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भक्ति की शक्ति! महिला ने रखा था 27 साल का व्रत, फैसला आया तो किया ये काम...    

जबलपुर की निवासी उर्मिला चतुर्वेदी सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से काफी खुश हैं, क्योंकि राम मंदिर निर्माण का संकल्प लेकर वर्ष 1992 में जो उपवास उन्होंने शुरू किया था, वह अब पूरा हो गया है। पिछले 27 साल से उपवास कर रहीं उर्मिला अभी 87 साल की हैं, लेकिन उनका संकल्प अब भी मजबूत है।

SK Gautam
Published on: 10 Nov 2019 4:17 PM GMT
भक्ति की शक्ति! महिला ने रखा था 27 साल का व्रत, फैसला आया तो किया ये काम...    
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जबलपुर: इंतजार... इंतजार... इंतजार...और अब ख़त्म हो गया इंतजार... यह कहानी है एक ऐसी निष्ठावान महिला की जिनकी तीव्र इच्छा थी कि अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण हो, इसके लिए उन्होंने दशकों इंतजार किया, आखिर वो समय आ ही गया जब सुप्रीम कोर्ट ने राम जन्मभूमि विवाद से संबंधित फैसला सुनाया।

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कौन हैं ये महिला...

जबलपुर की निवासी उर्मिला चतुर्वेदी सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से काफी खुश हैं, क्योंकि राम मंदिर निर्माण का संकल्प लेकर वर्ष 1992 में जो उपवास उन्होंने शुरू किया था, वह अब पूरा हो गया है। पिछले 27 साल से उपवास कर रहीं उर्मिला अभी 87 साल की हैं, लेकिन उनका संकल्प अब भी मजबूत है। वह कहती हैं कि उपवास के पीछे उनका सिर्फ एक मकसद था कि अयोध्या में मंदिर का निर्माण होते देख सकें। और उनकी इस इच्छा के पूरा होने का समय आ ही गया।

1992 के खून-खराबे को देखकर लिया था संकल्प

हम आपको बता दें कि 87 साल की उर्मिला चतुर्वेदी ने वर्ष 1992 के बाद अन्न ग्रहण नहीं किया है। जबलपुर के विजय नगर इलाके की रहने वाली उर्मिला चतुर्वेदी बताती हैं कि विवादित ढांचा टूटने के दौरान देश में दंगे हुए, खून-खराबा हुआ। हिंदू-मुस्लिम भाइयों ने एक-दूसरे का खून बहाया।

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ये सब देख उर्मिला चतुर्वेदी बेहद दुखी हुईं। उस दिन उन्होंने संकल्प ले लिया कि वह अब अनाज तभी खाएंगी, जब देश में भाईचारे के साथ अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण कराया जाएगा। इस बीच मामला अदालत में चलता रहा। जब 9 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया तो उर्मिला चतुर्वेदी की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। फैसला सुनते ही उन्होंने भगवान राम को साष्टांग प्रणाम किया।

सिर्फ इनके सहारे रखा उपवास

उर्मिला ने बताया कि 27 साल के उपवास के बाद उन्हें सफलता मिली है। इन वर्षों के दौरान उन्हें कई परेशानियों का सामना भी करना पड़ा है। उपवास का संकल्प लेने की वजह से वह अपने रिश्तेदारों और समाज से दूर हो गईं थी। लोगों ने कई बार उन पर उपवास खत्म करने का भी दबाव बनाया, तो कई ने मजाक भी उड़ाया। लेकिन ऐसे लोग भी थे जिन्होंने उनके आत्मविश्वास और साधना की तारीफ की और उन्हें कई बार सार्वजनिक मंच से सम्मानित किया।

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महज केले और चाय के सहारे 27 साल का लंबा सफर तय करने के बाद उर्मिला चतुर्वेदी अब नए उत्साह के साथ अयोध्या में मंदिर निर्माण पूरा होने की प्रतीक्षा कर रही हैं।

राम का दर्शन कर अयोध्या में ही खोलेंगी उपवास

उर्मिला का कहना है कि वह सुप्रीम कोर्ट के पांचों न्यायाधीश का दिल से धन्यवाद देतीं हैं। उनकी इच्छा है कि वह अयोध्या में जाकर रामलला के दर्शन के बाद अपना उपवास खत्म करें बीते शनिवार को जब सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया तो उर्मिला के परिजनों ने उन्हें खाना खिलाने की कोशिश की, लेकिन उर्मिला ने साफ कह दिया कि वह उपवास अयोध्या में ही खोलेंगी।

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इधर, उर्मिला चतुर्वेदी के परिजनों ने कहा कि इतनी उम्र होने के बावजूद उनके अंदर ऊर्जा की कमी नहीं है। हालांकि वह कुछ कमजोर जरूर हो गई हैं, लेकिन राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले की खबर सुनते ही उनका आत्मविश्वास और उत्साह सातवें आसमान पर पहुंच गया था।

ये कहा जा सकता है की अयोध्या के इस विवादित मामले के एतिहासिक फैसले ने लोगों की आस्था को और बल दिया है। और लोगों का न्याय प्रक्रिया पर विश्वास मजबूत हुआ है।

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