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मोदी के एएमयू शताब्दी समारोह भाषण पर क्यों बरपा है हंगामा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को सुबह 11 बजे अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के शताब्दी समारोह को संबोधित करेंगे। लेकिन चंद लोगों को यह रास नहीं आ रहा है।
अखिलेश तिवारी
लखनऊ- अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के इतिहास में यह दूसरा मौका होगा जब कोई प्रधानमंत्री विश्वविद्यालय के शिक्षक और छात्रों से मुखातिब होगा लेकिन एएमयू के चंद लोगों को यह रास नहीं आ रहा है। इतिहासकार और एएमयू के प्रोफेसर एमिरेट्स इरफान हबीब से लेकर पूर्व छात्र नेता तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यक्रम का विरोध कर रहे हैं।
पीएम मोदी करेंगे अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के शताब्दी समारोह को संबोधित
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को सुबह 11 बजे अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के शताब्दी समारोह को संबोधित करेंगे। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के कुलपति ने उन्हें इस खास कार्यक्रम के लिए आमंत्रित किया है। प्रधानमंत्री ने पिछले दिनों लखनऊ विश्वविद्यालय के शताब्दी समारोह को भी संबोधित किया है।
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एएमयू से सेवानिवृत्त इतिहासकार ने मोदी के कार्यक्रम पर सवाल खड़े किए
एएमयू प्रशासन की ओर से कार्यक्रम की बड़ी तैयारी की गई है लेकिन एएमयू से सेवानिवृत्त हो चुके इतिहासकार प्रोफेसर इरफान हबीब ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यक्रम पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री पर आरोप लगाया है कि वह भारत की पुरानी संस्कृति को गुमराह करने में लगे हैं उनके आने ना आने से कोई फर्क नहीं पड़ता है।
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पीएम के कार्यक्रम से यूनिवर्सिटी को आर्थिक मदद मिलने की संभावना
उन्होंने यह जरूर कहा कि प्रधानमंत्री के कार्यक्रम से संभव है कि यूनिवर्सिटी को कुछ आर्थिक मदद मिल जाए। दूसरी ओर पूर्व छात्र नेता नदीम अंसारी ने प्रधानमंत्री पर एएमयू के छात्रों का विरोध करने वाली राजनीति के तरफदार होने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि अगर प्रधानमंत्री एएमयू के छात्रों और शिक्षकों को प्रभावित करना चाहते हैं तो सबसे पहले उन लोगों पर कार्रवाई करें जो अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी को आतंकवाद का अड्डा बताने में जुटे हैं। एक अन्य छात्र नेता ने एएमयू के कुलपति के फैसले को गलत बताया है और कहा कि अगर उन्होंने फैसला नहीं बदला तो कुलपति का विरोध किया जाएगा।
अलीगढ़ विश्वविद्यालय की कुछ खास बातें
कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय की तर्ज पर ब्रिटिश राज के समय बनाया गया पहला उच्च शिक्षण संस्थानहै। सर सैयद अहमद खान ने आधुनिक शिक्षा की आवश्यकता को महसूस कर इसकी बुनियाद रखी। सबसे पहले 1875 में एक स्कूल शुरू किया । जो बाद में मुस्लिम एंग्लो ओरिएंटल कालेज बना । अंततः 1920 मेंअलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय बना। 1929 में राजा महेंद्र प्रताप ने 3.04 एकड़ जमीन इसविश्वविद्यालय को दे दी थी। आज इस यूनिवर्सिटी का परिसर 467 हेक्टेयर में फैला हुआ है।
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हैदराबाद के सातवे निज़ाम- मीर उस्मान अली खान ने वर्ष 1951 में इस विश्वविद्यालय को 5 लाख रुपये का दान दिया था। एएमयू से ग्रेजुएट करने वाले पहले शख्स भी हिंदू थे। जिनका नामइश्वरी प्रसाद था। इतिहास के वह बहुत बड़े विद्वान थे।
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में शिक्षा के पारंपरिक और आधुनिक शाखा में 250 से अधिकपाठ्यक्रम पढ़ाए जाते हैं।
इसका अरबी में ध्येय वाक्य है -‘अल्लामल इन्साना मा लम य'आलम।’ आदमी को वो सिखाओ जो उसे नहीं आता।
इस विश्वविद्यालय का कुलगीत असरारूल हक़ मजाज लखनवीं ने लिखा था। कुलगीत है-मेरा चमनहै, मेरा चमन। मैं अपने चमन का बुलबुल हूँ।
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संग्रहालय है लाजवाब
एएमयू के मूसा डाकरी संग्रहालय में अनेक ऐतिहासिक महत्वपूर्ण वस्तुएँ तो हैं ही सर सैयद अहमदका 27 देव प्रतिभाओं का वह कलेक्शन भी है । जिसे उन्होने अलग अलग स्थानो का भ्रमण करजुटाया था।
एएमयू के संग्रहालय में उपस्थित महत्वपूर्ण ऐतिहासिक धरोहर वस्तुएँ;
महावीर जैन का स्तूप और स्तूप के चारो ओर आदिनाथ की 23 प्रतिमाएं है।
सुनहरे पत्थर से बने पिलर में कंकरीट की सात देव प्रतिमाए।
एटा व फतेहपुर सीकरी से खोजे गये बतर्न, पत्थर व लोहे के हथियार।
शेष शैया पर लेटे भगवान विष्णु. कंकरीट के सूर्यदेव।
महाभारत काल की भी कई चीजे, डायनासोर के अवशेष।
वीमेंस कॉलेज का संस्थापक पापा मियां की ब्रिट्रिस काल की पॉइट्री।
चित्रकार मकबूल फिदा हुसैन व उनके बेटे शमसाद की बनाई पेंटिंग्स।
एएमयू के विक्टोरिया गेट से उतारी गई प्राचीन घड़ी।
उदयपुर की जवार खान से मिली ढाई हजार साल पुरानी रिटार्ट।
दुर्लभ पांडुलिपियों यहां की लाइब्रेरी की अमूल्य संपत्ति
एएमयू की मौलाना आजाद लाइब्रेरी में 13.50 लाख पुस्तको के साथ तमाम दुर्लभ पांडुलिपियां भी मौजूद है।
यहां रखी इंडेक्स इस्लामिक्स की कीमत 12 लाख रुपये है।
फारसी पांडुलिपि का कैटलॉग है।
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साढ़े चार लाख दुर्लभ पुस्तकें पांडुलिपिया व शोधपत्र ऑनलाइन है।
अकबर के दरबारी फैजी की फारसी में अनुवादित गीता भी यहाँ है।
400 साल पहले फारसी में अनुवादित महाभारत की पांडुलिपि है।
तमिल भाषा में लिखे भोजपत्र है।
1400 साल पुरानी कुरान है।
मुगल शासकों के कुरान लिखे विशेष कुर्ते जिन्हे रक्षा कबज कहते है।
सर सैयद की पुस्तकें व पांडुलिपिया है।
जहांगीर के पेंटर मंसूर नक्काश ती अद्भुत पेंटिग मौजूद है।
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- एएमयू संभवतः इकलौता विश्विद्यालय है जहाँ एक बेहतरीन ‘राइडिंग क्लब’ यानी घुड़सवारीका क्लब है। इस क्लब की स्थापना 1889 में हुई थी। इसे भारत का सबसे पुराना सिविलियनराइडिंग क्लब माना जाता है।
- एएमयू के 13 संकायों को नैक की ‘ए’ ग्रेडिंग मिली हुई है। इस यूनिवर्सिटी में 13 संकाय, 7 सम्बद्ध कालेज, 15 केंद्र, 3 संस्थान, 10 स्कूल और 1 इंटरनेश्नल स्टडी सेंटर हैं।
- एएमयू की पृष्ठभूमि में कई पिक्चरें भी बनीं हैं - मेरे महबूब (1963), और नई उमर की नईफसल (1966) सबसे चर्चित रहीं हैं।
- एएमयू की संस्कृति में रैगिंग कभी नहीं रही। यहाँ नए छात्रों का सिर्फ इंट्रोडक्शन होता था ।जिसमें चुटकुले सुनाना, गाना गाना, शेर शायरी होती थी।
- यहाँ के छात्रों की ख़ास पहचान होती थी - मोबाइल फोन में एएमयू तराना की रिंगटोन, बढ़ियाउर्दू बोलना, हमेशा अच्छे ड्रेसअप रहना, सबको शालीनता से अभिवदान करना, और अनजान लोगोंको ‘पार्टनर’ कह कर संबोधित करना।
- यहाँ ड्रेस कोड भी बहुत उम्दा है। पूरी बांह की शर्ट, पैंट और जूते. अगर कुरता पैजामा पहना हैतो शेरवानी जरूरी है। हॉस्टल में रहने वालों के लिए तो कम्पलसरी है। ये रूल डाइनिंग हाल औरएंटरटेनमेंट रूम में भी लागू रहता है। सभी महत्वपूर्ण अवसरों पर कली शेरवानी, कुर्ता पैजामा पहननाअनिवार्य है।
- यहाँ डाइनिंग हॉल में लंच और डिनर के बाद चाय जरूर पी जाती है। यह एक परम्परा है।एएमयू का चाय कल्चर भी एक अनोखा है। हर इवेंट के बाद चाय जरूर साथ बैठ कर पी जाती है।
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- एएमयू का केनेडी हाल बहुत मायने रखता है । यहाँ परफॉर्म करना छात्रों के लिए एक उपलब्धिमाना जाता है। सभी महत्वपूर्ण इवेंट इसी हाल में होते हैं।
पूर्व छात्र-
डॉ. ज़ाकिर हुसैन भारत के भूतपूर्व राष्ट्रपति ।
लियाकत अली खान, पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री।
अली अशरफ़ फ़ातमी , भारत सरकार में पूर्व मानव संसाधन राज्यमंत्री।
साहिब सिंह वर्मा, दिल्ली के भूतपूर्व मुख्यमंत्री, पू्र्व केन्द्रीय श्रम मंत्री।
हामिद अंसारी भारत के भूतपूर्व उप-राष्ट्रपति ।
ध्यानचंद,प्रमुख हॉकी खिलाड़ी ।
मुश्ताक अली,भारत के भूतपूर्व क्रिकेट खिलाडी एवं कप्तान।
लाला अमरनाथ,भूतपूर्व क्रिकेट खिलाडी मोहिंदर अमरनाथ के पिता।
इरफान हबीब , इतिहासकार।
ईश्वरी प्रसाद, इतिहासकार।
पियारा सिंह गिल, भौतिकशास्त्री।
असरउल हक मजाज, उर्दू कवि।
कैफी आज़मी, उर्दू कवि'
राही मासूम रज़ा, लेखक।
जावेद अख़्तर ,गीतकार एवं शायर।
के. आसिफ़ , मुग़ले आज़म के निर्देशक।
अखिलेश तिवारी
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