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अनुमति मिलने के बाद भी एक हजार औद्योगिक इकाईयां नहीं हो सकी शुरू
अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने और श्रमिकों को वापस रोजगार परक बनाने के लिए एमएसएमई औद्योगिक इकाईयों को शुरू किया जा रहा है। इसके आड़े स्थानीय प्रशासन के सख्त नियम आ रहे हैं।
नोएडा: अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने और श्रमिकों को वापस रोजगार परक बनाने के लिए एमएसएमई औद्योगिक इकाईयों को शुरू किया जा रहा है। इसके आड़े स्थानीय प्रशासन के सख्त नियम आ रहे हैं।
औद्योगिक इकाई संगठन की माने तो प्राधिकरण अब तक 1400 से ज्यादा इकाईयों को शुरू करने की अनुमति दे चुका है। दावा है कि इसमे 68 हजार श्रमिक वापस काम पर आएगा। यह दावे एमएसएमई इंडस्ट्रियल नोएडा ने गलत करार दिए है। उनका मानना है 14०० इकाईयों में 1000 औद्योगिक इकाईयां शुरू तक नहीं हो सकी है।
वहीं, जो इकाईयां शुरू हुई उनमे श्रमिक काम पर नहीं आ पा रहे हैं। ऐसा रहा तो लॉकडाउन खुलने तक औद्योगिक इकाईयां या तो बंद हो जाएंगी या फिर वह पलायन कर दूसरे राज्यों में शिफ्ट होने का मन बना चुकी होंगी।
शहर में संक्रमण की रफ्तार बढ़ रही है। यहा नए कंटेंनमेंट जोन बन रहे हैं। यह कंटेंनमेंट जोन ऐसे स्थान है जहा श्रमिक सर्वाधिक रहता है। नियमता इन जोन में सिर्फ जरूरी सामान की सप्लाई हो सकती है। यहा से न तो कोई बाहर जा सकता है और न ही अंदर। इन कंटेनमेंट जोन में 13 हजार 500 से ज्यादा औद्योगिक इकाईयां है।
यह सभी एमएसएमई सेक्टर की है। इसमे फेस-1 यानी सेाक्टर-1 से 11 में 6000 औद्योगिक इकाईयां है। इसके अलावा फेज-2 व 3 में 5500 औद्योगिक इकाईयां है। इनमे करीब 72 हजार से ज्यादा श्रमिक काम कर रहे है।
इन इकाईयों को अनुमति नहीं मिल रही ऐसे में सरकार को करोड़ों रुपए जीएसटी का नुकसान हो रहा है। इसके अलावा जिन औद्योगिक इकाईयों यानी 1400 से ज्यादा को अनुमति मिली है वह कंटेंमेंट जोन के बाहर है। दावा है कि इनमे 68 हजार से ज्यादा श्रमिक अपनी सेवाएं देंगे। लेकिन ऐसा हो नहीं पा रहा।
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कंटेंनमेंट जोन में रहते है हजारों की संख्या में श्रमिक
शहर में एमएसएमई सेक्टर की औद्योगिक इकाईयों में काम करने वाले हजारों श्रमिक सेक्टर-5, 8, 9, 12 के अलावा मामूरा, निठारी, छलेरा गाजियाबाद व नोएडा से सटी सीमावर्ती इलाकों खोड़ा, न्यू कोंडली, मयूर विहार फेज-3 , दल्लुपूरा, त्रिलोकपुरी, न्यू अशोक नगर में रहते है। यहा से इन मजदूरों व श्रमिकों का औद्योगिक इकाईयों तक जाने की अनुमति नहीं है। इस स्थिति में उद्योग चला पाना मुश्किल है।
दिल्ली नोएडा बार्डर सील कैसे औद्योगिक इकाई पहुंचे श्रमिक
कोविड-19 के संक्रमण के प्रसार को कम करने के लिए जिलाधिकारी ने नोएडा से सटी दिल्ली व गाजियाबाद यानी खोड़ा की सीमाओं को सील कर रखा है। दिल्ली से नोएडा आने के लिए पास चाहिए जिसकी श्रेणी में औद्योगिक इकाईयों में काम करने वाले मजदूरों को शामिल नहीं किया गया है।
वह दिल्ली से नोएडा नहीं आ सकते है। इन औद्योगिक इकाईयों के मालिक भी फरीदाबाद, दिल्ली, गुड़गांव, गाजियाबाद व एनसीआर के अन्य शहरों से आते है। वह भी शहर में नहीं आ सकते। इन सभी ने औद्योगिक इकाईयों के संचालन के लिए ऑनलाइन अनुमति प्राप्त की है।
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औद्योगिक इकाईयों में पहुंच रहे सात से 10 हजार मजदूर
संसाधनों की कमी के चलते जो इकाईयां खुली भी है उनमे श्रमिक काम पर नहीं आ रहे है। एमएसएमई इंडस्ट्रियल नोएडा के अध्यक्ष सुरेंद्र नहाटा ने बताया कि औद्योगिक इकाईया शुरू तो हो गई है। लेकिन उनमें काम करने के लिए महज 7 से 10 हजार मजदूर ही प्रतिदिन पहुंच रहे हैं। ऐसे में मशीनरी का पूर्ण उपयोग नहीं हो रहा। आलम यह है कि मशीनरी के मैनटेनेंस का भी खर्चा निकाल पाना मुश्किल है।
-केंद्र सरकार ने एमएसएमई सेक्टर के लिए बड़े राहत पैकेज की घोषणा की यह राहत की बात हंै। लेकिन उसका लाभ तब मिल सकेगा जब औद्योगिक इकाईयां सुचारू रूप से शुरू हो सके। यदि औद्योगिक इकाईयों को खोल भी दिया जाए तो स्थानीय प्रशासन के नियमों के चलते श्रमिक औद्योगिक इकाईयों तक नहीं पहुंच पाएगा।
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