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प्याज की तस्करी और लूट, करोबारियों ने हाथ खींचा

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Published on: 3 Jan 2020 1:34 PM IST
प्याज की तस्करी और लूट, करोबारियों ने हाथ खींचा
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पूर्णिमा श्रीवास्तव

गोरखपुर। गोरखपुर से नागरिकता संशोधन कानून, एनआरसी और 'भगवा' को लेकर छिड़े विवाद के बीच 'शतक' पार कर चुके प्याज को लेकर भले ही सड़कों पर खास संग्राम नहीं दिख रहा हो लेकिन किचेन से लेकर कारोबारियों में इसकी मंहगाई अहम मुद्दा है। महंगाई का साइड इफेक्ट यह है कि प्याज की लूट हो रही है। नेपाल बार्डर पर इसकी तस्करी की जा रही है। सोशल मीडिया पर प्याज को लेकर एक से बढ़कर एक कमेंट आ रहे हैं तो भोजपुरी गायकों के लिए यह पसंदीदा विषय बना हुआ है। कभी इसकी तुलना अनार से होती है, तो कभी महिलाओं के आभूषण से।

बेस्वाद इंपोर्टेड प्याज

प्याज की कीमतें पिछले एक महीने से 100 से 120 रुपये प्रति किलो के बीच 'नाट आउट' हैं। कारोबारियों के अनुसार, 20 जनवरी से पहले प्याज की कीमतों में खास राहत मिलने की उम्मीद नहीं है। तर्क है कि प्याज की महंगाई का कारण प्याज उत्पादक राज्यों महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश में बेमौसम बारिश है। जिससे उत्पादन में 25 फीसदी तक गिरावट आई है। इस कमी को पूरा करने के लिए सरकार ने तुर्की, मिस्र आदि देशों से प्याज का आयात किया है। लेकिन, अव्वल तो आयातित प्याज लोगों की पहुंच से दूर है, उल्टे इसका स्वाद भी किसी को नहीं भा रहा है। पिछले एक पखवाड़े में गोरखपुर की महेवा मंडी में 30 ट्रक तुर्की का प्याज कारोबारियों ने बेचा है। जैसे-जैसे इसके बेस्वाद होने की बात लोगों के बीच पहुंच रही है, यह बाजार से आउट होता जा रहा है। प्याज कारोबारी फिरोज राइनी बताते हैं कि 20 दिसम्बर को तुर्की का प्याज थोक मंडी में 100 रुपये किलो बिका था। देखने में बड़े आकार के सुंदर लग रहे प्याज को कारोबारियों ने उत्साह के साथ खरीदा। चंद दिनों बाद ही लोगों के फीडबैक के बाद प्याज की कीमतें धड़ाम हो गईं। कई होटल वालों ने तो खरीदा प्याज वापस कर दिया है। आलम यह है कि मंडी में कई कारोबारियों की लाखों की पूंजी फंस गई है। कारोबारी 50 से 60 रुपये की दर से प्याज बेचकर घाटा कम करने का जतन कर रहे हैं।

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करोबारियों ने हाथ खींचा

ऊंची कीमत के कारण चुनिंदा कारोबारी ही थोक प्याज का कारोबार कर रहे हैं। प्याज कारोबारी आफताब बताते हैं कि वे 40 वर्षों से प्याज के धंधे में हैं। प्याज कभी 100 रुपए किलो के पार नहीं पहुंचा था। पहले तो 80 रुपये का रेट पहुंचते ही स्थानीय प्रशासन सक्रिय हो जाता था। लेकिन इस बार ऐसा कुछ नहीं है। घाटे की संभावना में प्याज बेचना ही छोड़ दिया है। फिलहाल, कारोबार सिर्फ आलू पर शिफ्ट कर दिया है। फुटकर दुकानदार और ठेले वाले भी उतना ही प्याज खरीद रहे हैं जो एक दिन में बिक जाए। बिछिया मंडी में सब्जी विक्रेता गब्बर का कहना है कि 'ग्राहक इस उम्मीद में आधा-आधा किलो प्याज खरीद रहे हैं कि शायद एक-दो दिन में सस्ता हो जाए। महीने भर का समय गुजर गया, इंतजार खत्म नहीं हो रहा है। प्याज में मुनाफा भी नहीं रह गया है। थोक और फुटकर में बमुश्किल 5 रुपये प्रति किलो का अंतर है। बहरहाल, प्याज की कीमतों में जब थोड़ी नरमी आ रही है, तब गोरखपुर प्रशासन की नींद टूटी है। पहली जनवरी को प्रशासन ने सार्वजनिक वितरण प्रणाली की दुकानों से प्याज बिक्री का निर्णय लिया, हालांकि, अफसर अभी बिक्री की तारीख नहीं बता पा रहे हैं। प्रशासन का प्रति व्यक्ति 5 किलोग्राम प्याज 65 रुपये की दर पर उपलब्ध कराने का दावा है।

लूट लिया प्याज, पुलिस ने नहीं दर्ज किया मुकदमा

बीते दिनों गोरखपुर में हुई प्याज लूट की घटना ने पूरे देश में सुर्खियां बंटोरी थीं। दिन दहाड़े 6 हजार कीमत के प्याज की लूट की घटना सीसीटीवी में कैद हुई लेकिन किरकिरी से बचने के लिए पुलिस ने लूट की घटना का मुकदमा ही दर्ज नहीं किया। उल्टे रिक्शा चालक और प्याज कारोबारी को अन्य मामलों में फंसाने की धमकी देकर तहरीर वापस लेने का दबाव डाला जाता रहा। रिक्शा चालक बताता है कि पूछताछ के नाम पर 16-16 घंटे थाने में बिठाये रखा गया। तीन दिन की मजदूरी भी मारी गई। वहीं प्याज कारोबारी फिरोज का कहना है कि करीब 6 हजार के प्याज के लिए कितनी बार पुलिस का दौड़ लगाएं? मामले में पैरवी करना ही छोड़ दिया। पुलिस के बयान पर मीडिया वाले मुझे ही सपा का कार्यकर्ता बताकर नापने की कोशिश करने लगे। पैरवी से पीछे हटने के सिवा विकल्प ही नहीं बचा।

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नेपाल को हो रही तस्करी

देश में प्याज की बढ़ती कीमतों के बीच भारत सरकार ने नेपाल को प्याज निर्यात पर रोक लगा दी है। आमतौर पर नेपाल को करीब 50 ट्रक प्याज रोजाना जाता है। प्रतिबंध के बाद तस्करों की चांदी हो गई है। नासिक, शाहजहांपुर, इंदौर, कानपुर से आने वाला प्याज लदा ट्रक कई दिनों तक बार्डर पर खड़ा रहा। हल्ला कम होते ही बोरी-बोरी कर तस्करों ने इस प्याज को नेपाल सीमा में भेज दिया। सोनौली कस्टम अधीक्षक ए.के. द्विवेदी ने बताया कि उच्चाधिकारियों का पत्र मिलने के बाद नेपाल जाने वाले प्याज के वाहनों को रोक दिया गया है। यह रोक अग्रिम सूचना तक जारी रहेगी।

रोजाना छह करोड़ का कारोबार

प्याज के एक कारोबारी वकील बताते हैं कि प्रतिबंध लगने से करीब छह करोड़ रुपए रोजाना का कारोबार प्रभावित हुआ है। नेपाल में प्याज की कीमतें 150 से 200 रुपये किलो तक पहुंच गई हैं। अब वहां प्याज तस्करी कर मोटी कमाई की जा रही है। अफसरों और तस्करों की मिलीभगत से नेपाल को कई ट्रक प्याज आलू बता कर भेज दिए गए। मामला खुला तो डायरेक्ट्रेट ऑफ रेवन्यू इंटेलीजेंस (डीआरआई) ने शिकंजा कसा है। नासिक और कानपुर के कुछ प्याज कारोबारियों को चिन्हित कर जांच की जा रही है। 3600 कुंतल प्याज की तस्करी को लेकर डीआरआई ने नौतनवां के प्याज कारोबारी सन्नी मद्धेशिया को गिरफ्तार किया है। इसके पहले भी ठूठीबारी-महेशपुर बॉर्डर से भी तीन ट्रक प्याज अवैध रूप से नेपाल निर्यात करने का मामला प्रकाश में आया था। कस्टम उपायुक्त शशांक यादव का दावा है कि प्याज के कई बड़े कारोबारियों की संलिप्तता उजागर हुई है। अब एक-एक कारोबारी के प्याज के स्टॉक की जांच कराई जा रही है।

होटल और पार्टियों में किचकिच

महंगाई का असर ये है कि छोटे होटलों और रेस्टोरेंट में सलाद के प्लेट से प्याज गायब हो चुका है। वहीं नामी-गिरामी होटलों में प्याज वाले सलाद की प्लेट डेढ़ गुने से अधिक महंगी हो गई है। गोरखपुर में गोलघर के एक नामी होटल में एक प्लेट सलाद पहले 130 रुपये की थी जो अब 200 रुपये की हो गई है। होटल कारोबार से जुड़े राजेश जायसवाल का कहना है कि कारीगरों को नॉन वेज डिश में प्याज की मात्रा में कटौती करने को कहा गया है। बिरयानी सेंटर चलाने वाले चांद मोहम्मद कहते हैं कि प्याज की मंहगाई से एक प्लेट बिरयानी में 40 रुपये की बचत घटकर 35 रुपये रह गई है। गोरखपुर क्लब के अतुल श्रीवास्तव का कहना है कि अब तो दावतों में एक कुंतल प्याज की डिमांड पर लोग 70 किलोग्राम में ही खाना बनवाने की सिफारिश करते हैं। नामी बावर्ची सलीम का कहना है कि नॉन वेज डिशों के स्वाद में प्याज, लसहुन और मसाले के मिश्रण का ही खेल है। कहीं भी कटौती हो तो जायका बिगडऩा तय है।

भोजपुरी गायकों का पंसदीदा विषय बना प्याज

भाजपा के सांसद मनोज तिवारी का गाया गीत 'पियजिये अनार हो गईल' अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के वक्त खूब चर्चित हुआ था। उस वक्त 80 रुपए किलो पहुंचे प्याज के चलते सरकार को जवाब देना मुश्किल हो रहा था। एक बार फिर प्याज की महंगाई को लेकर भोजपुरी कलाकारों ने मोर्चा खोला है। दर्जन भर से अधिक गायकों ने प्याज पर एलबम जारी किया है या यू टयूब चैनलों पर गाने डाले हैं। कुशीनगर की गायिका सविता सरगम द्वारा गाया गीत 'मुर्गा प्याज के एके भाव, समझ न आवत केके खाव' खूब सुना जा रहा है। गायिका उषा यादव ने 'ले जा प्याज 200 रुपये किलो न' की भी चर्चा है। गायक कृष्ण कांत सौरभ के गीत बोल हैं, 'मंहगा भईल प्याज, मुर्गा बने कईसे'। गायक बिट्टू सावन के 'कइसन समईया आज हो गईल, मुर्गा से महंगा प्याज हो गईल' खूब पंसद किया जा रहा है। गुड्डï रंगीला के 'देखते देखते प्याइजिया अनार हो गईल' गांव-कस्बों की चाय और पान की दुकानों में फुल साउंड में बजता सुनाई दे रहा है।

सोशल मीडिया पर प्याज के ही चर्चे

सोशल मीडिया पर प्याज को लेकर खूब चुटकुले निकले, कमेंट हुए। एक चुटकला खूब चर्चा में रहा - 'तराजू पर बैठा मुर्गा ग्राहक को घूर-घूर कर देख रहा था। ग्राहक- क्यों बे मुर्गे घूर क्यों रहा हैं मुझे? मुर्गा बोला, मुझे तो खरीद लिया अब प्याज खरीद कर दिखा।' ऐसे ही यह शेर खूब चर्चा में है - 'मैं प्यार लिखता रहा, वह प्याज पढ़ती रही, एक 'नुक्ते' ने प्याज का 'सलाद' बना दिया।' सोशल मीडिया पर नये साल के गिफ्ट में प्याज के लेनदेन को दिखाया जा रहा है। पति अपनी पत्नियों को हीरे के हार की जगह प्याज लगा हार देते नजर आ रहे हैं। वहीं शोले फि़ल्म के सुप्रसिद्ध डायलॉग को प्याज से जोड़ दिया गया है। जिसमें ठाकुर गब्बर से कह रहा, ये प्याज मुझे दे दे ठाकुर।

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सीमा शर्मा लगभग ०६ वर्षों से डिजाइनिंग वर्क कर रही हैं। प्रिटिंग प्रेस में २ वर्ष का अनुभव। 'निष्पक्ष प्रतिदिनÓ हिन्दी दैनिक में दो साल पेज मेकिंग का कार्य किया। श्रीटाइम्स में साप्ताहिक मैगजीन में डिजाइन के पद पर दो साल तक कार्य किया। इसके अलावा जॉब वर्क का अनुभव है।

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