TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

Weather Update : सावधान! भयानक गर्मी से जान का ख़तरा, खुद बचें-दूसरों को बचाएं

Weather Update : अत्यधिक गर्मी से जान का ख़तरा हो सकता है। तेज़ गर्मी से हीट स्ट्रोक यानी लू लगने के अलावा, हार्ट अटैक और हृदय संबंधी अन्य समस्याओं का खतरा बढ़ सकता है।

Neel Mani Lal
Published on: 28 May 2024 4:06 PM GMT
Weather Update
X

सांकेतिक तस्वीर (Photo - Social Media)

Weather Update : अत्यधिक गर्मी से जान का ख़तरा हो सकता है। तेज़ गर्मी से हीट स्ट्रोक यानी लू लगने के अलावा, हार्ट अटैक और हृदय संबंधी अन्य समस्याओं का खतरा बढ़ सकता है। रिसर्च से पता चलता है कि जब गर्मी अत्यधिक तापमान तक पहुँच जाती है तो हृदय रोग से होने वाली मौतों की संख्या दोगुनी या तिगुनी हो सकती है। गर्मी के जानलेवा असर से बचने के लिए जरूरी उपाए करें।

एक्सपर्ट्स कहते हैं कि जब गर्मी होती है तो दिल को अधिक मेहनत करनी पड़ती है। इसे अधिक रक्त पंप करना पड़ता है क्योंकि शरीर खुद को ठंडा करने के लिए काम करता है। दरअसल, बाहरी तापमान बहुत ज्यादा हो जाता है तो शरीर में खून आंतरिक अंगों से दूर स्किन के ठीक नीचे चला जाता है, जहां यह एक रेडियेटर की तरह गर्मी छोड़ता है। अधिक गर्म होने पर शरीर अधिक ऑक्सीजन की भी मांग करता है, और इस डिमांड को पूरा करने का काम दिल का होता है। यानी दिल को सामान्य से कहीं ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है।

ऐसे में गर्मी से डिहाइड्रेशन हृदय पर अतिरिक्त स्ट्रेस डाल सकता है। ऐसा इसलिए कि शरीर का पानी हृदय को रक्त वाहिकाओं के जरिये से खून पंप करने में मदद करता है। सो जब आपमें पानी की कमी हो जाती है तो दिल को मेटाबोलिज्म संबंधी सभी काम को पूरा करने के लिए और भी अधिक मेहनत करनी पड़ती है।

गर्म तापमान और प्रदूषण

एक अध्ययन में पाया गया है कि गर्मी और प्रदूषण का कम्बीनेशन भी जानलेवा होता है। शोधकर्ताओं ने अनुमान लगाया है कि दिल का दौरा पड़ने से होने वाली 2.8 प्रतिशत मौतों का कारण अत्यधिक तापमान और सूक्ष्म कण प्रदूषण का कम्बीनेशन हो सकता है। ऐसे सूक्षम कण कारखानों, कारों, ट्रकों, धूल और जंगल की आग जैसे स्रोतों से आते हैं।

स्ट्रोक का ख़तरा

जहाँ तक स्ट्रोक की बात है तो अध्ययन से पता चलता है कि चाहे अत्यधिक गर्मी हो या अत्यधिक सर्दी दोनों ही स्ट्रोक का जोखिम बढ़ा सकते हैं। लेकिन ज्यादा गर्मी से जोखिम ज्यादा हैं। एक शोध में पाया गया कि तापमान में बढ़ोतरी स्ट्रोक की गंभीरता को प्रभावित कर सकती है। तीन दिनों में औसत तापमान सीमा में प्रत्येक 9 डिग्री की वृद्धि के लिए, स्ट्रोक की गंभीरता 67 प्रतिशत बढ़ी पाई गयी है।

हाई बीपी, मोटापा और हार्ट की बीमारी

गर्मी से संबंधित जोखिम हर किसी के लिए समान नहीं होते हैं। एक्सपर्ट्स का कहना है कि पुराणी बीमारी, हृदय रोग, हाई बीपी या मोटापे से पीड़ित लोगों के लिए जोखिम ज्यादा होते हैं। एक्सपर्ट्स का कहना है कि तेज गर्मी के दिनों में एयर कंडीशनिंग और ठन्डे आश्रय स्थल तक पहुंच से वंचित व्यक्तियों को भी अधिक खतरा होता है।

कैसे रहें सुरक्षित?

- एक्सपर्ट्स का अकहना है कि सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि जोखिम के बारे में जागरूक रहें तभी इसे कम करने के लिए काम कर पाएंगे। बहुत से लोग जानते ही नहीं कि गर्मी जीवन के लिए खतरा हो सकती है।

- गर्म दिनों से बचने के लिए ठंडी जगह ढूंढें। ऐसे वातावरण में जाएँ जहां तापमान नियंत्रित हो।

- अगर आपको गर्मी में बाहर जाना है, तो दिन के शुरुआती या शाम के समय बाहर निकलें। अगर शामें भी गर्म हैं तो बाहर कम से कम समय बिताएं।

- नियमित ब्रेक लें। छाया ढूंढें और थोड़ा आराम करें।

- शरीर में पानी की कमी न होने दें। लेकिन हृदय संबंधी समस्याओं वाले लोग बहुत ज्यादा लिक्विड का भी सेवन न करें। हाई बीपी और हार्ट फेलियर वाले लोग जो तरल पदार्थ के प्रति संवेदनशील हैं, उन्हें गर्म दिनों में हाइड्रेटेड रहने के बारे में अपने डॉक्टरों से बात करनी चाहिए।

- गर्मी के लिए पोशाक भी ठीक से चुनें। हल्के, और हल्के रंग के कपड़े पहनें। धूप का चश्मा, टोपी और सनस्क्रीन मत भूलें।

- अगर आप कोई नियमित दवा लेते हैं तो अपने आप दवाओं में बदलाव करने की कोशिश न करें। यदि आपको अपनी दवा के नियम और गर्मी के बारे में कोई चिंता है, तो अपने डॉक्टर से बात करें।

हीट स्ट्रोक है खतरनाक

- गर्मी से होने वाली बीमारी के चेतावनी संकेतों पर नज़र रखें। वृद्ध लोगों को गर्मी से संबंधित बीमारी का अधिक खतरा होता है। गर्मी की थकावट के लक्षणों में भारी पसीना, ठंडी और चिपचिपी त्वचा और कमजोरी आदि शामिल हैं।

- हीट स्ट्रोक के लक्षणों में पसीना न आना, लाल, गर्म और सूखी त्वचा, तेज़ और मजबूत नाड़ी; भ्रम, चक्कर आना, मतली; और तेज़ सिरदर्द शामिल हैं।

- हीटस्ट्रोक आमतौर पर उच्च तापमान में लंबे समय तक रहने या शारीरिक मेहनत के कारण होता है। हीटस्ट्रोक, तब हो सकता है जब आपके शरीर का तापमान 40 डिग्री सेल्सियस या इससे अधिक हो जाए।

- हीटस्ट्रोक के लिए इमरजेंसी इलाज की आवश्यकता होती है। अगर तत्काल इलाज नहीं किया गया तो यह मरीज के हार्ट, गुर्दे और मांसपेशियों को जल्दी नुकसान पहुंचा सकता है। उपचार में देरी होने से गंभीर जटिलताओं या मृत्यु का खतरा बढ़ जाता है।

- हीट स्ट्रोक का कोई भी लक्षण आने पर तत्काल मरीज को छाया और हवादार जगह में ले जाएँ। कपड़े ढीले कर दें।

- एम्बुलेंस बुलाएँ या तत्काल अस्पताल ले जाएँ। इसके पहले जो भी उपलब्ध साधन हो, उससे व्यक्ति को ठंडा करें - पानी के ठंडे टब या ठंडे शॉवर में रखें, बगीचे के पाइप से पानी स्प्रे करें, ठंडे पानी से स्पंज करें, ठंडे पानी से स्प्रे करते हुए पंखा करें, या व्यक्ति के शरीर खासकर सिर, गर्दन, बगल और कमर पर आइस पैक या ठंडा, गीला तौलिया रखें।

Rajnish Verma

Rajnish Verma

Content Writer

वर्तमान में न्यूज ट्रैक के साथ सफर जारी है। बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय से पत्रकारिता की पढ़ाई पूरी की। मैने अपने पत्रकारिता सफर की शुरुआत इंडिया एलाइव मैगजीन के साथ की। इसके बाद अमृत प्रभात, कैनविज टाइम्स, श्री टाइम्स अखबार में कई साल अपनी सेवाएं दी। इसके बाद न्यूज टाइम्स वेब पोर्टल, पाक्षिक मैगजीन के साथ सफर जारी रहा। विद्या भारती प्रचार विभाग के लिए मीडिया कोआर्डीनेटर के रूप में लगभग तीन साल सेवाएं दीं। पत्रकारिता में लगभग 12 साल का अनुभव है। राजनीति, क्राइम, हेल्थ और समाज से जुड़े मुद्दों पर खास दिलचस्पी है।

Next Story