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अमेठी के इस गांव में विकास की हुई 'भ्रूण हत्या', कोई नेता देखने तक नहीं आया

फिलहाल अभी तक इन गावों में कोई भी बड़ा नेता इनकी बात सुनने नहीं आया है। अब देखना ये होगा कि क्या इन ग्रामीणो की समस्या को सुनने के लिए पूरे चुनाव के दौरान कोई नेता इन गावों में पहुचेंगा या फिर अभी कई सालों तक ग्रामीण अभी इस समस्या से जूझते रहेंगे।

Shivakant Shukla
Published on: 29 April 2019 5:06 PM GMT
अमेठी के इस गांव में विकास की हुई भ्रूण हत्या, कोई नेता देखने तक नहीं आया
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अमेठी: चुनाव के इस माहौल में जहां अमेठी का नाम देश दुनिया में राजनीतिक जंग के रूप में देखा जा रहा है। वहीं अमेठी का एक ऐसा गांव जहां कई हजार लोग आज भी मात्र एक रेलवे अंडर ब्रिज न बनने के चलते इतना परेशान है कि वह अब इस लोकसभा चुनाव में अपनी समस्या को नेताओं तक पहुंचाने के लिए एक नायाब तरीका निकाले हैं।

दरअसल मामला है यूपी के अमेठी जिले के नजदीक रेभा रेलवे अंडर ब्रिज के निकासी वाले गांव (रेभा, बनकटवा, चचकापुर, रायदैपुर, मंधरपटटी, विशेषरगंज) का जहां के ग्रामीणों को एक रेलवे क्रांसिंग न बनने की वजह से काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

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आये दिन इस क्रासिंग पर एक्सीडेंट में कई लोगों की अब तक मौत हो चुकी है। यह क्रांसिंग लगभग 5 से सात हजार लोगों के निकासी का एक ऐसा माध्यम है जिससे लोगों के समय बचने के साथ साथ काफी काम आसानी से हो जाते हैं।

और हैरानी की बात तो ये है कि इस क्रासिंग के जरिये लोगों को ठगा गया है। पिछले लोकसभा चुनाव के ठीक पहले एक बोर्ड लगाया गया था जिसमें इस रेलवे फाटक को बनाने के सारे हिसाब किताब बताये गए थे। लेकिन बात करने धरातल पर कार्य को उतरने का तो ना बाबा ना कहीं कुछ भी नहीं करीब 6 साल बीत गए लेकिन कोई भी सुध लेने नहीं आया।

वैसे तो लगाये गए बोर्ड में 2014 में ही इस अंडर ब्रिज को बनने की बात कही गई है। अब आलम ये है कि ग्रामीण वोट बहिष्कार करने पर मजबूर हैं। आज शाम को कई गांव के युवा एकत्रित होकर रेलवे अंडर ब्रिज के मांग के लिए इस क्रासिंग के जरिये नेताओं को अपने गांव तक पहुंचने की मांग कर रहे हैं जिससे कि नेताओं को इस समस्या से अवगत करा सकें।

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फिलहाल अभी तक इन गावों में कोई भी बड़ा नेता इनकी बात सुनने नहीं आया है। अब देखना ये होगा कि क्या इन ग्रामीणो की समस्या को सुनने के लिए पूरे चुनाव के दौरान कोई नेता इन गावों में पहुचेंगा या फिर अभी कई सालों तक ग्रामीण अभी इस समस्या से जूझते रहेंगे।

Shivakant Shukla

Shivakant Shukla

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