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OP Rajbhar in NDA: एनडीए में ओपी राजभर की हो सकती है घर वापसी!
OP Rajbhar in NDA:18 जुलाई को दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में एनडीए के घटक दलों की बैठक से पहले लगातार इसके कुनबे को बढ़ाने की कोशिश की जा रही है।
OP Rajbhar in NDA: 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए महज 7-8 महीने का वक्त रह गया है। ऐसे में राजनीतिक अंकगणित के लिहाज से देश के सबसे बड़े प्रदेश उत्तर प्रदेश में सियासी बिसात बिछने लगी है। 18 जुलाई को दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में एनडीए के घटक दलों की बैठक से पहले लगातार इसके कुनबे को बढ़ाने की कोशिश की जा रही है। इसी कवायद के तहत यूपी में पूर्व कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश राजभर की अगुवाई वाली सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) की सत्ताधारी गठबंधन में घर वापसी हो सकती है।
2022 में विधानसभा चुनाव के दौरान सपा के साथ तालमेल करने वाले राजभर नतीजों के बाद से ही अखिलेश यादव को लेकर तल्ख रहे हैं। उनके राजग ( राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) में शामिल होने की अटकलें सियासी गलियारों में जोरों पर थीं। लखनऊ में बड़े बीजेपी नेताओं के साथ मुलाकात उनकी मंशा को साफ कर रहा था। सुभासपा प्रमुख खुद भी इन अटकलों को नकार नहीं रहे थे लेकिन वे एक बेहतर डील की कोशिश में लगे थे।
इस दरम्यान उन्होंने बसपा, कांग्रेस और यहां तक की सपा तक से गठबंधन करने का विकल्प खुला करने सरीखे बयान देकर बीजेपी आलाकमान में प्रेशर बनाने की भी भरपूर कोशिश की। अगले आम चुनाव को लेकर विपक्ष की बड़ी गोलबंदी का सामना कर रही बीजेपी पूर्वांचल के इस कद्दावर ओबीसी नेता को किसी तरह अपने पाले में साधना चाहती थी ताकि यूपी की अधिक से अधिक सीटों पर एकबार जीत सुनिश्चित हो सके।
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योगी कैबिनेट में हो सकते हैं शामिल
पूर्व कैबिनेट मंत्री ओम प्रकाश राजभर की एकबार फिर योगी आदित्यनाथ सरकार में वापसी लगभग तय है। वे 2017 का विधानसभा चुनाव बीजेपी के साथ लड़े थे और योगी सरकार के पहले कार्यकाल में मंत्री भी बने थे। हालांकि, बाद में बीजेपी से तल्ख रिश्ते होने के बाद उन्होंने मंत्री पद छोड़ दिया था। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, बीजेपी अगले लोकसभा चुनाव में उनके बेटे अरविंद राजभर को गाजीपुर सीट से उतार सकती है।
2019 में भारतीय जनता पार्टी के कद्दावर नेता और जम्मू कश्मीर के मौजूदा उपराज्यपाल मनोज सिन्हा को बीएसपी उम्मीदवार और माफिया डॉन मुख्तार अंसारी के भाई अफजाल अंसारी के हाथों कड़ी शिकस्त का सामना करना पड़ा था। ओमप्रकाश राजभर खुद भी गाजीपुर जिले की जहूराबाद विधानसभा सीट से विधायक भी हैं। दरअसल, 2019 में बीजेपी के साथ उनकी खटपट की एक बड़ी वजह ये भी थी कि राजभर अपने बेटे को अपनी पार्टी के सिंबल पर लोकसभा चुनाव लड़वाना चाहते थे, जिसके लिए भाजपा तैयार नहीं हुई थी। बीजेपी ने संजय निषाद के बेटे प्रवीण निषाद की तरह उन्हें भी कमल के सिंबल पर चुनाव लड़ने का प्रस्ताव दिया था।
एक नजर ओपी राजभर के सियासी करियर पर
कांशीराम से प्रभावित होकर राजनीति में आने वाले ओम प्रकाश राजभर का जन्म वाराणसी के फत्तेपुर खौंदा सिंधौरा गांव में हुआ था। उनके पिता सन्नू राजभर कोयला खदान में मजदूर थे। उन्होंने वाराणसी के बलदेव डिग्री कॉलेज से राजनीतिक शास्त्र में एमए किया है। पढ़ाई के दौरान वे टेम्पो भी चलाया करते थे। अपना सियासी सफर बसपा से शुरू करने वाले राजभर बाद में अपना दल में शामिल हो गए थे। 27 अक्टूबर 2002 को उन्होंने एक और बड़ा फैसला लेते हुए सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) नाम से अपनी पार्टी बना ली।
ओपी राजभर अपने पहला विधानसभा चुनाव साल 2017 में जीते और योगी आदित्यनाथ सरकार के पहले कार्यकाल में मंत्री बने। 2019 में उन्होंने बीजेपी से खटपट होने के बाद मंत्रीपद के साथ एनडीए भी छोड़ दिया। इसके बाद साल 2022 में वो अखिलेश यादव की अगुवाई वाली सपा गठबंधन में शामिल हो गए। हालांकि, उनका ये गठबंधन भी ज्यादा दिनों तक नहीं चला। विधानसभा चुनाव में करारी हार मिलने के बाद अखिलेश और उनके रिश्तों में खटास पैदा हो गई।