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अधिकारी कानून के उद्देश्य को अर्थहीन करने में लगे हैंः हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि सूचना अधिकार कानून नागरिकों को मांगी गई सूचना यथाशीघ्र दिए जाने का उपबंध करता है। इसका उद्देश्य लोगों को मांगी गई जानकारी समय के भीतर उपलब्ध कराना है।

Vidushi Mishra
Published on: 8 Nov 2019 5:08 PM GMT
अधिकारी कानून के उद्देश्य को अर्थहीन करने में लगे हैंः हाईकोर्ट
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सूचना अधिकार के तहत जानकारी न देकर अधिकारी कानून के उद्देश्य को अर्थहीन करने में लगे हैंःहाईकोर्ट

प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि सूचना अधिकार कानून नागरिकों को मांगी गई सूचना यथाशीघ्र दिए जाने का उपबंध करता है। इसका उद्देश्य लोगों को मांगी गई जानकारी समय के भीतर उपलब्ध कराना है।

अपीले महीनों तक लटकाए

कानून के तहत सूचनाएं देने की हर स्तर पर समयावधि तय की गयी है। किन्तु जिन अधिकारियों पर इसकी जिम्मेदारी भी सौंपी गई है, वह जानबूझकर अर्जियां या अपीले महीनों तक लटकाए रखते है। वह कानून के उद्देश्य को ही अर्थहीन करने पर तुले हुए हैं।

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कोर्ट ने कहा कि निचले स्तर से लेकर उच्च स्तर तक के अधिकारियों के इस रवैये की सराहना नहीं की जा सकती। ऐसा लगता है कि अधिकारी अपने कर्तव्य का ठीक से निर्वहन नहीं कर रहे और कानून को पूरी तरह से अर्थहीन करने मे लगे हुए हैं।

सूचना आयुक्त के समक्ष अपील दाखिल

कोर्ट ने अपीलीय अधिकारी को याची की 7 जून 2019 से विचाराधीन जनसूचना कानून के तहत लंबित अपील एक माह में निर्णीत करने का निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल तथा न्यायमूर्ति राजीव मिश्रा की खंडपीठ ने इलाहाबाद के मुकुल अग्रवाल की याचिका पर दिया है।

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याची अधिवक्ता का कहना है कि याची ने सूचना अधिकार कानून के तहत सूचनाएं मांगी। सूचना न मिलने पर सूचना आयुक्त के समक्ष अपील दाखिल की। जो जून 2019 से विचाराधीन है। याची को मांगी गई सूचनाएं नहीं दी जा रही है। जिसको लेकर यह याचिका दाखिल की गई थी।

Vidushi Mishra

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