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पंचायत चुनावः जिससे बनती है गांवों में सरकार, जानें इसके बारे में

त्रिस्तरीय पंचायत व्यस्था लागू होने के बाद पंचायतों को लाखों रुपए का फंड सालाना दिया जाता है। ग्राम पंचायतों में विकास कार्य की जिम्मेदारी प्रधान और पंचों की होती है।

Roshni Khan
Published on: 7 Jan 2021 4:04 PM IST
पंचायत चुनावः जिससे बनती है गांवों में सरकार, जानें इसके बारे में
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पंचायत चुनावः जिससे बनती है गांवों में सरकार, जानें इसके बारे में (PC: social media)

लखनऊ: देश के सबसे बड़े सूबे यूपी में इन दिनों पंचायत चुनाव को लेकर सरगर्मियां तेज हैं। नगरों मे नगर निगम के चुनाव की तरफ ही गांव में होने वाले पंचायत चुनावों को लेकर राजनीतिक दलों में भी गरमाहट हैं। इसके पीछे एक साल बाद होने वाले विधानसभा चुनाव हैं। राजनीतिक दल पंचायत चुनाव के बहाने अपनी जोर आजममाइश की कवायद में जुटे हैं।

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पंचायतों को लाखों रुपए का फंड सालाना दिया जाता है

त्रिस्तरीय पंचायत व्यस्था लागू होने के बाद पंचायतों को लाखों रुपए का फंड सालाना दिया जाता है। ग्राम पंचायतों में विकास कार्य की जिम्मेदारी प्रधान और पंचों की होती है। इसके लिए हर पांच साल में ग्राम प्रधान का चुनाव होता है, लेकिन ग्रामीण जनता को अपने अधिकारों और ग्राम पंचायत के नियमों के बारे में पता नहीं होता।

पंचायती राज मंत्री भूपेन्द्र चौधरी ने कहा कि 14 जनवरी तक परिसीमन का कार्य पूरा हो जाएगा। इसके बाद आरक्षण का काम पूरा किया जाएगा। अब तक ग्राम पंचायत सीटों पर आरक्षण निर्धारण जनपद मुख्यालय स्तर पर होता था। मगर इस बार ग्राम पंचायतों में ग्राम सभा, बीडीसी, प्रधान और जिला पंचायत सदस्यों की सीटों पर आरक्षण की ऑनलाइन व्यवस्था लखनऊ से तय होगी।

by-elections-up by-elections-up (PC: social media)

आरक्षण लागू करने के लिए राजस्व ग्रामों की जनसंख्या का आकलन किया जाएगा

पंचायतों में आरक्षण लागू करने के लिए राजस्व ग्रामों की जनसंख्या का आकलन किया जाएगा। पांच साल पहले चुनाव के समय ग्राम पंचायत की क्या स्थिति थी? वर्तमान में क्या स्थिति है। उसी आधार पर तय होगा कि उस ग्राम पंचायत की सीट किस प्रत्याशी के लिए आरक्षित होगी।

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किसी भी ग्रामसभा में 200 या उससे अधिक की जनसंख्या का होना आवश्यक है। हर गाँव में एक ग्राम प्रधान होता है। 1000 तक की आबादी वाले गाँवों में 10 ग्राम पंचायत सदस्य, 2000 तक 11 तथा 3000 की आबादी तक 15 सदस्य होने चाहिए। ग्राम सभा की बैठक साल में दो बार होनी जरूरी है।

इसके अलावा ग्राम पंचायत की समितियां भी समितियां भी गठित की जाती हैं। ग्राम न्यायालय 12 अप्रैल 2007 को केंद्र सरकार के एक निर्णय के अनुसार ग्रामीण भारत के निवासियों को पंचायत स्तर पर ही न्याय दिलाने के लिए प्रत्येक पंचायत स्तर पर एक ग्राम न्यायालय की स्थापना का भी प्रावधान है।

रिपोर्ट- श्रीधर अग्निहोत्री

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