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Shiv Mandir in Baghpat: आस्था का केंद्र बना परशुरामेश्वर शिवलिंग, रावण ने यहां भगवान आशुतोष पर चढ़ाया था जल
Shiv Mandir in Baghpat: मेरठ- बागपत मार्ग पर छोटे से इस गॉव में सावन पर एक विशाल मेले का आयोजन किया जाता है। जिसमें दूर दराज से कई प्रदेश के शिव भक्त कावड़िया हरि की नगरी हरिद्वार से गंगाजल लाकर भगवान शिव पर जलाभिषेक करते है और अपनी मनोकामना को पूर्ण पाते है।
Shiv Mandir in Baghpat: बागपत जनपद के बालैनी थाना क्षेत्र में एक गॉव है जिसका नाम पुरा है। मेरठ- बागपत मार्ग पर छोटे से इस गॉव में सावन पर एक विशाल मेले का आयोजन किया जाता है। जिसमें दूर दराज से कई प्रदेश के शिव भक्त कावड़िया हरि की नगरी हरिद्वार से गंगाजल लाकर भगवान शिव पर जलाभिषेक करते है और अपनी मनोकामना को पूर्ण पाते है। पुरामहादेव में स्थित मंदिर बहुत ही पौराणिक व ऐतिहासिक सिद्धपीठ मन्दिर है। मन्दिर की मान्यता यह है कि यहां पर स्थापित शिवलिंग की स्थापना भगवान परशुराम ने की थी इसीलिए इसे परशुरामेश्वर शिवलिंग भी कहा जाता है। बताया जाता है कि ओशनोलॉजी डिपार्टमेंट व वाल्मीकि रामायण के अनुसार यहां स्थापित शिवलिंग पर रावण ने हरिद्वार से जल लाकर भगवान शिव पर जलाभिषेक किया। परशुरामेश्वर शिवलिंग की गहराई अथाह है ।
धार्मिक मान्यता के अनुसार मंदिर के महंत जयभगवान शास्त्री बताते है कि इसी स्थान पर परशुराम ने शिवलिंग स्थापित कर भगवान शिव की घोर उपासना की थी, भगवान शिव ने प्रसन्न होकर परशुराम को प्रकट होकर दर्शन दिए और भगवान परशुराम की दो इच्छाओ को पूर्ण किया। भगवान परशुराम की माता को जीवित करना दूसरा विश्व कल्याण की कामना थी। बताया जाता है भगवान परशुराम ने अपने पिता की आज्ञा के अनुसार अपनी माता रेणुका की हत्या कर दी थी लेकिन बाद में पश्चाताप स्वरुप शिवलिंग स्थापित कर भगवान आशुतोष की घोर उपासना की तो भगवान शिव ने प्रकट होकर परशुराम की तपस्या का फल दिया। इसी मान्यता के चलते इस मंदिर में शिव भक्तो का हुजूम हरिद्धार से कांवड़ उठाकर पैदल ही पूरा महादेव मंदिर आकर भगवान आशुतोष का जलाभिषेक करते है ।
दूसरे राज्यों से भी आते हैं लोग
पुरा महादेव मंदिर पर लगने वाला यह मेला आसपास के प्रदेशों में भी प्रसिद्ध माना जाता है। दूर दूर के राज्य से शिवभक्त यहां महाशिवरात्रि पर जलाभिषेक करने आते हैं। बागपत प्रशासन द्वारा यहां पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। चप्पे चप्पे पर पुलिस का कड़ा पहरा लगाया गया है, मंदिर परिसर के चारो ओर सुरक्षा का चक्रव्यूह रचा गया है। मंदिर को सीसीटीवी कैमरों की मदद से निगरानी की जा रही है। मंदिर में आने वाले शिवभक्तों पर प्रशासन द्वारा हेलीकॉप्टर से पुष्प वर्षा भी की जाती है। आस्था की भक्ति की इस भीड़ में बुजुर्ग और महिलाओं की भी लंबी लाइन देखने को मिलती है। हर तरफ केसरिया रंग ही नजर आता है, बोल बम बम बम बम के जयकारे गूंजते है। शिवभक्त शिवलिंग पर दूध और गंगाजल से जलाभिषेक कर अपनी मनोकामना पूर्ण करते है।
इसे एक प्राचीन सिध्दपीठ भी माना गया है। हजारों कांवड़िये नाचते गाते अपने गतंव्य की और बढ़ते जाते है और अपने अपने क्षेत्रो के शिवालयों में भगवान आशुतोष का जलाभिषेक करते है। केवल इस क्षेत्र के लिये ही नहीं प्रत्युत्त समस्त पश्चिमी उत्तर प्रदेश में इसकी मान्यता है। इस मंदिर में साल में दो बार फाल्गुन ओर श्रावण मास में मेला लगता है जिसमें लाखो की संख्या में श्रद्धालु आते है। इस बार भी यहां लाखो शिवभक्तों के आने के कयास लगाए जा रहे है ।