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सोने की खान-सांपो का डेरा, फौज की तरह रहते हैं हर-पल तैनात

उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले में 3 हजार टन सोने का भंडार होने का जब से पता चला है तब से देश ही नहीं विदेश में भी सोनभद्र सुर्खियों में है और लोग वहां मिले..

Deepak Raj
Published on: 22 Feb 2020 3:25 PM IST
सोने की खान-सांपो का डेरा, फौज की तरह रहते हैं हर-पल तैनात
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लखनऊ। उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले में 3 हजार टन सोने का भंडार होने का जब से पता चला है तब से देश ही नहीं विदेश में भी सोनभद्र सुर्खियों में है और लोग वहां मिले अकूत सोने के भंडार के बारे में जानने को बेहद उत्सुक हैं।

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जहां एक तरफ सोने के भंडार मिलने से यूपी समेत पूरा देश बेहद खुश है वहीं डराने वाले बात यह है कि उस खजाने के पीछे जहरीले और खतरनाक सांपों का बसेरा है। ये सांप उस खजाने पर कुंडली मारकर बैठे हैं।

सांप फौज की तरह खजाने के आसपास बहुतायत संख्या में हैं

भू-वैज्ञानिकों को सोनभद्र में दो जगहों पर सोने का भंडार होने की जानकारी मिली है। अब जिस जगह सोने की खादान होने का पता चला है वहां बड़ी संख्या में जहरीले सांपों के होने की मौजूदगी सामने आ रही है। ये सांप किसी फौज की तरह खजाने के आसपास बहुतायत संख्या में हैं।

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बताया जा रहा है कि वहां दुनिया के सबसे जहरीले प्रजाति के तीन तरह के सांपों की संख्या सबसे ज्यादा है। सांपों की इस जहरीली प्रजाति में कोबरा, करैत और रसेल वाइपर मुख्य हैं। ये सांप सबसे ज्यादा सोनभद्र के सोन पहाड़ी के दुद्धी तहसील के महोली विंढमगंज चोपन ब्लॉक में हैं।

सोने के अयस्क के पास सांपों की मौजूदगी है

बता दें कि दुनिया के सबसे जहरीले सांप के तौर पर प्रसिद्ध रसेल वाइपर की प्रजाति पूरे देश में सिर्फ सोनभद्र जिले में ही पाई जाती है। सोने के अयस्क के पास सांपों की मौजूदगी को लेकर सोनभद्र जिले के वन विभाग के अधिकारी ने बताया कि खजाना निकालते वक्त जब वन विभाग से एनओसी (अनापत्ति प्रमाण पत्र) लिया जाएगा तो उस वक्त सहीं आंकड़ा सामने आ पाएगा कि वहां जहरीले सांप की संख्या कितनी है।

हालांकि सोनभद्र के डीएफओ ने बताया कि इससे पहले उस जगह और आसपास से रसेल वाइपर, कोबरा और करैत जाति के कई सांप मिल चुके हैं। बता दें कि सोने के अकूत भंडार के सामने आने के बाद सरकार ने खदानों को लीज पर देने की प्रकिया तेज कर दी है।

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राज्य सरकार ने दो हेलीकॉप्टरों की मदद ली है

खजाने के खनन की निलामी से पहले जिओ टैगिंग की कार्रवाई शुरू कर दी गई है और उस पूरे इलाके का हवाई सर्वेक्षण भी कराया जा रहा है। इसके लिए राज्य सरकार ने दो हेलीकॉप्टरों की मदद ली है। हवाई सर्वेक्षण का मकसद सुरक्षा के अलावा यह भी है कि कहीं सोने का भंडार वाली जमीन वन विभाग की तो नहीं है। अगर ऐसा होता है तो वहां खनन और खुदाई से पहले जिसे भी नीलामी के जरिए इसका ठेका मिलेगा उसे वन विभाग से एनओसी लेनी होगी।



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