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पुलिस ने स्टेशन के पास की सघन छापेमारी, होली पर बड़ी साजिश का हुआ पर्दाफाश
होली के त्योहार के पहले मीठे जहर के काले कारोबारियों ने बाजार को मिलावटी और नकली खोवा से पाटने की पूरी तैयारी कर ली है। दो दिन पहले ही फूड विभाग की टीम...
गोरखपुर। होली के त्योहार के पहले मीठे जहर के काले कारोबारियों ने बाजार को मिलावटी और नकली खोवा से पाटने की पूरी तैयारी कर ली है। दो दिन पहले ही फूड विभाग की टीम ने खोवा मंडी में छापेमारी कर दूध से बनी हुई सड़ी हुई मिठाई और खोवा बरामद किया था।
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आज फूड विभाग ने 400 किलो मिलावटी और नकली मावा की खेप रोडवेज बस स्टेशन के पास से बरामद कर बाजार को नकली मावा से पाटने की तैयारी कर चुके काले कारोबारियों की कमर तोड़ दी है।
बस स्टेशन के आसपास उन्होंने पहरा लगा दिया
गोरखपुर के रेलवे बस स्टेशन के पास आज भारी मात्रा में मिलावटी और नकली मावा की खेप बस से उतरने की सूचना मिली थी। खाद्य एवं औषधि प्रशासन की टीम तड़के सुबह 3 बजे से ही सक्रिय हो गई। बस स्टेशन के आसपास उन्होंने पहरा लगा दिया।
इसी दौरान टीम को बस स्टेशन के मोड़ पर ही सात बड़ी टोकरियों में रखा 400 किलो यानी चार क्विंटल से अधिक मावा रखा हुआ मिला। टीम ने वहां पर किसी भी व्यापारी और मावा उतारने वाले को नहीं पाया। टीम ने मावा को जब्त करने के बाद जब उसकी प्रथम दृष्टया जांच की, तो वो पूरी तरह से नकली प्रतीत हुआ।
प्रथम दृष्टया जांच से नकली प्रतीत हुआ
मुख्य खाद्य सुरक्षा अधिकारी अनिल कुमार सिंह ने बताया कि सूचना के आधार पर वे लोग सुबह से ही रोडवेज बस स्टेशन के आसपास अलग-अलग फैले हुए थे। इसी दौरान किसी ने रोडवेज बस स्टेशन से पर्यटन विभाग के आफिस की ओर जाने वाली सड़क पर सात टोकरियों में 400 किलो यानी 4 क्विंटल नकली मावा बरामद किया।
मावा की टोकरी को खोकर जब चेक किया गया, तो वो पूरी तरह से पाउडर का बना हुआ मिला। अनिल कुमार सिंह ने बताया कि इसका कोई दावेदार सामने नहीं आया है। देखने पर ही ये मिलावटी प्रतीत हो रहा है। इसे जांच के लिए नमूना लेकर लैब में भेजा जाएगा। उन्होंने बताया कि कोई दावेदार नहीं आने की दशा में इसे नष्ट कर दिया जाएगा।
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होली के त्योहार के पहले बड़े पैमाने पर नकली मावा बाहर से मंगाया जाता है। कानपुर, गाजीपुर, वाराणसी, मऊ और आजमगढ़ के साथ मेरठ और पश्चिम के अन्य जिलों से आने वाली इस मीठे जहर की खेप को बाजार में भेजकर काले कारोबारी त्योहार में खूब माल कमाते हैं। ऐसे में फूड विभाग की सक्रियता ने उनकी मंशा पर पानी फेरने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी है।