Vishv Bharti Award: प्रोफेसर हरि दत्त शर्मा को संस्कृत का सर्वोच्च विश्व भारती पुरस्कार

Vishv Bharti Award: अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान लखनऊ में प्रयागराज के प्रोफेसर हरिदत्त शर्मा को संस्कृत के सर्वोच्च विश्व भारती पुरस्कार से नवाजा गया।

Vertika Sonakia
Published on: 30 March 2023 10:30 AM GMT (Updated on: 30 March 2023 10:36 AM GMT)
Vishv Bharti Award: प्रोफेसर हरि दत्त शर्मा को संस्कृत का सर्वोच्च विश्व भारती पुरस्कार
X
Professor Hari Dutt Sharma (photo: social media )

Vishv Bharti Award: सर्वोच्च विश्व भारती पुरस्कार पाकर प्रोफेसर शर्मा संस्कृत विषय के विचार प्रसार के लिए आगे और अनेक कार्य करना चाहतें है । यह सम्मान पाकर मेरा नहीं बल्कि संस्कृत का गौरव बढ़ा है ।

अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान लखनऊ में प्रयागराज के प्रोफेसर हरिदत्त शर्मा को संस्कृत के सर्वोच्च विश्व भारती पुरस्कार से नवाजा गया। संस्कृत संस्थान के वार्षिक पुरस्कार कार्यक्रम के दौरान प्रोफेसर भारती को यह सम्मान दिया गया ।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर प्रमुख सचिव भाषा जितेंद्र कुमार मौजूद थे । कार्यक्रम का शुभारम्भ करते हुए वह कहते है “आज की 21वी सदी में इन विद्वानों ने संस्कृत भाषा का अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रचार प्रसार ही नहीं बल्कि हिंदी के साथ साथ संस्कृत का भी गौरव बढ़ाया है । युवा पीढ़ी को इन विद्वानो से सीख लेकर बड़े स्तर पर संस्कृत का अध्ययन करना चाहिए ।”

विश्व भारती पुरस्कार के मायने

संस्कृत विश्व भारती पुरस्कार से एक 60 वर्ष के व्यक्ति को नवाजा जाता है जिन्होंने देश विदेश में संस्कृत के प्रचार प्रसार के लिए अनेक कार्य कर उसे एक ऊंचें ओहडे तक पहुँचाया हो ।

विश्व भारती पुरस्कार से सम्मानित

प्रयागराज के प्रोफेसर हरि दत्त शर्मा को संस्कृत के सर्वोच्च विश्व भारती पुरस्कार से नवाजा गया । पुरस्कार के साथ ही उन्हें 5.01 लाख रुपए के चेक से सम्मानित किया गया । सम्मान पाकर प्रोफेसर शर्मा कहते है “विश्व भारती पुरस्कार मिलने से संस्कृत का मान बढ़ा है । यह संस्कृत की लंबे समय तक सेवा का प्रतिफल है । ये सम्मान पाकर रुकना नहीं है बल्कि संस्कृत को और नए पैगामो तक पहुंचाना है ।”

संस्कृत के छात्रों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तुति

कार्यक्रम में संस्कृत के छात्रों द्वारा स्वस्तिवचन, वेदिक मंत्र और संस्कृत के गीत प्रस्तुत किये गए । युवा पीढ़ी ने इन गीतों को सुनाकर संस्कृत का सम्मान और बढ़ा दिया ।

अन्य विद्वान भी सम्मानित

कार्यक्रम के दौरान प्रोफेसर हरिदत्त शर्मा के साथ विद्वान कामता प्रसाद त्रिपाठी ’पीयूष’ को महर्षि वाल्मीकि पुरस्कार और 2 लाख रुपए से नवाजा गया । वही नवलता जी को महर्षि व्यास पुरस्कार और 2 लाख रुपए से सम्मानित किया गया । इस पुरस्कार से सम्मानित होकर दोनों विद्वान गौरव की अनुभूति कर रहे थे । यह पुरस्कार पाकर दोनों विद्वान कहते है “संस्कृत का इतना प्रचार प्रसार करना है की युवा पि ली संस्कृत भाषा को अपनाएं और हिंदी के साथ साथ बड़ी कक्षा में संस्कृत विषय को भी पढ़े और समझे । यूपी बोर्ड के अलावा अन्य बोर्ड में भी आठवीं कक्षा के बाद संस्कृत विषय को पढ़ाया जाना चाहिए ।”

Vertika Sonakia

Vertika Sonakia

Next Story