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दो जगह से राहुल के चुनाव लड़ने पर अमेठी में न ज्यादा शिकवा न ज्यादा ग़म

उनका कहना है कि राहुल गांधी इतने दिन सांसद रहते हुए,  अमेठी को समय नहीं दिया। अमेठी के विकास कार्य में रुचि नहीं लिया। उनके द्वारा कोई विकास कार्य  नहीं किया गया।  उनका कहना है कि उनसे ज्यादा विकास कार्य तो पराजित प्रत्याशी स्मृती ईरानी  ने किया है, अमेठी की जनता जागरूक हो चुकी है इसलिए राहुल गांधी को शंका है कि मैं अमेठी से चुनाव नहीं जीतूंगा। इसलिए उन्होंने केरल जाने के लिए स्थान तलाशा।

SK Gautam
Published on: 27 March 2019 8:12 AM GMT
दो जगह से राहुल के चुनाव लड़ने पर अमेठी में न ज्यादा शिकवा न ज्यादा ग़म
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अमेठी: राहुल गांधी के दो जगह से चुनाव लड़ने की बात बीजेपी के लिए मुद्दा बन चुकी है। स्मृति ईरानी ने जहां ट्वीट कर राहुल पर तंज कसा था वहीं यूपी सरकार के डिप्टी सीएम से लेकर मंत्री तक इस मुद्दे पर उन्हें निशाने पर लिए हुए हैं। अमेठी कांग्रेस बचाव की मुद्रा में उतर आई है और स्मृति-राहुल के पांच साल अमेठी आने का डाटा और अमेठी में दिए गए रुपयों का आकड़ा पेश कर रही। वहीं जब हमने अमेठी के मतदाताओं का इस मुद्दे पर रुझान क्या है ये जानने की कोशिश किया तो अमेठी के मतदाताओं का इस मुद्दे पर मिला जुला असर है।

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यहां पढ़े अमेठी के मतदाताओं ने क्या कहा

पचपन साला 'सदा सुख पाण्डेय' से हमने बात किया। तो उन्होंने बताया कि राहुल गांधी इतने दिन सांसद रहते हुए, अमेठी को समय नहीं दिया। अमेठी के विकास कार्य में रुचि नहीं लिया। उनके द्वारा कोई विकास कार्य नहीं किया गया। उनका कहना है कि उनसे ज्यादा विकास कार्य तो पराजित प्रत्याशी स्मृती ईरानी ने किया है, अमेठी की जनता जागरूक हो चुकी है इसलिए राहुल गांधी को शंका है कि मैं अमेठी से चुनाव नहीं जीतूंगा। इसलिए उन्होंने केरल जाने के लिए स्थान तलाशा।

अमेठी के युवा 'अजय पाण्डेय' का कहना है कि कही न कही राहुल जी को डर सता रहा है। उनका अमेठी की जनता से विश्वास उठ गया है। जबकि अमेठी उनका परिवार माना जाता रहा और परिवार के नाते लोग वोटिंग भी करते रहे। वो जब से आए हैं अमेठी जैसी थी वैसी ही है, अगर फिर सांसद बने तो वैसी ही रहेगी।

'आचार्य त्रिपाठी' की माने तो इसे राजनीतिक दृष्टिकोण से नहीं देखना चाहिए। इससे पहले सोनिया गांधी अमेठी और बेल्लारी से चुनाव लड़ चुकी हैं। लोकतंत्र में दो जगह से चुनाव लड़ा जा सकता है ऐसी कोई असुविधा नहीं है। ये है के अपने क्षेत्र अमेठी को उन्होंने ध्यान नहीं दिया जिस तरीके से अमेठी का विकास करना चाहिए था किया नही यही कष्ट दाई है।

फूड कम्पनी संचालक 'मोहम्मद गुड्डू' से हमने बात की उन्होंने कहा अभी तक तो कभी वो दो जगह से चुनाव नहीं लड़े थे और अभी हो सकता है के बदल जाए। क्योंकि अमेठी उनका मुख्य संसदीय क्षेत्र है, स्मृति ईरानी राहुल गांधी के मुकाबले में खुद चुनाव हार जायेगी।

बार्बर का काम करने वाले 'मोहम्मद नाजिम' को भी पाल्टिक्स में रुचि है। बात करने पर कहते हैं कि नहीं राहुल गांधी स्मृति ईरानी से डरे नहीं हैं। राहुल गांधी इसलिए दक्षिण पे गए हैं के वहां की सीट मजबूत हो जाए। और वहां से ज्यादा सीटें आए। अमेठी से तो राहुल गांधी जीतेंगे ही। 2014 में राहुल गांधी जीते हैं तो 2019 में राहुल गांधी ही जीतेंगे।

युवा 'सुभाष चंद्र' की माने तो स्मृति ईरानी के डर से दो जगह से चुनाव नहीं लड़ रहे। इनका कहना है की केरल से उनका बुलावा आया है इसलिए वहां जा रहे हैं। वैसे भी जो भी प्रधानमंत्री बनते हैं दो जगह से जीतते हैं तो प्रधानमंत्री बनते हैं।

एडवोकेट 'राजेश मिश्रा' काफी आक्रमक मूड में दिखे। उनके अनुसार राहुल गांधी दो जगह से चुनाव लड़े ये कोई मुद्दा नहीं। इस बात पर केवल नूराकुश्ती हो रही है। उन्होंने स्मृति ईरानी पर साढ़े तीन लाख वोट पाने के बाद एक काम भी नही करने का आरोप लगाया है। उन्होंने ये भी कहा कि प्रधानमंत्री के बाद अगर सबसे ज्यादा किसी ने झूठ बोला है तो वो स्मृति ईरानी हैं। इनके झूठ से जनता ऊब गई है।

शाप चलाने वाले 'मोईद उल्ला फारुकी' का मत है कि लोकतंत्र में जनता की मांग को विशेष तरजीह और वरीयता देना चाहिए। अगर लोगों की चाहत है के राहुल गांधी मेरे यहां से भी चुनाव लड़े तो अमेठी उनकी कर्मस्थली है। यहां से अमेठी की जनता का प्रेम उनके साथ लगा हुआ है और यहां के करण-करण में राजीव गांधी बसे हुए हैं। वो सदा बुलंद होती रहती है और अमेठी की जनता उन्हें सदा भारी वोट से जीताएगी।

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कांग्रेस ने पेश किया अमेठी में पांच साल राहुल और स्मृति के दौरे का डाटा

2014 में चुनाव हारने के बाद भी स्मृति ईरानी का अमेठी दौरा लगता रहा। बीजेपी इसको चुनाव में कैश भी करा रही। लेकिन अगर पिछले पांच सालों में राहुल और स्मृति के अमेठी दौरों पर नजर दौड़ाया जाए तो राहुल गांधी जहां 35 दिन अमेठी में ठहरे वहीं केंद्रीय मंत्री पांच सालों में 16 बार ही रुकी। राहुल गांधी ने 2014 में 5 दौरों में 7 दिन अमेठी को दिए, 2015 में 3 दौरों में 7 दिन, 2016 में भी ऐसे ही 7 दिन, 2017 में 3 दिन, 2018 में 4 दौरों में 9 दिन और इस साल 23-24 जनवरी को दो दिवसीय दौरा किया।

वहीं केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने 2014 के चुनाव के बाद अमेठी का एक भी दौरा नहीं किया। 2015 में उन्होंने पांच अलग-अलग महीनो में एक दिवसीय पांच दौरे किए। फिर 2016 में दो दौरे में तीन दिन अमेठी में आई। 2017 के अक्टूबर माह में दो दिवसीय दौरा किया। 2018 में एक दिवसीय चार अलग-अलग दौरे और इस साल उन्होंने 4 जनवरी और फिर 3 मार्च को अमेठी का दौरा किया।

राहुल व अन्य की निधि से 44.52 करोड़ की धनराशि से कराए जा रहे विकास कार्य

राहुल गांधी द्वारा पांच वर्षों में खुद अमेठी में 26.85 करोड़ रुपए खर्च किए गए। वहीं कैप्टन सतीश शर्मा की निधि से 2.75 करोड़, प्रमोद तिवारी की निधि से 0.66, पीएल पुनिया की निधि से 2.41 करोड़, रेखा गणेशन की निधि से 2.25 करोड़, कपिल सिब्बल की निधि से 2.07 करोड़ और एमएलसी दीपक सिंह की निधि से 7.53 करोड़ रुपए अमेठी के विकास में खर्च कराए। जिसका कुल योग 44.52 करोड़ रुपए बनता है।

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