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हाल ए आयुष्मान: गरीबों के हक में अमीरों की सेंधमारी

raghvendra
Published on: 29 Nov 2019 6:17 AM GMT
हाल ए आयुष्मान: गरीबों के हक में अमीरों की सेंधमारी
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मेरठ: गरीब परिवारों को पांच लाख रुपए तक का मुफ्त इलाज देने के लिए 23 सितंबर 2018 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आयुष्मान भारत योजना शुरू की थी। इस योजना में शामिल गरीबों का चयन कांग्रेस सरकार में वर्ष 2011 में हुए आर्थिक गणना के आधार पर किया गया। आर्थिक गणना के आधार पर अनेक व्यापारियों, सरकारी नौकरी करने वालों और नेताओं के नाम भी गरीबों की लिस्ट में शामिल थे लिहाजा उनको भी आयुष्मान योजना का पात्र बनने का मौका मिल गया। कुछ ऐसे भी लोग इस योजना में पात्र बन गए जो 2011 में गरीब थे लेकिन 2018 तक उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत हो गई। आयुष्मान योजना से सैकड़ों अमीरों ने लाखों रुपए का इलाज फ्री में भी करा लिया, जबकि जिलेभर के हजारों गरीब आयुष्मान योजना में शामिल होने के लिए स्वास्थ्य विभाग से लेकर प्रशासन की चौखट तक भटक रहे हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार मेरठ जनपद में कुल लाभार्थी 2,11,416 हैं। इनमें ग्रामीण लाभार्थियों की संख्या 89,109और शहरी लाभार्थियों की संख्या 1,22,307 हैं।

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सूची की जांच की मांग

आयुष्मान योजना में अपात्र लोगों के शामिल होने की शिकायतों पर स्वास्थ्य महकमे द्वारा इस सबंध में कोई कार्रवाई नहीं की गई है। मेरठ के भाजपा सांसद राजेन्द्र अग्रवाल स्वीकारते हैं कि आयुष्मान भारत योजना की लाभार्थी सूची की जांच करा कर अपात्र परिवारों का नाम सूची से बाहर होना चाहिए। साथ ही नया सर्वे कराकर पात्र परिवारों का नाम लाभार्थी सूची में शामिल किया जाना चाहिए। राजेन्द्र अग्रवाल कहते हैं कि आयुष्मान भारत के लाभार्थियों की सूची में कई नाम ऐसे आ गए हैं जिन्हें मुफ्त स्वास्थ बीमा कवर की दूर-दूर तक कोई जरूरत नहीं है। राजेन्द्र अग्रवाल के अनुसार मेरठ में ही बागपत रोड स्थित पॉश कालोनी शम्भूनगर एवं आस-पास के कुछ परिवार आयुष्मान भारत के लाभार्थियों की सूची में दर्ज है। इस प्रकार के उदाहरण अन्यत्र भी बड़ी संख्या में विद्यमान हैं। राजेन्द्र अग्रवाल के अनुसार वो लोकसभा में नियम 377 के अंतर्गत सभापति के माध्यम से सरकार से जांच कराए जाने का अनुरोध भी कर चुके हैं।

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जिला नागरिक परिषद के पूर्व सदस्य कुंवर शुजाअत अली कहते हैं कि मेरठ के वार्ड 46 की सूची में एक पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष ,चेंबर ऑफ कामॅर्स के एक पूर्व पदाधिकारी का पूरा परिवार भी शामिल है। इन सभी परिवारों की गिनती शहर के अमीरों में होती है। हालांकि इन लोगों ने अभी तक योजना का लाभ नही लिया है। अगर आयुष्मान योजना की जांच कराई जाए तो इस योजना में अधिकतर अपात्र लोगों को शामिल पाया जाएगा।

घोटाले उजागर

आयुष्मान में मरीज भर्ती घोटाले भी सामने आने लगे हैं। पिछले दिनों नेशनल हेल्थ अथॉरिटी की एंटी फ्रॉड कमेटी की जांच में कई अस्पतालों में फर्जी इलाज की बात सामने आई। गंगानगर स्थित अप्सनोवा में जांच के दौरान आइसीयू में एक ही आरएमओ मिला। आनंद अस्पताल में 300 बेड के दावों की जगह सिर्फ 250 बेड मिले, वहीं जगदंबा अस्पताल में ओपीडी के मरीजों को भर्ती दिखाया गया था। एंटी फ्रॉड टीम की पकड़ में आने के बाद शासन ने सभी 61 अस्पतालों की नए सिरे से जांच के लिए कहा है।

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केएमसी नर्सिग होम के सीएमडी डा. सुनील गुप्ता अस्पतालों में अनियमितता की शिकायतों पर की जाने वाली कार्रवाई का तो स्वागत करते हैं। लेकिन साथ उनका यह भी कहना है कि अस्पतालों के पैनल के रुके पैसों के भुगतान की भी बात होनी चाहिए। डा. सुनील गुप्ता कहते हैं, संपन्न परिवारों ने भी अपना नाम लाभार्थियों में शामिल करवाया, जिससे अस्पतालों में नकद का फ्लो बंद हो गया है। आइएमए अध्यक्ष डा. शिशिर जैन कहते हैं,प्रधानमंत्री की सोच अच्छी है, किंतु इसमें पैकेज का रेट इतना कम होने से चंद अस्पतालों ने भ्रष्टाचार की गुंजाइश बनाई। प्राइवेट मेडीक्लेम की तरह सरकार भी अस्पतालों पर कड़ाई से सर्विलांस रखे।

‘जब इस योजना के लिए आवेदन लिए गए होंगे तभी शायद उसमें अपात्र लोगों के नाम चले गए हों। कुछ ऐसे भी हैं जो 2011 की जनगणना में गरीब थे और बाद में अमीर हो गए। इस योजना में बीपीएल, अंत्योदय और एससी-एसटी सभी परिवार शामिल हैं। अब आवेदन व पात्रता की जांच होगी तभी इस योजना में शामिल किया जाएगा।’

- डॉ.राज कुमार चौधरी,

मेरठ के मुख्य चिकित्सा अधिकारी

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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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