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रेलवे स्टेशन पर उपचार के लिए यात्रियों को देने होंगे अब सौ रुपये
रेलवे प्रशासन चलती ट्रेनों में किसी की तबियत खराब होने पर स्टेशन पर मिलने वाले प्राथमिक के लिए अब 100 रुपये डॉक्टरी फीस व दवा के लिए लेगा। रेलवे बोर्ड ने इसके लिए लखनऊ सहित सभी जोनों को पत्र भेज दिया है। रेलवे बोर्ड से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने मंगलवार को बताया कि चलती ट्रेनों में यदि कोई यात्री इलाज के लिए डॉक्टर की सहायता मांगता है तो अब उसके लिए 100 रुपये की रसीद काटी जाएगी। यह रसीद टीटीई अपनी ईएफटी (एक्सेज फेयर टिकट) बुक से काटकर मरीजों को देगा। यह 100 रुपये डॉक्टरी फीस व दवा के लिए होंगे। रेलवे बोर्ड ने इसके लिए लखनऊ सहित सभी जोनों को पत्र भेज दिया है।
लखनऊ: रेलवे प्रशासन चलती ट्रेनों में किसी की तबियत खराब होने पर स्टेशन पर मिलने वाले प्राथमिक के लिए अब 100 रुपये डॉक्टरी फीस व दवा के लिए लेगा। रेलवे बोर्ड ने इसके लिए लखनऊ सहित सभी जोनों को पत्र भेज दिया है।
रेलवे बोर्ड से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने मंगलवार को बताया कि चलती ट्रेनों में यदि कोई यात्री इलाज के लिए डॉक्टर की सहायता मांगता है तो अब उसके लिए 100 रुपये की रसीद काटी जाएगी। यह रसीद टीटीई अपनी ईएफटी (एक्सेज फेयर टिकट) बुक से काटकर मरीजों को देगा। यह 100 रुपये डॉक्टरी फीस व दवा के लिए होंगे। रेलवे बोर्ड ने इसके लिए लखनऊ सहित सभी जोनों को पत्र भेज दिया है।
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अधिकारी ने बताया कि चलती ट्रेन में हाथ-पांव में दर्द जैसी छोटी-छोटी तकलीफों के लिए यात्रियों ने मदद मांगना शुरू कर दिया था। इससे तंग आकर रेलवे बोर्ड ने यह फैसला लिया है।
उन्होंने बताया कि उपचार के नाम पर रेलवे ने पहले 20 रुपये प्रति मरीज फीस निर्धारित की थी। यह राशि बहुत कम थी। इसलिए रेलवे डॉक्टर भी इसे नहीं लेते थे। इसके लिए उन्हें कोई रसीद भी नहीं मिलती थी। वहीं, ट्विटर पर तबियत खराब होने की शिकायत के बाद रेलवे डॉक्टर अस्पताल की ओपीडी छोड़कर स्टेशन पर ट्रेन आने का इंतजार करते थे। इससे अस्पताल में भी मरीजों को इलाज में दिक्कतें होती थीं।
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दरअसल,चलती ट्रेन में उपचार की सुविधा पूर्व रेलमंत्री सुरेश प्रभु ने शुरू की थी। सफर के दौरान यात्रियों की अचानक तबीयत खराब होने पर ट्विटर और फोन के माध्यम से जानकारी देने पर रेलवे स्टेशन पर उपचार की सुविधा दी जाती है।