम से कम 25 करोड़ लोग अभी भी एशिया, अफ्रीका, मध्य पूर्व और प्रशांत क्षेत्रों के साथ-साथ विभिन्न प्रवासी समुदायों में जातिगत भेदभाव का सामना करते हैं। फरवरी में सिएटल अपने भेदभाव-विरोधी कानूनों में जाति को जोड़ने वाला पहला अमेरिकी शहर और दक्षिण एशिया के बाहर पहला क्षेत्र बन गया। कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, डेविस सहित कई कॉलेजों और विश्वविद्यालयों ने परिसरों में जातिगत भेदभाव को रोकते हुए समान नीतियां लागू की हैं।

सर्वेक्षण में पाया गया
कार्नेगी एंडोमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस द्वारा भारतीय अमेरिकियों के 2020 के सर्वेक्षण में पाया गया था कि सर्वेक्षण के 5 फीसदी उत्तरदाताओं ने जातिगत भेदभाव की बात कही थी। जबकि 53 फीसदी विदेश में जन्मे हिंदू भारतीय अमेरिकियों ने कहा कि वे एक जाति समूह से संबद्ध हैं, केवल 34 फीसदी अमेरिकी हिंदू भारतीय अमेरिकियों ने कहा कि वे भी ऐसा ही करते हैं। हालांकि, अमेरिका में 1,500 दक्षिण एशियाई लोगों के 2016 के ‘इक्विटी लैब्स’ संगठन के सर्वेक्षण में कहा गया था कि सर्वे के उत्तरदाताओं में से 67 फीसदी दलितों ने जवाब दिया था कि उनकी जाति के कारण उनके साथ गलत व्यवहार किया जा रहा है।

थेनमोज़ी साउंडराजन
कैलिफ़ोर्निया स्थित इक्विटी लैब्स, दलितों के मुद्दे उठाने वाला संगठन है और यह ओकलैंड में स्थित है। इसके संस्थापक और कार्यकारी निदेशक थेनमोज़ी साउंडराजन ने कहा है कि - कैलिफ़ोर्निया जाति समानता आंदोलन के लिए शून्य रहा है। यह कानून मौजूदा सुरक्षा को स्पष्ट करने के बारे में है। सिलिकॉन वैली इंस्टीट्यूट फॉर रीजनल स्टडीज की 2021 की रिपोर्ट के अनुसार, दक्षिण एशियाई लोग सिलिकॉन वैली की सबसे बड़ी तकनीकी कंपनियों में 37.8 तकनीकी भूमिकाएँ और 25.3 फीसदी लीडरशिप भूमिकाओं में हैं।
जातिगत भेदभाव का सामना
2020 में कैलिफोर्निया के नियामकों ने सिस्को सिस्टम्स पर यह कहते हुए मुकदमा दायर किया कि एक दलित भारतीय इंजीनियर को कंपनी के सिलिकॉन वैली मुख्यालय में जातिगत भेदभाव का सामना करना पड़ा। साउथ एशियन नेटवर्क इन आर्टेसिया, कैलिफोर्निया के कार्यकारी निदेशक शकील सैयद ने कहा है कि वे श्रमिकों के बीच जातिगत भेदभाव देखते हैं और उन्होंने उन मामलों में मदद की है जहां जाति ने मजदूरी और आवास में असमानता की भूमिका निभाई थी। उन्होंने कहा - जब मेहनती लोगों को केवल उनकी जाति के कारण सम्मान या महत्व नहीं दिया जाता है, तो यह सरासर गलत है।

Neelmani Lal

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