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कोरोना काल में दूरस्थ शिक्षा की प्रासंगिकता और भी बढ़ गई: राज्यपाल
राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि राष्ट्र तथा समाज के लक्ष्यों की प्राप्ति का सबसे महत्वपूर्ण साधन शिक्षा है। शिक्षा के माध्यम से समाज में बदलाव लाया जा सकता है। शिक्षा के साथ-साथ बच्चों का स्वास्थ्य एवं पोषण भी आवश्यक है, इसके लिए परिवार एवं शिक्षकों की भूमिका बढ़ जाती है।
लखनऊः राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि राष्ट्र तथा समाज के लक्ष्यों की प्राप्ति का सबसे महत्वपूर्ण साधन शिक्षा है। शिक्षा के माध्यम से समाज में बदलाव लाया जा सकता है। शिक्षा के साथ-साथ बच्चों का स्वास्थ्य एवं पोषण भी आवश्यक है, इसके लिए परिवार एवं शिक्षकों की भूमिका बढ़ जाती है। उन्होंने कहा कि कोई भी बच्चा स्कूल जाने से वंचित नहीं होना चाहिए। अध्यापक गांव में जाकर अभिभावकों को बच्चों को स्कूल भेजने के लिए प्रेरित करें। आंगनबाड़ी में पढ़ने वाले बच्चों एवं वहां की व्यवस्थाओं पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि आंगनबाड़ी केन्द्रों में मुख्यतः गरीब परिवार के बच्चे पढ़ते है। विश्वविद्यालयों एवं कालेजों तथा अन्य संस्थाओं को आंगनबाड़ी केन्द्रों को गोद लेने के लिए आगे बढ़कर कार्य करना चाहिए।
दहेज को समाप्त करने के लिए कार्य
यह विचार उत्तर प्रदेश की राज्यपाल एवं कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने आज उत्तर प्रदेश राजर्षि टण्डन मुक्त विश्वविद्यालय प्रयागराज के 15वें दीक्षान्त समारोह को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किये। आनंदीबेन पटेल ने कहा कि कहा कि दहेज जैसी कुप्रथा को समाप्त करने के लिए भी सभी लोगो को आगे बढ़कर कार्य करना चाहिए तथा दहेज के कारण समाज में होने वाली घटनाओं तथा उसके परिणामों के बारे में लोगो को जागरूक करना चाहिए। उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा के 50 प्रतिशत शैक्षिक सूचकांक को प्राप्त करना है तो प्राथमिक शिक्षा का स्तर उठाने के साथ ही साथ नामांकन अनुपात को भी बढ़ाना होगा। इसके लिए उन्होंने 5 वर्ष तक की आयु के सभी बच्चों को प्राथमिक शिक्षा से जोड़ने का आह्वाहन किया।
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वर्तमान युग दूरस्थ शिक्षा का है
आनंदीबेन पटेल ने कहा कि वर्तमान युग दूरस्थ शिक्षा का है और इसका क्षेत्र अत्यन्त व्यापक है। औपचारिक शिक्षा की तुलना में यह ज्यादा व्यावहारिक, महत्वपूर्ण तथा सार्थक होती जा रही है। कोविड काल में इसकी प्रासंगिकता और भी बढ़ गई है। विश्वविद्यालय द्वारा तैयार की गई स्व-अध्ययन सामग्री को वेबसाइट पर उपलब्ध कराए जाने से ई-लर्निंग का वातावरण निर्मित हुआ है।
उन्होंने कहा कि ‘प्रभावी शिक्षा’ एवं ‘शिक्षा शिक्षार्थी के द्वार तक’ को ध्यान में रखते हुए विश्वविद्यालय ने अपने प्राध्यापकों के व्याख्यानों को यू-ट्यूब पर अपलोड कराकर सराहनीय प्रयास किया है। इसके साथ ही छात्रों की सुविधाओं को ध्यान में रखकर ‘वर्ष पर्यन्त प्रवेश’ की ऑनलाइन व्यवस्था सुनिश्चित की गई है।
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दीक्षान्त समारोह
15वें दीक्षान्त समारोह में विभिन्न विद्या शाखाओं में सर्वाधिक अंक प्राप्त करने वाले शिक्षार्थियों को 19 स्वर्ण पदक प्रदान किये गए, जिनमें 05 स्वर्ण पदक छात्रों तथा 14 स्वर्णपदक छात्राओं की झोली में आए। दीक्षान्त समारोह में सत्र दिसम्बर 2019 तथा जून 2020 की परीक्षा के सापेक्ष उत्तीर्ण लगभग 28659 हजार शिक्षार्थियों को उपाधि प्रदान की गई, जिसमें 15492 पुरूष तथा 13167 महिला शिक्षार्थी रहे।
रिपोर्ट- श्रीधर अग्निहोत्री