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'यूपीसैक्स' अब ऐसे करेगी HIV मरीजों की पहचान, फिर होगा राज्य से एड्स का सफाया

अब एड्स के मरीजों को पहचान करने के लिए सरकार उनके अस्पताल आने का इंतजार नहीं करेगी। डॉक्टर व स्वास्थ्य कर्मी खुद घर-घर जाकर जांच करेंगे, जिन्हें एड्स होने की संभावना है। इसके लिए यूपी स्टेट एड्स कंट्रोल सोसायटी (यूपीसैक्स) की ओर से योजना तैयार की गई है जिसे लखनऊ समेत कई जिलों में शुरू कर दिया गया है।

suman
Published on: 18 Jan 2020 4:54 AM GMT
यूपीसैक्स अब ऐसे करेगी HIV मरीजों की पहचान, फिर होगा राज्य से एड्स का सफाया
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लखनऊ : अब एड्स के मरीजों को पहचान करने के लिए सरकार उनके अस्पताल आने का इंतजार नहीं करेगी। डॉक्टर व स्वास्थ्य कर्मी खुद घर-घर जाकर जांच करेंगे, जिन्हें एड्स होने की संभावना है। इसके लिए यूपी स्टेट एड्स कंट्रोल सोसायटी (यूपीसैक्स) की ओर से योजना तैयार की गई है जिसे लखनऊ समेत कई जिलों में शुरू कर दिया गया है।

यूपीसैक की संयुक्त निदेशक आईसीटीसी डॉ. प्रीति पाठक ने बताया कि सर्वे के मुताबिक यूपी में संभावित 1.32 लाख एचआईवी पॉजिटिव हैं, लेकिन इनमें रजिस्टर्ड सिर्फ 80 हजार ही है। कई ऐसे मरीज होते हैं जिन्हें खुद भी नहीं पता होता कि वह एचआईवी पॉजिटिव हैं। ऐसे में यह बीमारी निरंतर संक्रमित होकर दूसरों में फैल रही है। इसी को रोकने के लिए यह योजना तैयार की गई है। अभियान के तहत संभावित लोगों के घरों में जाकर उनकी जांच की जाए और उन्हें बताया जाए कि वह एचआईवी पॉजिटिव हैं कि नहीं। ताकि इस बीमारी को फैलने से रोका जा सके।

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डॉ. प्रीति ने बताया कि शुरुआत में पांच टार्गेट ग्रुप चिह्नित किए गए हैं। जिसमें एड्स की सबसे ज्यादा संभावनाएं होती है। इसमें सेक्स वर्कर, मेल सेक्स टु मेल कम्युनिटी, ट्रांसजेंडर, इंजेक्शन से ड्रग्स लेने वाले और माइग्रैंट्स कम्युनिटी शामिल है। इनमें एड्स होने की सर्वाधिक संभावना होती, क्योंकि ये असुरक्षित यौन संबंध बनाने व ड्रग एडिक्ट एक ही इंजेक्शन से कई लोग ड्रग्स लेते हैं। इनके पास और इनकी मुफ्त जांच कर एड्स का पता लगाया जाएगा।

इसके बाद दूसरे ग्रुप में इस जांच के लिए एक विशेष किट तैयार की गई है जिससे जांच का प्रशिक्षण आशा और एएनएम को दी जा रही है। यह जांच दो हिस्सों में होती है। पहली, उनके घर जाकर इस किट से स्क्रीनिंग करते हैं। इसमें भी ब्लड लेकर जांच करते हैं। इसमें जो भी पॉजिटिव आते हैं उन्हें हम एआरटी केंद्र पर आने को कहते हैं। इसके बाद वहां उनके तीन रैपिड टेस्ट किए जाते हैं जो ब्लड टेस्ट ही होते हैं। उसमें भी जो पॉजिटिव आते हैं उन्हें एचआईवी पॉजिटिव मानते हैं। कई बार स्क्रीनिंग में लोग पॉजिटिव आते हैं लेकिन रैपिड टेस्ट में रिजल्ट निगेटिव होता है तो वो एचआईवी पॉजिटिव नहीं होते हैं।

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