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जमातियों की मदद करने वाले प्रो. शहीद की बढ़ी मुश्किलें, जांच के लिए टीम गठित
प्रोफेसर शाहिद को महामारी एक्ट के तहत गिरफ्तार करके पहले ही जेल भेजा जा चुका है। वहीं यूनिवर्सिटी प्रशासन ने अब प्रोफेसर शाहिद के खिलाफ मामले की जांच के लिए कमेटी का गठन कर दिया है।
प्रयागराज: कोरोना वायरस का प्रकोप थमने का नाम नहीं ले रहा है। पूरी दुनिया इस समय वायरस से जंग लड़ रही है। भारत में हालात बहुत ही ज्यादा अच्छे नहीं है। हालांकि अन्य देशों के मुकाबले स्थिति थोड़ी बेहतर है।
अभी तक कोरोना के जो केस मिले हैं। उसमें तबलीगी जमात के लोग ज्यादा है। ऐसे में विदेशी जमातियों की मदद करने के आरोपी इलाहाबाद सेन्ट्रल यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर मोहम्मद शाहिद को सस्पेंड कर दिया गया है।
प्रोफेसर शाहिद को महामारी एक्ट के तहत गिरफ्तार करके पहले ही जेल भेजा जा चुका है। वहीं यूनिवर्सिटी प्रशासन ने अब प्रोफेसर शाहिद के खिलाफ मामले की जांच के लिए कमेटी का गठन कर दिया है।
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5 प्रोफेसरों की टीम करेगी जांच
कुलपति प्रोफेसर आरआर तिवारी ने पांच प्रोफेसरों की कमेटी को जांच सौंप दी है। जांच रिपोर्ट कार्य परिषद की बैठक में रखी जायेगी। इसी रिपोर्ट के आधार पर प्रोफेसर मोहम्मद शाहिद के निलंबन के बाद की कार्रवाई होगी। बता दें प्रोफेसर मो शाहिद पर विदेशी जमातियों की मदद का आरोप लगा था।
उनके खिलाफ महामारी छिपाने, विदेशी जमाती की मदद के साथ ही फारेनर्स एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज हुआ था। पुलिस ने 21 अप्रैल को प्रोफेसर और 16 विदेशी जमातियों समेत 30 लोगों को जेल भेजा था।
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इन बिन्दुओं पर होगी जांच
सूत्रों के मुताबिक यह कमेटी कई बिंदुओं पर जांच करेगी। कमेटी देखेगी कि इससे पूर्व प्रो. मोहम्मद शाहिद कब-कब विदेश गए? देश से बाहर जाने के लिए उन्होंने विश्वविद्यालय प्रशासन ने अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनपओसी) लिया था कि नहीं?
विदेश जाने से पहले प्रोफेसर ने विश्वविद्यालय को सूचना दी थी या नहीं? जांच कमेटी में राजनीति विज्ञान की विभागाध्यक्ष प्रो. अनुराधा अग्रवाल को इसलिए शामिल किया गया है कि ताकि वह बताएं कि प्रोफेसर विभाग में समय से पाठ्यक्रम पूूरा करा पा रहे थे या नहीं?
अपने सहयागियों के साथ उनका व्यवहार कैसा है और विभागाध्यक्ष की ओर से दिए गए कार्यों को समय से पूरा करते हैं या नहीं। प्रोफेसर का अपने शोधार्थियों और विभाग के अन्य छात्रों के साथ कैसा व्यवहार है, इस बिंदु की जांच भी की जाएगी और जरूरत पड़ने पर कुछ छात्रों के बयान भी दर्ज किए जा सकते हैं।
प्रोफेसर ने कब-कब छुट्टी ली और इसके लिए आवेदन पत्र दिया था या नहीं, इसकी जांच भी होगी। इसके अलावा पुलिस की ओर से दर्ज एफआईआर में प्रोफेसर पर जो आरोप लगाए गए हैं, जांच कमेटी अपने स्तर से उसकी समीक्षा भी करेगी।
साथ ही प्रोफेसर मरकज में शामिल होने के लिए दिल्ली कब गए और वहां से कब लौटे, इस तथ्य की भी जांच की जाएगी। प्रोफेसर की पर्सनल फाइल भी खंगाली जाएगी। जांच के दौरान यह भी देखा जाएगा कि इससे पहले प्रोफेसर के खिलाफ कोई शिकायत हुई थी या नहीं?
क्या इससे पहले उनके खिलाफ कभी कोई कार्रवाई की गई है? उनकी छुट्टियों का विवरण भी खंगाला जाएगा। सूत्रों का कहना है कि पूर्व में एक बार बिना बताए विदेश जाने प्रोफेसर को वेतन रोक दिया गया था। कमेटी इस तथ्य की भी जांच करेगी।
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