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मिल गए 98 साल के 'चने बेचने वाले बाबा', Newstrack को सुनाई अपनी दर्दभरी दास्तां

जिस उम्र में इंसान को अपने आस-पास अपनों की मौजूदगी चाहिये होती है, उस आयु में एक शख़्स सड़क पर चने बेचने को मज़बूर है। हम बात कर रहे हैं रायबरेली के हरचंदपुर थाना क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले कंडोरा गांव के एक शख़्स की, जिसे गांव के लोग 'विजय पाल सिंह' के नाम से जानते हैं।

Vidushi Mishra
Published on: 28 Feb 2021 11:31 AM GMT
मिल गए 98 साल के चने बेचने वाले बाबा, Newstrack को सुनाई अपनी दर्दभरी दास्तां
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विजय पाल की उम्र अगर आपको पता चलेगी, तो शायद आप के पैरों तले जमीन खिसक जाये। इस चने बेचने वाले बूढ़े शख़्स की उम्र है 98 वर्ष। बिल्कुल सही पढ़ा आपने।

रायबरेली। जिस उम्र में लोगों को आराम करना चाहिये, जिस उम्र में कई मानुष स्वर्ग सिधार चुके होते हैं, जिस उम्र में इंसान को अपने आस-पास अपनों की मौजूदगी चाहिये होती है, उस आयु में एक शख़्स सड़क पर चने बेचने को मज़बूर है। हम बात कर रहे हैं रायबरेली के हरचंदपुर थाना क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले कंडोरा गांव के एक शख़्स की, जिसे गांव के लोग 'विजय पाल सिंह' के नाम से जानते हैं।

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98 साल जी चुके हैं विजय पाल

विजय पाल की उम्र अगर आपको पता चलेगी, तो शायद आप के पैरों तले जमीन खिसक जाये। इस चने बेचने वाले बूढ़े शख़्स की उम्र है 98 वर्ष। बिल्कुल सही पढ़ा आपने। 98 साल जी चुके हैं विजय पाल। और अब भी अपने सारे काम स्वयं करते हैं। यहां तक कि अपने जीवन-यापन का ख़र्च भी ख़ुद ही इक्कठा करते हैं।

जब 'न्यूज़ट्रैक' के रिपोर्टर नरेंद्र, विजय पाल सिंह के घर पहुंचे, तब वहां देखने को मिला कि ये शख़्स कैसे ज़िंदगी जी रहा है? विजय पाल के घर जाकर ये भी मालूम हुआ कि सरकार के दावे कितने सही हैं? इनके घर के बाहर न तो सही से नल की व्यवस्था है, न ही इनको आवास मिला, और न ही इन्हें शौचालय की सुविधा मिली। इनको देखकर ये महसूस हो रहा है कि गरीबों का साथी सिर्फ़ ख़ुदा ही होता है।

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न्यूज़ट्रैक संग बातचीत में इस बुजुर्ग ने अपनी ज़िंदगी के कड़वे सच से हम सभी को रूबरू कराया...

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विजय पाल सिंह भले ही किसी से कुछ न कहते हों, पर उनकी आंखें उन सारे दर्दों को बयां कर देती हैं, जो उन्होंने अपने मन में दबाये रखा है। किसी भी इंसान के लिये इस बात को सच मानना कितना कठिन है कि उसके अपने ही आज उसकी मदद नहीं कर रहे हैं।

मग़र, विजय पाल सिंह के जज़्बे को हम सलाम करते हैं और उनका हौसला हमें इस बात की प्रेरणा देता है कि ग़र मन में शिद्दत हो, अपने आप पर विश्वास हो, तो परिस्थितियां कैसी भी हों, आप जीतते हैं और लोगों के लिए इंस्पिरेशन बन जाते हैं।

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रिपोर्ट- शाश्वत मिश्रा - नरेंद्र सिंह

Vidushi Mishra

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