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कार्पोरेट कंपनी जैसा है रेलवे टिकट बुकिंग गैंग
लखनऊ। रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स ने हाल में जिस रेलवे टिकट बुकिंग गैंग का फंडाफोड़ किया है वह किसी कार्पोरेट कंपनी की तरह ऑपरेट कर रहा था। भारत में कंट्री हेड, सुपर एडमिन, लीड सेलर और २० हजार से ज्यादा एजेंट इस स्ट्रक्चर में लगे हुए थे। भारत के बाहर सॉफ्टवेयर इंजीनियरों की टीम दुबई में बैठ कर काम करती है और यूगोस्लाविया से आईपी एड्रेस चलाए जाते हैं। इस गैंग का इंडिया हेड गुलाम मुस्तफा नामक शख्स है जिसे गिरफ्तार किया जा चुका है।
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टिकट बुकिंग गैंग हर रोज ऑनलाइन बुकिंग खुलते ही मात्र ४० सेकेंड में ५० फीसदी टिकटों पर कब्जा कर लेता था। इसके लिए एक ऐसा सॉफ्टवेयर इस्तेमाल किया जाता था जिससे २० हजार एजेंट कैप्चा और ओटीपी को बाईपास करके टिकट बुक कर देते थे। भारतीय रेलवे के साइबर विलिजेंस को चकमा देने के लिए ये गैंग रोजाना अपने सॉफ्टवेयर का नया वर्जन जनरेट करता था। यही नहीं, गैंग के एजेंट एक ही कंप्यूटर पर ५०० अलग-अलग आईएड्रेस जनरेट कर लेते थे। हामिद अशरफ की टीम हर सुबह नया सॉफ्टवेयर इंडिया हेड गुलाम मुस्तफा के पास भेजती थी जो उसे ३० सुपर एडमिन्स के पास बढ़ा देता था। इसके बाद सुपर एडमिन ३०० लीड सेलर्स से संपर्क करते थे। इन्हीं लीड सेलर्स के नीचे २० हजार एजेंट काम करते थे।
गैंग इंडिया हेड गुलाम मुस्तफा एक इंटरनेशनल ऑपरेटर है जिसके संपर्क पाकिस्तान, बांग्लादेश, अरब देशों, इंडोनेशिया और नेपाल तक हैं। मुस्तफा नकली आधार कार्ड बनाने का विशेषज्ञ है। इसके पास से स्टेट बैंक की २४०० ब्रांचों व ६०० क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की सूची मिली है। समझा जाता है इन सभी जगह इसके बैंक खाते हैं। मुस्तफा की खुद की ५६३ निजी आईआरसीटीसी यूजर आई डी हैं। मुस्तफा के लैपटॉप में इसरो की कार्टोसैट सैटेलाइटों की बेहद गोपनीय जानकारियां मिली हैं।
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आरपीएफ को गैंग के उस सदस्य की तलाश है जिसे 'गुरु जी ' के नाम से जाना जाता है। ये शख्स गैंग के रुपए-पैसे को संभालता है। सरगना हामिद अशरफ फरार है। बताया जाता है कि वह दुबई में छिपा है। उसकी तलाश में आईबी, एनआईए और रॉ जैसी एजेंसियां लगी हुई हैं। वजह ये है कि ई-टिकटिंग घोटाले का पैसा आतंकी फंडिंग में इस्तेमाल होने के प्रमाण मिले हैं। इस रैकेट के तार दुबई, पाकिस्तान और बांग्लादेश तक फैले हुए हैं।
रेलवे टिकट में फ्रॉड रोकना है तो ये काम करो
ई टिकटिंग गैंग के मास्टरमाइंड हामिद अशरफ ने रेलवे को नसीहत दी है कि अगर ई टिकटिंग में घोटालों को रोकना है तो तत्काल कदम उठाने होंगे। मास्टरमाइंड ने कहा कि रेलवे का सिस्टम बहुत पुराना है और दस बाद रेलवे को अकल आएगी। उसने ये भी कहा है कि क्रिस (सेंटर फॉर रेलवे इन्फॉरमेशन सिस्टम) को आईआरसीटीसी की कमियों के बारे में उसने खुद कई बार बताया लेकिन उस पर किसी ने ध्यान नहीं दिया। हामिद का दावा है कि उसने ५०० ईमेल और व्हाट्सअप मैसेज भेजे लेकिन किसी पर ध्यान नहीं दिया गया।
रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स (आरपीएफ) के डीजी अरुण कुमार को भेजे एक संदेश में हामिद अशरफ ने आईआरसीटीसी की सिक्योरिटी सिस्टम में २५ कमियों को गिनाया है। संदेश में लिखा है कि एएनएमएस (रेलवे ई-टिकटिंग का अवैध सॉफ्टवेयर) २५ जनवरी २०२० को हमेशा के लिए बंद हो गया है। हामिद ने लिखा है कि फेसबुक और गूगल के विपरीत आईआरसीटीसी के पास अपना कोई सिक्योरिटी सिस्टम नहीं है। उसने डीजी को सुझाव दिया है कि वे आईआरसीटीसी के सिक्योरिटी सिस्टम को ठीक करें ताकि आम जनता को आसानी से टिकट मिल जाया करें। हामिद ने सुझाया है कि प्रत्येक यूजर आईडी को सिर्फ एक ही आईपी एड्रेस की इजाजत दी जानी चाहिए। इसके अलावा एंटी डंपिंग तरीके अपनाए जाने चाहिए ताकि स्मार्टफोन एप को क्रैक न किया जा सके। इसके अलावा पोर्ट स्कैनिंग सिस्टम ने आईआरसीटीसी की वेबसाइट पर आने वाला बैड ट्रैफिक रोका जा सकता है। साथ ही आईसीटीसी को क्रिस (सेंटर फॉर रेलवे इन्फॉरमेशन सिस्टम) अपना कोड स्वयं लिखना चाहिए। हामिद ने डीजी को चुनौती दी है कि वो एएनएमएस सॉफ्टवेयर जैसे अन्य अवैध सॉफ्टवेयरों को बंद करके दिखाएं।
मुझे पकडऩे से कोई फायदा नहीं
हामिद अशरफ ने व्हाट्सअप पर भेजे संदेशों में कहा है कि उसे या कुछ अन्य लोगों को पकडऩे से कुछ नहीं बदलने वाला क्योंकि बाकी लोग इसी तरह के 'अवैधÓ सॉफ्टवेयर बना कर आईआरसीटीसी की वेबसाइट की खामियों का फायदा उठा सकते हैं। उसने कहा है कि उसे मौका दिया जाए तो वह आईआरसीटीसी और क्रिस के सिस्टम को सुरक्षित बना देगा। हामिद ने यहां तक कह दिया कि रेलवे उसे दो लाख रुपए महीने की तनख्वाह पर एथिकल हैकर के रूप में नौकरी पर रख ले।