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कासगंज कांड में पुलिस से कहां हुई चूक, बिकरू कांड से सबक लेना चाहिए था
कासगंज मामले में पुलिस पर लापरवाही के आरोप लग रहे हैं। दरअसल, ऐसा कहा जा रहा है कि पुलिस ने बिकरू कांड के बाद भी सबक क्यों नहीं लिया। इतने बड़े हिस्ट्रीशीटर को पकड़ने के लिए पर्याप्त पुलिस फोर्स क्यों नहीं भेजी गई।
कासगंज: उत्तर प्रदेश के कासगंज जिले में मंगलवार को हुई घटना ने कानपुर के बिकरु कांड की याद दिला दी है। कल रात अवैध शराब का कारोबार करने वाले शराब माफियाओं पर कार्रवाई करने गई पुलिस पर ही हमला बोल दिया गया। इस घटना के बाद प्रशासन में हड़कंप मच गया है। ठीक इसी तरह कुछ बिकरु में हुआ था, जब यूपी पुलिस हिस्ट्रीशीटर बदमाश विकास दुबे को पकड़ने पहुंची थी।
क्या है पूरी घटना?
अगर ताजे मामले की बात करें तो बीती रात नगला धीमर गांव में एक हिस्ट्रीशीटर बदमाश की तलाश में गई पुलिस के सिपाही और दारोगा को बंधक बनाकर शराब माफिया, हिस्ट्री शीटर और उसके गुर्गों ने उनकी बेरहमी से पिटाई की। उन पर वार करने के लिए लाठी, डंडों और नुकीले हथियारों का भी इस्तेमाल किया गया। इस दौरान एक सिपाही देवेंद्र की पीट-पीट कर हत्या कर दी गयी, जबकि दारोगा अशोक को लहूलुहान कर दिया गया।
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(फोटो- सोशल मीडिया)
लहूलुहान हालत में मिले दारोगा
घटना को अंजाम देने के बाद सभी आरोपी मौके से फरार हो गए। वहीं, पुलिस की कई घंटे के तलाश के बाद दारोगा जंगल में लहूलुहान हालत में मिले, तो वहीं सिपाही का शव अर्धनग्न हालत में पाया गया। इस सनसनीखेज वारदात की सूचना मिलने के बाद अधिकारियों के साथ कई थानों की पुलिस फोर्स जंगलों में पहुंची। मृतक सिपाही का शव पोस्टमार्टम के लिए पहुंचाया और घायल दारोगा को अलीगढ़ मैडिकल कॉलेज में भर्ती कराया।
अनजान व्यक्ति ने दी थी जानकारी
पुलिस हमलावरों की तलाश में जुटी हुई है। आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए पुलिस की आधा दर्जन से अधिक टीमें गठित कर दी गई हैं। मिली जानकारी के मुताबिक, पुलिसकर्मियों को बंधक बनाकर उनके साथ मारपीट करने की जानकारी किसी अनजान व्यक्ति ने सीओ पटियाली को फोन करके दी थी। दारोगा अशोक को आरोपियों ने मरा समझकर छोड़ दिया था, जबकि एक सिपाही देवेंद्र की पीटकर हत्या कर दी गई।
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(फोटो- सोशल मीडिया)
देवेन्द्र साल 2015 में ही पुलिस के खेमे में शामिल हुए थें। जबकि उनकी शादी 2016 में हुई थी। देवेंद्र की दो बेटियां है, जिसमें से एक ढाई साल की और दूसरी 4 महीने की है। देवेंद्र की मौत का पत्नी को गहरा सदमा लगा है, जबकि इस खबर से पूरा गांव शोक में डूबा हुआ है।
पुलिस पर लापरवाही के आरोप
वहीं, कासगंज मामले में पुलिस पर लापरवाही के आरोप लग रहे हैं। दरअसल, ऐसा कहा जा रहा है कि पुलिस ने बिकरू कांड के बाद भी सबक क्यों नहीं लिया। इतने बड़े हिस्ट्रीशीटर को पकड़ने के लिए पर्याप्त पुलिस फोर्स क्यों नहीं भेजी गई। जब पुलिस को इस बात की खबर थी कि मुख्य आरोपी मोतीलाल दुर्दांत अपराधी और हिस्ट्रीशीटर है और अवैध शराब के कारोबार में लिप्त है तो केवल दो पुलिसकर्मियों को ही क्यों भेज दिया गया।
अपराधी के खिलाफ 11 अपराधिक मुकदमे दर्ज
अगर हिस्ट्रीशीटर को पकड़ने के लिए पर्याप्त संख्या में पुलिस फोर्स जातीतो शायद बिकरू कांड जैसी घटना फिर ना दोहराई जाती। कासगंज के नगला धीमर गांव में कच्ची शराब का कारोबार बहुत ही जोरोशोर से चलता है। यह कारोबार मोतीलाल के अंडर में होता है। पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, मोतीलाल पर करीब 11 अपराधिक मुकदमे पहले से दर्ज हैं और एक मुकदमे में ये वंछित है।
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