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सीएम से बिजली कर्मचारियों ने की ये मांग, करे निजीकरण के प्रस्ताव को निरस्त

विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से पूर्वाचंल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के प्रस्ताव को निरस्त कराने के लिए हस्तक्षेप की अपील की है।

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Published on: 17 Sep 2020 11:01 AM GMT
सीएम से बिजली कर्मचारियों ने की ये मांग, करे निजीकरण के प्रस्ताव को निरस्त
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सीएम से बिजली कर्मचारियों ने की ये मांग, करे निजीकरण के प्रस्ताव को निरस्त (social media)

लखनऊ: विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से पूर्वाचंल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के प्रस्ताव को निरस्त कराने के लिए हस्तक्षेप की अपील की है। संघर्ष समिति ने निजीकरण के विरोध में अनिश्चितकालीन आंदोलन चलाने का फैसला करते हुए कहा है कि अगर पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के विघटन व निजीकरण का फैसला वापस न लिया गया और इस दिशा में सरकार की ओर से कोई भी कदम उठाया गया तो ऊर्जा निगमों के तमाम बिजली कर्मचारी, जूनियर इंजीनियर व अभियंता उसी समय बिना और कोई नोटिस दिए अनिश्चित कालीन आंदोलन शुरू करेंगे, जिसमें पूर्ण हड़ताल भी शामिल है।

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संघर्ष समिति के संयोजक शैलेन्द्र दुबे ने गुरुवार को कहा

संघर्ष समिति के संयोजक शैलेन्द्र दुबे ने गुरुवार को कहा कि निजीकरण का निर्णय संघर्ष समिति और ऊर्जा मंत्री की उपस्थिति में 05 अप्रैल 2018 को हुए समझौते का खुला उल्लंघन है जिसमें साफ कहा गया है कि बिजली कर्मचारियों को विश्वास में लिए बगैर प्रदेश में ऊर्जा क्षेत्र का कोई निजीकरण नहीं किया जाएगा। संघर्ष समिति ने प्रदेश सरकार और प्रबंधन से विगत में किए गए निजीकरण के प्रयोगों की विफलता की समीक्षा करने की अपील की किंतु प्रबंधन निजीकरण और फ्रेंचाइजीकरण की विफलता पर कोई समीक्षा करने को तैयार नहीं है।

उन्होंने विघटन और निजीकरण दोनों की ही विफलता पर सवाल खड़ा करते हुए कहा

दुबे ने बताया कि सरकार के प्रस्ताव के अनुसार पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम का विघटन कर तीन छोटे निगम बनाए जाएंगे और उनका निजीकरण किया जाएगा। उन्होंने विघटन और निजीकरण दोनों की ही विफलता पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि जब वर्ष 2000 में उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत परिषद का विघटन किया गया था तब सालाना घाटा मात्र 77 करोड़ रुपये था। विघटन के बाद कुप्रबंधन और सरकार की गलत नीतियों के चलते यह घाटा अब बढ़कर 95,000 करोड़ रुपये से अधिक हो गया है।

electricity electricity (social media)

इन प्रयोगों के चलते पावर कार्पोरेशन को अरबों-खरबों रुपए का घाटा हुआ

इसी प्रकार ग्रेटर नोएडा में निजीकरण और आगरा में फ्रेंचाइजीकरण के प्रयोग भी पूरी तरह विफल साबित हुए हैं। दिसंबर 1993 में ग्रेटर नोएडा क्षेत्र का निजीकरण किया गया और अप्रैल 2010 में आगरा शहर की बिजली व्यवस्था टोरेन्ट फ्रेंचाइजी को दी गई और यह दोनों ही प्रयोग विफल हो चुके हैं। इन प्रयोगों के चलते पावर कार्पोरेशन को अरबों-खरबों रुपए का घाटा हुआ है और हो रहा है। ऐसे में सवाल उठता है कि इन्हीं विफल प्रयोगों को एक बार फिर पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम पर क्यों थोपा जा रहा है।

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उन्होंने बताया कि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के विरोध में बीती 01 सितंबर से पूर्वांचल के सभी जनपदों में विरोध सभाओं का क्रम चल रहा है। अब 18 सितम्बर से राजधानी लखनऊ सहित प्रदेश के सभी जनपदों तथा परियोजनाओं में बिजली कर्मचारियों, संविदा कर्मियों, जूनियर इंजीनियरों और अभियंताओं की विरोध सभाएं प्रत्येक कार्य दिवस पर होंगी। इस दौरान संघर्ष समिति के केंद्रीय पदाधिकारी 21 सितम्बर से 20 अक्टूबर तक पूरे प्रदेश में मंडल मुख्यालयों पर विरोध सभाएं कर कर्मचारियों और उपभोक्ताओं को जागरूक करेंगे। इसके साथ ही प्रदेश भर में जन प्रतिनिधियों को निजीकरण के विरोध में ज्ञापन देंगे।

मनीष श्रीवास्तव

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