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जौनपुर में राष्ट्रीय सेमिनार: संविधान दिवस पर हुई चर्चा, दिग्गजों ने दिये संदेश

पूर्वांचल विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर निर्मला एस मौर्य ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि गांधी के राम राज्य में ही गणतंत्र की आत्मा बसती है। समाज जब धनिक और शोषित में वर्गीय हो जाता है तो वहीं से लोक साहित्य जन्म लेता है।

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Published on: 26 Nov 2020 1:26 PM GMT
जौनपुर में राष्ट्रीय सेमिनार: संविधान दिवस पर हुई चर्चा, दिग्गजों ने दिये संदेश
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जौनपुर में राष्ट्रीय सेमिनार: संविधान दिवस पर हुई चर्चा, दिग्गजों ने दिये संदेश

जौनपुर: जनता की सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक गतिविधियों में सक्रियता, उसकी भागीदारी तथा अधिकारों एवं कर्तव्यों के प्रति जागरूकता ही स्वस्थ एवं मजबूत गणतंत्र का मंत्र है। हमारे संविधान ने सामाजिक, आर्थिक राजनीतिक न्याय की स्थापना और समाज के अंतिम व्यक्ति को भी गरिमा पूर्ण जीवन जीने के लिए पर्याप्त उपबंध किए हैं। इसीलिए संविधान दिवस पर हम सबको अपने संविधान के प्रति सच्ची श्रद्धा और विश्वास जगाने और संविधान निर्माताओं के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करने का काम करना चाहिए।

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प्रोफेसर निर्मला एस मौर्य ने कही ये बात

उक्त बातें राज्यसभा सांसद सीमा द्विवेदी ने बतौर मुख्य अतिथि वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय द्वारा संविधान दिवस पर आयोजित एक दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार में कहीं। पूर्वांचल विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर निर्मला एस मौर्य ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि गांधी के राम राज्य में ही गणतंत्र की आत्मा बसती है। समाज जब धनिक और शोषित में वर्गीय हो जाता है तो वहीं से लोक साहित्य जन्म लेता है।

हमारे संविधान निर्माताओं ने एक ऐसा संविधान बनाकर हम सबको दिया है जिसे पूरी तरीके से यदि लागू कर दिया जाए तो निश्चित तौर से समाज के अंतिम व्यक्ति के चेहरे पर मुस्कान आ जाएगी। उन्होंने कहा कि संविधान की कठिन और दुरूह धाराओं को सरल बनाकर लोक चेतना पैदा करते हुए गणतंत्र को सशक्त बनाने का कार्य समय-समय पर लोक साहित्य करता रहा है।

आज भी अंतिम व्यक्ति तक न्याय नहीं पहुंच पा रहा...

वेबीनार के मुख्य वक्ता हाईकोर्ट इलाहाबाद के वरिष्ठ अधिवक्ता के.के. राव ने कहा कि हमारे संविधान निर्माताओं ने संविधान का निर्माण करते समय समाज के अंतिम व्यक्ति के जीवन में आने वाली कठिनाइयों व उनके संघर्ष के विषय वस्तु को केंद्र बिंदु में रखा। लेकिन यह दुखद है कि आज भी अंतिम व्यक्ति तक न्याय नहीं पहुंच पा रहा है। उन्होंने कहा कि फरवरी 2020 के आंकड़े बताते हैं कि न्यायालयों में तीन करोड़ पैंसठ लाख केस लंबित हैं और लोगों को न्याय का इंतजार है। संविधान की मूल भावना के अनुरूप अंतिम व्यक्ति तक न्याय पहुंचाने में न्यायिक सक्रियता और जनहित याचिकाओं का विशेष महत्व है जिसने जन चेतना का विकास करने के साथ-साथ गणतंत्र को भी मजबूत किया है।

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इसके पूर्व राष्ट्रीय ई- संगोष्ठी के संयोजक प्रोफेसर अजय द्विवेदी ने विश्वविद्यालय की उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए संगोष्ठी का विषय प्रवर्तन किया। सह संयोजक डॉ. जान्हवी श्रीवास्तव ने मुख्य अतिथि का स्वागत किया। असिस्टेंट प्रोफेसर आशीष जायसवाल ने आभार प्रदर्शन किया। तकनीकी सहयोग डॉ. नितेश जयसवाल एवं कार्यक्रम का संचालन दत्तोपंत ठेंगड़ी विधि संस्थान के असिस्टेंट प्रोफ़ेसर डॉ अनुराग मिश्र ने किया।

कपिल देव मौर्य जौनपुर

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