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लाकडाउन-4.0 में मिली छूट पर इन कर्मचारियों का दर्द है अलग

कर्मचारियों का कहना है कि लाकडाउन से पहले वह सार्वजनिक परिवहन से कार्यालय आते थे लेकिन अब लाकडाउन के कारण सभी सार्वजनिक वाहन बंद है। इनमे से कई ऐसे है जिनकों वाहन चलाना नहीं आता है।

SK Gautam
Published on: 20 May 2020 12:24 PM GMT
लाकडाउन-4.0 में मिली छूट पर इन कर्मचारियों का दर्द है अलग
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लखनऊ: कोरोना वायरस के कारण पूरे देश में लागू लॉकडाउन का चैथा चरण चल रहा है। लाकडाउन के चैथे चरण में सरकार ने काफी छूट दी है। जिसके तहत अब सरकारी व निजी कार्यालयों को 50 प्रतिशत कर्मचारियों के साथ खोलने की छूट भी मिल गई है। लेकिन कुछ कर्मचारियों का दर्द अलग ही है।

इन कर्मचारियों का कहना है कि लाकडाउन से पहले वह सार्वजनिक परिवहन से कार्यालय आते थे लेकिन अब लाकडाउन के कारण सभी सार्वजनिक वाहन बंद है। इनमे से कई ऐसे है जिनकों वाहन चलाना नहीं आता है। इनका कहना है कि वह अगर किसी और के साथ आते है तो ट्रैफिक पुलिस उसका चालान कर रही है, क्योंकि दोपहिया वाहन पर सिर्फ सवारी के लिए ही अनुमति है, पीछे नहीं बैठ सकते हैं।

सार्वजनिक वाहन नहीं चलने के कारण मुश्किल

सचिवालय में काम करने वाले एक कर्मचारी ने बताया कि उन्होंने जीवन में कभी वाहन नहीं चलाया, कार्यालय आने के लिए सार्वजनिक वाहन का या किसी मित्र के साथ उसके वाहन में आने का सहारा लेते रहे हैं। लेकिन अब दिक्कत यह है कि सार्वजनिक वाहन कोई चल नहीं रहा है, एक मित्र के साथ दोपहिया वाहन पर बैठकर कार्यालय आये तो रास्ते में ट्रैफिक पुलिस वाले ने उन्हें जो नियम का पाठ पढ़ाया कि उनके कम उन्हें लाने वाले साथी कर्मचारी के होश फाख्ता हो गये, क्योंकि वाहन उसी का था, चालान भरने की जिम्मेदारी भी उन्हीं की बनती थी। हालांकि यह भी देखा गया कि दोपहिया वाहन पर पीछे बैठी सवारी अगर महिला है, तो उन्हें ट्रैफिक पुलिस वाले कुछ नहीं कह रहे हैं।

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विशेष परिस्थिति में कुछ ऑटो वालों को अनुमति देना चाहिए

इन कर्मचारियों का कहना है कि सरकार ऐसी विशेष परिस्थिति में कुछ ऑटो वालों को अनुमति दे दे तो उनका काम बन सकता है, उनके घर से सचिवालय की दूरी करीब 10 किलोमीटर है, इसलिए पैदल आने के बारे में भी वह नहीं सोच सकते। इसके अतिरिक्त एक और विकल्प यह हो सकता है कि विभाग की गाड़ी से लाने-वापस पहुंचाने की सुविधा मिले। उन्होंने जिला प्रशासन से अपील की है कि इन परिस्थितियों में कुछ ऐसा करें कि उन जैसे कर्मचारियों की मदद हो सके।

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