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Exclusive: प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के कैटेगरी खेल ने प्रदेश के नए उद्योगों पर लगाया जनवरी तक ताला

उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड यूपीपीसीबी ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड सीपीसीबी के एक आदेश का सहारा लेकर प्रदेश में उद्योगों का नया श्रेणीकरण जारी कर दिया है।

Newstrack
Published on: 10 Oct 2020 5:43 PM IST
Exclusive: प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के कैटेगरी खेल ने प्रदेश के नए उद्योगों पर लगाया जनवरी तक ताला
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लखनऊ: उत्तर प्रदेश राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के तौर -तरीकों ने प्रदेश में उद्योग-धंधों को अगले छह महीने के लिए पटरी से उतार दिया है। उद्योगों के नए श्रेणीकरण से नाराज नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने अगले साल 28 जनवरी तक किसी भी उद्योग को स्वीकृति देने पर रोक लगा दी है। बोर्ड ने अपने एक आदेश के जरिये चमडा उद्योग को खतरनाक उद्योग की श्रेणी से निकालकर अहानिकारक की श्रेणी में डाल दिया है।

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एक आदेश का सहारा लेकर प्रदेश में उद्योगों का नया श्रेणीकरण जारी कर दिया है

उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड यूपीपीसीबी ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड सीपीसीबी के एक आदेश का सहारा लेकर प्रदेश में उद्योगों का नया श्रेणीकरण जारी कर दिया है। नौ जनवरी 2019 को जारी इस आदेश के अनुसार यूपीपीसीबी ने रेड, ऑरेंज, ग्रीन और व्हाइट कैटेगरी के तहत 156 उद्योग-धंधों का नया श्रेणीकरण जारी किया है। दरअसल सीपीसीबी ने यूपीपीसीबी से कहा था कि केंद्रीय स्तर पर जारी सूची में जिन उद्योग -धंधों को शामिल नहीं किया जा सका है उन्हें राज्य स्तर पर श्रेणीकृत करते हुए नई सूची जारी की जाए।

Dr Sharad Gupta डॉ शरद गुप्ता, याचिकाकर्ता (social media)

यूपीपीसीबी ने जो लिस्ट जारी की है उस पर बवाल मच गया है

इसी आधार पर यूपीपीसीबी ने जो लिस्ट जारी की है उस पर बवाल मच गया है। आगरा के एक्टिविस्ट डॉ शरद गुप्ता ने यूपीपीसीबी की नई सूची पर आपत्ति करते हुए यूपीपीसीबी और सीपीसीबी को पत्र लिखा है लेकिन उनकी आपत्ति पर दोनों ही बोर्ड के अधिकारियों ने ध्यान नहीं दिया। लिहाजा उन्होंने यह पूरा मामला नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के सामने पेश कर दिया है। अपनी याचिका में डॉ गुप्ता ने ट्रिब्यूनल को बताया है कि यूपीपीसीबी के अधिकारियों ने प्रदेश के पर्यावरण और लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ करते हुए हानिकारक उद्योग की श्रेणी में शामिल रहे चमड़ उद्योग को अहानिकारक श्रेणी ग्रीन में डाल दिया है।

यह पूरी तरह से सीपीसीबी के बनाए हुए मानदंडों का उल्लंघन है और जन स्वास्थ्य के साथ खुल्लमखुल्ला खिलवाड़ है। उनकी याचिका पर विचार करने के बाद ट्रिब्यूनल ने आदेश किया है कि इस मामले में सीपीसीबी और यूपीपीसीबी की ओर से अगली सुनवाई के पहले अपना जवाब दाखिल किया जाए। इसके साथ ही ट्रिब्यूनल ने प्रथम दृष्टया इसे घोर लापरवाही मानते हुए यूपीपीसीबी को आदेश दिया है कि अगली सुनवाई 28 जनवरी 2021 तक किसी भी उद्योग को बोर्ड की ओर से तैयार सूची के आधार पर प्रदूषण की अनुमति जारी न की जाए।

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प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का काम प्रदेश में जनस्वास्थ्य की रक्षा के लिए पर्यावरण संरक्षण के उपाय लागू कराना है

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का काम प्रदेश में जनस्वास्थ्य की रक्षा के लिए पर्यावरण संरक्षण के उपाय लागू कराना है। इस मामले में बोर्ड ने खुद ऐसा कदम उठाया है जो आम लोगों के जीवन के लिए हितकारी नहीं है उलटे उन्हें नुकसान पहुंचाने वाला है। बोर्ड के इस कदम से चमडा उद्योग संचालित करने वालों को तो फायदा पहुंचेगा लेकिन इसका खामियाजा पूरे समाज और देश को भुगतना पडेगा। ट्रिब्यूनल के सख्त रुख से उम्मीद है कि यूपीपीसीबी अपनी गलती में सुधार करेगा।

अखिलेश तिवारी

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