पीलीभीत में बासुरी उद्योग को बढ़ावा, डीएम पहुंचे कारीगरों के घर, दिए ये निर्देश

उत्तर प्रदेश के पीलीभीत में खत्म होती बासुरी को जहा डीएम पुलकित खरे ने बासुरी चौराहा बनवाकर उसकी पहचान दी तो वही बदहाली के कगार पर आए करीगरों से मिलने डीएम सँकरी गलियों में करीगरों के घर उनके बीच पहुचे और बासुरी से जुड़ी समस्याएं सुनी साथ ही करीगरों से वायदा किया कि अब वह इस काम को बढ़ावा देने में कोई कोर कसर नही छोड़ेंगे।

Monika
Published on: 26 Feb 2021 5:24 PM GMT
पीलीभीत में बासुरी उद्योग को बढ़ावा, डीएम पहुंचे कारीगरों के घर, दिए ये निर्देश
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पीलीभीत: उत्तर प्रदेश के पीलीभीत में खत्म होती बासुरी को जहा डीएम पुलकित खरे ने बासुरी चौराहा बनवाकर उसकी पहचान दी तो वही बदहाली के कगार पर आए करीगरों से मिलने डीएम सँकरी गलियों में करीगरों के घर उनके बीच पहुचे और बासुरी से जुड़ी समस्याएं सुनी साथ ही करीगरों से वायदा किया कि अब वह इस काम को बढ़ावा देने में कोई कोर कसर नही छोड़ेंगे।

बासुरी करीगरों के घर पहुंचे DM

ये पीलीभीत डीएम पुलकित खरे है, जो आज बासुरी करीगरों के घर आये है जनपद की पहचान व एक जनपद एक उत्पाद के अन्तर्गत चयनितं बाॅसुरी उद्योग को बढ़ावा देने के दृष्टिगत बाॅसुरी कारीगरों की दुकानों व घरो का मो0 शेर मोहम्मद मोहल्ले में जाकर स्थलीय निरीक्षण कर उनकी समस्याओं का संज्ञान लिया । डीएम ने कारीगरों व बाॅसुरी का कार्य करने वाले व्यवसासियों से मुलाकत करते हुये बाॅसुरी बनाने की प्रक्रिया को समझा साथ ही कारोबार को बढ़ाने में आ रही समस्याओं के सम्बन्ध में उनसे बातचीत भी की।

कच्चा माल ट्रैन के माध्यम से आना बन्द

इस दौरान पीढ़ियों से बाॅसुरी का कार्य कर रहे श्री खुशर््.ाीद अहमद, इकरार नवी, नावेद नवी, इसरार हुसैन, अब्दुल शामद सहित अन्य कारीगारों द्वारा अवगत कराया गया कि असम के सिलचर से डोलू व मूली बाॅस ट्रैन के माध्यम से जनपद में लाया जाता था परन्तु 20 वर्ष पूर्व सिलचर से गुवाहटी व बरेली तक छोटी लाइन बन्द हो जाने के कारण कच्चा माल ट्रैन के माध्यम से आना बन्द हो गया। जिस कारण से बाॅसुरी का बाॅस जनपद तक लाने में काफी महंगा पडने के कारण छोटे कारोबारी व कारीगरों द्वारा अपना कारोबार मजबूरन बन्द करना पड़ा। आज ट्रक के माध्यम बाॅस आयात किया जाता है जो काफी मंहगा पडता है।

साथ ही साथ उनके द्वारा बाजार की उपलब्धता के सम्बन्ध में अवगत कराया गया कि पूर्व में अमेरिका, डेनमार्क सहित कई देशोें में बाॅंसुरी भेजी जाती थी, परन्तु अब निर्यात पूरी तरह से बन्द हो गया है, जिससे देश के अन्दर ही निर्मित बाॅसुरी को बेचा जाता है। कारीगरों द्वारा यह भी अवगत कराया गया कि चायनीज माल आने के कारण भी इस उद्योग पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। कारीगारों द्वारा अवगत कराया गया उद्योग केन्द्र से व्यवसाय हेतु ऋण प्रदान करने हेतु बैंकों द्वारा सहयोग प्रदान नहीं किया जाता है।

जिला उद्योग अधिकारी को DM ने दिए निर्देशित

डीएम पुलकित खरे ने जिले में बाॅसुरी उद्योग को बढ़ावा देने काे लेकर जनपद में डोलू बाॅस के उत्पादन करने हेतु आवश्यक वातावरण व वन विभाग से समन्वय स्थापित कर बाॅस का उत्पादन करने हेतु जिला उद्योग अधिकारी को निर्देशित किया है। उन्होंने कहा कि पूरा प्रयास करके बाॅस का उत्पादन किया जायेगा तथा स्थानीय कारीगरों को पुनः इस व्यवसाय से जोड़ा जायेगा। बाॅसुरी हेतु बाजार की व्यवस्था हेतु बडे बडे संगीतज्ञ को बुलाकर बाॅसुरी महोत्सव का आयोजन कर पुनः देश पहचान स्थापित की जायेगी।

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10 दुकानों का चयन कर कारोबारियों को उपलब्ध कराई जाए

उन्होंने कारीगारों को बढ़ावा देने हेतु उपायुक्त उद्योग केन्द्र के माध्यम से कैम्पों का आयोजन कर बाॅसुरी उद्योग के पुराने कारीगारों से आवेदन प्राप्त कर ऋण प्रदान किया जायेगा और उन्हें पुनः इस कार्य से जोडा जायेगा। उन्होंने बाॅसुरी की पहचान हेतु जनपद में बाॅसुरी चैक स्थापित करने हेतु अधिशासी अधिकारी नगर पालिका को निर्देशित करते हुये कि 10 दुकानों का चयन कर इच्छुक कारोबारियों को उपलब्ध कराई जायेगी तथा उनकी ब्राण्डिंग करते हुये प्रचार प्रसार कराया जायेगा। जिलाधिकरी द्वारा उपायुक्त उद्योग को निर्देशित किया गया कि जनपद में विभिन्न नाम के ब्राण्डो से निर्माण करने वाले व्यवसासियों की सूची व उनके अन्तर्गत कार्य करने वाले बाॅसुरी कारीगारों की सूची मोवाइल नम्बर सहित उपलब्ध कराना सुनिश्चित किया जाये। जिससे सम्पर्क स्थापित कर छोटे कारीगरों को आगे लाया जा सके।

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रिपोर्ट - देश दीपक गंगवार

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Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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