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जनता की सेवा हमारे लिए परमेश्वर की पूजा के समान : बृजेश पाठक

raghvendra
Published on: 8 Nov 2019 3:11 PM IST
जनता की सेवा हमारे लिए परमेश्वर की पूजा के समान : बृजेश पाठक
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लखनऊ: छात्र राजनीति के सहारे सत्ता के गलियारे तक पहुंचने वाले बृजेश पाठक प्रदेश की राजनीति में एक जाना पहचाना नाम हैं। पूर्व लोकसभा एवं राज्यसभा सदस्य होने के बाद वो अब लखनऊ मध्य के विधायक हैं। हर जरुरतमंद को भइया कहकर उसकी परेशानी को जानने वाले बृजेश पाठक योगी सरकार में मंत्री के तौर पर विधायी,न्याय एवं ग्रामीण अभियंत्रण विभाग की जिम्मेदारी निभा रहे हैं। बृजेश पाठक का कहना है कि जनता की सेवा ही हमारे लिए परमेश्वर की पूजा समान है। हाल ही में ‘अपना भारत’ के श्रीधर अग्निहोत्री ने उनसे बातचीत की। पेश है कैबिनेट मंत्री बृजेश पाठक से हुई बातचीत के प्रमुख अंश।

आपकी दिनचर्या क्या है और सरकार में बड़ी जिम्मेदारी निभाने के बीच क्षेत्रीय जनता के लिए कैसे वक्त निकालते हैं?

सुबह पांच बजे उठता हूं, अखबार आदि पढक़र दैनिक क्रिया और पूजा पाठ में लग जाता हू। इसके बाद प्रात: आठ बजे से आवास पर लोगों का आना शुरू हो जाता है। छात्र जीवन से ही सार्वजनिक जीवन जीने की आदत रही है। इसलिए अब इन सबकी अब आदत पड़ गयी है। लोगों की सेवा करने में बेहद संतोष मिलता है। इन लोगों ने जब से विधायक की जिम्मेदारी सौंपी है तब से क्षेत्र के विकास में भी जुटा हुआ हूं। अपने विधानसभा क्षेत्र की मलिन बस्तियों में बिजली व्यवस्था से लेकर पानी आपूर्ति तथा जलभराव आदि की व्यवस्था को बेहतर बनाने का काम किया है। जिन लोगों को स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें आती हैं उनके लिए एक टीम का गठन किया है जो ऐसे लोगों को अस्पताल तक ले जाने का काम करती है। जनता की सेवा करने से मुझे ताकत मिलती है। हालांकि अभी बहुत काम करने बाकी हैं।

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विधायी मंत्री के तौर पर न्याय व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए क्या किया जा सकता है?

प्रदेश में न्याय व्यवस्था मजबूत होगी तो विकास और सुशासन का रास्ता खुलेगा। हमने कहा है कि शासकीय अधिवक्ता विभागीय अधिकारियों से आपसी सामंजस्य और समन्वय स्थापित कर प्रत्येक मुकदमे की प्रभावी पैरवी करें। शासन से पत्राचार के दौरान शासकीय अधिवक्ता अपना मोबाइल नंबर और ई-मेल आईडी भी लिखें। किसी भी विभाग के बारे में कोई समस्या है तो विभाग के प्रमुख सचिव फोन के माध्यम से अवगत कराएं। ऐसा करने पर न्यायालय में मजबूती से शासन के मुकदमों की पैरवी की जा सकेगी। उत्तर प्रदेश सरकार राज्य कर्मियों के लंबित वादों के समाधान के प्रति पूरी तरह संवेदनशील है। सरकार ने कर्मचारियों के सेवा संबंधी वादों के निराकरण के लिए शासन स्तर पर गठित फोरम को सक्रिय किया है।

इन फोरमों की क्या भूमिका है?

न्याय विभाग के अनुश्रवण प्रकोष्ठ द्वारा प्रदेश भर में चार फोरमों का गठन किया गया है, जिसमें कर्मचारी संगठन का एक सदस्य, मुख्य सचिव द्वारा नामित विशेष सचिव स्तर का एक अधिकारी, उच्च न्यायालय में स्थायी अधिवक्ता स्तर का एक अधिवक्ता, विभागीय प्रमुख सचिव तथा न्याय, कार्मिक विभाग का विशेष सचिव स्तर का एक अधिकारी सदस्य सचिव के रूप में नामित है। इन फोरमों में आपसी सुलह समझौते के आधार पर विवादों का निस्तारण किया जाएगा।

लोक अदालत के गठन को लेकर राज्य सरकार ने क्या कदम उठाए हैं?

यूपी देश का पहला राज्य है जहां सभी जनपदों में लोक अदालतें हैं। जनपदों से लेकर तहसील तक लोक अदालतें लगाने का फैसला किया गया है ताकि लोगों की समस्याओं का निस्तारण जल्द से जल्द हो जाए। यूपी में इसे पहली बार 1985 में आयोजित किया गया। अब योगी जी के नेतृत्व में प्रदेश के सभी जनपदों में लोक अदालतों का गठन किया जा रहा है। लोक अदालत में सभी सुलह योग्य वाद निपटाए जाएंगे। लोक अदालत में समझौते से कोर्ट फीस भी वापस हो जाती है। प्रदेश के 41 में अभी जिला न्यायालय कार्यशील नहीं थे। जनपद की सभी तहसीलों में लोक अदालतों का आयोजन किया जा रहा है। लोक अदालत की खास बात यह है कि इसके फैसलों को चुनौती नहीं दी जा सकती। यह समझौते के आधार पर अपना निर्णय देती है। अभी तक 71 जिलों में लोकअदालतों का गठन हो चुका है।

क्या आप मानते हैं कि यूपी में मुकदमों की संख्या बहुत है और जनता को न्याय मिलने में देरी होती है?

यह बात सही है कि प्रदेश में मुकदमों की संख्या काफी अधिक है, लेकिन जजों के अभाव में वादकारियों को न्याय मिलने में काफी देरी होती है। एक अनुमान के अनुसार प्रदेश में 40 लाख से अधिक मुकदमे लंबित हैं मगर जजों के अभाव में इन मुकदमों की सुनवाई नहीं हो पा रही है। जल्द ही प्रदेश में 610 सिविल जजों की भर्ती की प्रक्रिया होनी बाकी है। राज्य सरकार लंबित मुकदमों को लेकर गंभीर है।

महिलाओं को अति शीघ्र न्याय दिलाने के लिए 110 पारिवारिक अदालतें खोलने की तैयारी चल रही है। 100 फास्ट टैक कोर्ट महिलाओं के लिए और 25 फास्ट ट्रैक कोर्ट एससी/एसटी के लिए बनाए जाएंगे। वहीं मेरठ, आगरा, कानपुर, लखनऊ और बरेली में कॉमर्शियल कोर्ट का गठन किया जा रहा है। इनमें टैक्स से जुड़े मामलों की त्वरित सुनवाई होगी।

आपके पास ग्रामीण अभियंत्रण विभाग की भी जिम्मेदारी है, यह विभाग किस तरह से अपना कार्य करता है?

ग्रामीण अभियंत्रण विभाग प्रदेश सरकार का महत्वपूर्ण अंग है। गांव के सर्वांगीण विकास के लिए यह विभाग विभिन्न निर्माण कार्य कर रहा है। प्रदेश एवं केन्द्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं को धरातल पर लाने में ग्रामीण अभियंत्रण विभाग महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अभियंताओं को ग्रामीणों के बीच में रहकर और उनसे सामंजस्य बनाकर अपने कार्यों को करना पड़ता है। कभी-कभी विपरीत परिस्थितियों में भी कार्य करना पड़ता है। विभाग के पास अपना कोई बजट नहीं होता है। वह दूसरे विभागों से काम लेकर उन्हें पूरा करता है।

विभाग की ओर से शासन की योजनाओं के तहत सुदूर ग्रामीण अंचलों में सडक़ों एवं भवनों का निर्माण कराया जाता हे। यह विभाग अन्य शासकीय विभागों द्वारा डिपाजिट मद में उपलब्ध करायी गयी धनराशि के तहत निर्माण कार्य कराता है। प्रधानमंत्री ग्राम सडक़ योजना और आंगनबाड़ी केन्द्रों के निर्माण का काम हमारा विभाग ही कर रहा है।

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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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