×

ददरी मेले को लेकर नेता रामगोविन्द चौधरी ने BJP सरकार पर उठाए सवाल,कहा ये

उत्तर प्रदेश विधान सभा में प्रतिपक्ष के नेता रामगोविन्द चौधरी ने समाजवादी पार्टी के जिला प्रवक्ता सुशील कुमार पाण्डेय "कान्हजी" के जरिये आज प्रेस को जारी बयान में ददरी मेला स्थगित करने का लेकर भाजपा सरकार पर सवाल खड़ा किया

Newstrack
Published on: 6 Nov 2020 4:30 PM IST
ददरी मेले को लेकर नेता रामगोविन्द चौधरी ने BJP सरकार पर उठाए सवाल,कहा ये
X
ददरी मेले को लेकर नेता रामगोविन्द चौधरी ने BJP सरकार पर उठाए सवाल,कहा ये (Photo by social media)

बलिया: महर्षि भृगु के शिष्य दर्दर मुनि के नाम पर सालाना लगने वाला ददरी मेला को कोरोना के कहर के मद्देनजर स्थगित करने के फैसले पर सियासत तेज हो गई है । विधान सभा में प्रतिपक्ष के नेता रामगोविन्द चौधरी ने कहा है कि ब्रम्हापुत्र महर्षि भृगुजी द्वारा अपने शिष्य के नाम पर संत समागम से शुरू होकर लोकमेला के रूप में हजारों सालों से लगने वाले ददरी मेले के आयोजन पर जिला प्रशासन द्वारा रोक लगाना दुर्भाग्यपूर्ण है।

ये भी पढ़ें:पूरे होंगे सभी काम: कल बन रहा है शुभ योग, जल्दी करें तैयारी

भाजपा सरकार पर सवाल खड़ा किया

उत्तर प्रदेश विधान सभा में प्रतिपक्ष के नेता रामगोविन्द चौधरी ने समाजवादी पार्टी के जिला प्रवक्ता सुशील कुमार पाण्डेय "कान्हजी" के जरिये आज प्रेस को जारी बयान में ददरी मेला स्थगित करने का लेकर भाजपा सरकार पर सवाल खड़ा किया । उन्होंने कहा कि कोरोना काल में मुख्यमंत्री उपचुनाव वाले एक-एक क्षेत्रो में तीन-तीन जनसभा कर रहे हैं। एक ईवीएम मशीन पर हजारों लोग अंगुली दबाएंगे । इससे कोरोना का खतरा नही है ? भाजपा के सभी नेता घूम-घूम कर सभा कर रहे हैं तो कोरोना नहीं फैल रहा है। उन्होंने कहा कि ऐतिहासिक ददरी मेला सिर्फ एक मेला नहीं है। यह मेला बलिया जनपद की पहचान, स्वाभिमान और सामाजिक समरसता का प्रतीक है।

प्रतिविम्ब ददरी मेले से जनपद के हजारों लोगों को रोजगार मिलता है

धार्मिक और सांस्कृतिक रूप के प्रतिविम्ब ददरी मेले से जनपद के हजारों लोगों को रोजगार मिलता है। देश के अनेक प्रदेशों से पशु आते हैं , जिससे पशुपालक लाभान्वित होते हैं। इससे कृषि कार्य करने वाले किसान भी लाभान्वित होते हैं। जनपद के स्थानीय स्तर पर बनने वाले सामानों को भी बड़ा बाजार मिलता है , जिससे जनपद के प्रतिभा को भी विस्तार मिलता है। इसके स्थगित होने से गरीब, व्यापारी, पशुपालक, किसान और छोटे-छोटे दुकानदारों के सामने भुखमरी की समस्या उत्पन्न हो जाएगी। लकड़ी, मिट्टी, व पशु व्यापारी सहित कई वर्ग के लोग पूरे वर्ष इस ददरी मेले का इंतजार और तैयारी करते हैं। वैसे लोगों के समक्ष इस स्थगन आदेश से विकट समस्या आ जायेगी।

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि ददरी मेला का पौराणिक व आध्यात्मिक महत्व है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन बिहार, बंगाल,मध्य प्रदेश,झारखण्ड, नेपाल आदि जगहों से लोग आकर विश्व कल्याण की कामना से गंगा स्नान करते है , जिसका धार्मिक ग्रंथों में महत्व से बखान है। उन्होंने आरोप लगाया है कि वर्तमान सरकार कोरोना के नाम पर प्रदेश के लोगों के मूलभूत समस्याओं से खिलवाड़ कर रही है। गरीबों को उनके हाल पर तड़पने को विवश कर रही है। गरीब, किसान, युवा, व्यापारी विरोधी आदेश रोज निर्गत कर रही है।

बलिया के स्वाभिमान को ठेस पहुंचाया गया है

कोविड-19 को देखते हुए मेले के आयोजन को प्रतिबंधित करने से पहले उस मेले से अपना जीवन यापन करने वाले गरीबो के बारे में सोचना चाहिए। यह मेला अवश्य लगाना चाहिए। इसे स्थगित कर बलिया के स्वाभिमान को ठेस पहुंचाया गया है , जो दुर्भाग्यपूर्ण एव निंदनीय है।

उल्लेखनीय है कि महर्षि भृगु के शिष्य दर्दर मुनि के नाम पर सालाना आयोजित होने वाला प्रसिद्ध ददरी मेला कोविड-19 से लोगों की सुरक्षा को देखते हुए इस वर्ष स्थगित करने का निर्णय हुआ है । जिलाधिकारी एसपी शाही ने बताया है कि कहा कि ददरी मेले में आयोजन की गाइडलाइन को देखते हुए कोविड प्रोटोकाल का शत अनुपालन करा पाना मुश्किल होगा। मेले में दो सौ से अधिक भीड़ हर हाल में हो जाएगी। इसलिए मेला कराना और उसके बाद जिले को लॉकडाउन की स्थिति में ले जाना कहीं से भी उचित नहीं है।

कार्तिक पूर्णिमा स्नान का कार्यक्रम होगा

उन्होंने कहा कि कार्तिक पूर्णिमा स्नान का कार्यक्रम होगा, पर उस दिन किसी भी प्रकार का सांस्कृतिक कार्यक्रम नहीं होगा। उन्होंने कहा है कि बलिया की स्थिति देखें तो जुलाई-अगस्त में यह बीमारी जिले को सबसे ज्यादा प्रभावित की थी। वर्तमान में सुधार हुआ है, पर पूरी तरह सुरक्षित नहीं है । नगरपालिका परिषद बलिया का कोई ऐसा वार्ड नहीं है जहां एक भी केस नहीं हो । दो सौ से अधिक कंटेन्मेंट जोन हैं।

पुलिस लाइन में 13 व आनंदनगर में 10 मरीज हैं

आज भी मुहल्ला भृगु आश्रम में 31 मरीज, पुलिस लाइन में 13 व आनंदनगर में 10 मरीज हैं। जिलाधिकारी ने कहा है कि लोगों की सुरक्षा के लिए बहुत सारी परम्परागत गतिविधियों पर विराम लगा। विभिन्न जगहों पर आयोजित होने वाले महावीरी जुलूस, मथुरा का गोवर्धन मेला, गढ़ मेला जैसी पारंपरिक गतिविधियां स्थगित हुईं। इसलिए लोगों की सुरक्षा के लिए मेला नहीं कराया जाना ही उचित होगा।

ये भी पढ़ें:पत्नी निकली खूंखार कातिल: पति को जिंदा जला दिया, वारदात से मची सनसनी

ददरी मेला हर वर्ष कार्तिक पूर्णिमा से आरम्भ होता है

गौरतलब है कि बलिया में महर्षि भृगु के शिष्य दर्दर मुनि के नाम पर ददरी मेला हर वर्ष कार्तिक पूर्णिमा से आरम्भ होता है। इसमें मुख्यतः पशुओं का क्रय-विक्रय किया जाता है। मेले की ऐतिहासिकता इस मेले की ऐतिहासिकता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि चीनी यात्री फाह्यान ने इस मेले का अपनी पुस्तक में जिक्र किया है। गुलाम भारत की बदहाली को लेकर भारतेंदु हरिश्चंद्र ने अपने मार्मिक निबंध भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है , को पहली बार बलिया के ददरी मेले के मंच पर वर्ष 1884 में पेश किया था।

अनूप कुमार हेमकर

दोस्तों देश दुनिया की और खबरों को तेजी से जानने के लिए बनें रहें न्यूजट्रैक के साथ। हमें फेसबुक पर फॉलों करने के लिए @newstrack और ट्विटर पर फॉलो करने के लिए @newstrackmedia पर क्लिक करें।

Newstrack

Newstrack

Next Story