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जानना है भ्रूण का लिंग तो इस पहाड़ी पर फेंके पत्थर, पता चलेगा लड़का है या लड़की

वैसे तो सभ्य समाज में बेटा हो या बेटी कहा जाता है दोनों बराबर होते हैं, लेकिन प्रेग्नेंसी के वक्त हर कोई जानने को उत्सुक रहता है कि गर्भ में पल रहा शिशु का लिंग क्या है मेल या फीमेल। गर्भ में पल रहे बच्चे को लेकर हर किसी को क्यूरिसटी होती है  इसके लिए देश में कई तरह की परंपराएं प्रचलित है

Suman  Mishra
Published on: 15 July 2020 6:13 AM IST
जानना है भ्रूण का लिंग तो इस पहाड़ी पर फेंके पत्थर, पता चलेगा लड़का है या लड़की
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लखनऊ: वैसे तो सभ्य समाज में बेटा हो या बेटी कहा जाता है दोनों बराबर होते हैं, लेकिन प्रेग्नेंसी के वक्त हर कोई जानने को उत्सुक रहता है कि गर्भ में पल रहा शिशु का लिंग क्या है मेल या फीमेल। गर्भ में पल रहे बच्चे को लेकर हर किसी को क्यूरिसटी होती है इसके लिए देश में कई तरह की परंपराएं प्रचलित है जो लिंग का पता लगाने में मदद करती है। जैसे झारखंड के बेड़ों प्रखंड के खुखरा गांव में मां के गर्भ में पल रहे बच्चे का लिंग पता करने की एक अनोखी परम्परा पिछले 400 सालों से चली आ रही है।

गर्भ में पल रहे बच्चे का लिंग जानने के लिए लोग सोनोग्राफी का सहारा लेते हैं, हालांकि सरकार ने इसे निषेध कर रखा है और यह कानूनी तौर पर अपराध भी है हालांकि तकनीकी के इस युग में झारखंड के लोग भ्रूण का लिंग जानने के लिए सोनोग्राफी नहीं कराते बल्कि एक पहाड़ से ये बात जानने की कोशिश करते हैं। जो गर्भ में पल रहे नवजात लड़का है या लड़की इस बारे में जानकारी देती है।

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पजहरी पहाड़ी

खुखरा गांव में एक पहाड़ है जो पजहरी पहाड़ी के नाम से जाना जाता हैं। जिस पर एक चांद की आकृति खुदी हुई है, इसलिए इसे चांद पहाड़ भी कहते हैं। पहाड़ पर खुदी चांद की आकृति बता देती है की मां के गर्भ में पल रहा बच्चा बेटा है या बेटी। गर्भस्थ शिशु का लिंग पता करने के लिए गांव की गर्भवती महिलाओं को इस पहाड़ की ओर चांद की आकृति पर निश्चित दूरी से बस एक पत्थर फेंकना होता है। अगर गर्भवती स्त्री के हाथ से छूटा पत्थर चांद के भीतर लगे तो यह संकेत है कि बालक शिशु होगा, चांद आकृति से बाहर पत्थर लगने पर बालिका शिशु होगी।

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इस परम्परा पर यहां के ग्रामवासियों का अटूट विश्वास उनके अनुसार यह हमेशा सही होता है। चांद पहाड़ मूल रूप से नागवंशी राजाओं के मनोरंजन पार्क के रूप में विकसित किया गया था। पहाड़ के ऊपर शिवलिंग और कुंड जैसी आकृतियां गवाह हैं कि वहां नागवंशी राजा पूजा पाठ भी करते थे। इसके ठीक बगल में चांदनी पहाड़ है, जहां नागवंशी रानियां विहार करती थीं।

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Suman  Mishra

Suman Mishra

एस्ट्रोलॉजी एडिटर

मैं वर्तमान में न्यूजट्रैक और अपना भारत के लिए कंटेट राइटिंग कर रही हूं। इससे पहले मैने रांची, झारखंड में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में रिपोर्टिंग और फीचर राइटिंग किया है और ईटीवी में 5 वर्षों का डेस्क पर काम करने का अनुभव है। मैं पत्रकारिता और ज्योतिष विज्ञान में खास रुचि रखती हूं। मेरे नाना जी पंडित ललन त्रिपाठी एक प्रकांड विद्वान थे उनके सानिध्य में मुझे कर्मकांड और ज्योतिष हस्त रेखा का ज्ञान मिला और मैने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए पढाई कर डिग्री भी ली है Author Experience- 2007 से अब तक( 17 साल) Author Education – 1. बनस्थली विद्यापीठ और विद्यापीठ से संस्कृत ज्योतिष विज्ञान में डिग्री 2. रांची विश्वविद्यालय से पत्राकरिता में जर्नलिज्म एंड मास कक्मयूनिकेश 3. विनोबा भावे विश्व विदयालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री

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