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लखनऊ यूनिवर्सिटी में राजनाथः शताब्दी वर्ष ऐतिहासिक घटना, अद्भुत संयोग

रक्षामंंत्री व लखनऊ के सांसद राजनाथ सिंह ने कहा मैं इस विश्वविद्यालय में तब से आता रहा हूं जब मैं उत्तर प्रदेश का शिक्षा मंत्री था। मुझे भी विश्वविद्यालय की गौरवशाली परंपरा से जुड़ने का मौका मिला है और इसके लिए मैं खुद को सौभाग्यशाली मानता हूं।

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Published on: 25 Nov 2020 4:31 PM GMT
लखनऊ यूनिवर्सिटी में राजनाथः शताब्दी वर्ष ऐतिहासिक घटना, अद्भुत संयोग
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Rajnath Singh said Lucknow University Centenary Year historical event

लखनऊ। केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को पूरा करने में सबसे बड़ी भूमिका युवाओं की होगी। लखनऊ विश्वविद्यालय के शताब्दी समारोह को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आत्मनिर्भर भारत का जो सपना देखा है, उस सपने को पूरा करने के लिए युवाओं को आगे आना होगा क्योंकि युवाओं के बिना यह संकल्प नहीं पूरा हो सकता। उन्होंने वर्चुअल ढंग से शताब्दी समारोह को संबोधित करते हुए लखनऊ विश्वविद्यालय की गौरवशाली परंपरा का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि यह प्रसन्नता का विषय है कि विश्वविद्यालय अपनी स्थापना के 100 साल पूरा कर रहा है। उन्होंने कहा कि यह ऐतिहासिक घटना है क्योंकि भारत के कुछ ही विश्वविद्यालयों ने अभी तक शताब्दी वर्ष मनाया है।

विश्वविद्यालय से तमाम बड़े लोगों का जुड़ाव

लखनऊ विश्वविद्यालय भारत के सर्वाधिक पुराने शिक्षण संस्थानों में एक है। 1862-63 में कॉलेज के रूप में इसकी स्थापना हुई थी और फिर 1920 में इसने विश्वविद्यालय का स्वरूप हासिल किया। उन्होंने कहा कि भारतीय राष्ट्रीय चेतना के विकास क्रम के साथ विश्वविद्यालय के विकास क्रम का यह अद्भुत संयोग है।

केंद्रीय रक्षा मंत्री ने कहा कि लखनऊ विश्वविद्यालय के 100 साल के इतिहास में इस विश्वविद्यालय से एक से बढ़कर एक शख्सियत जुड़ी रही हैं। उन्होंने कहा कि डॉ बीरबल साहनी से लेकर देश के पूर्व राष्ट्रपति डॉ शंकर दयाल शर्मा इस विश्वविद्यालय से जुड़े रहे हैं।

विश्वविद्यालय का इतिहास प्रेरणादायक

देश की कई अन्य बड़ी शख्सियतों का भी इस विश्वविद्यालय से करीबी नाता रहा है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय का इतिहास व भूगोल प्रेरणादायक रहा है। उन्होंने कहा कि मैं इस विश्वविद्यालय में तब से आता रहा हूं जब मैं उत्तर प्रदेश का शिक्षा मंत्री था। मुझे भी विश्वविद्यालय की गौरवशाली परंपरा से जुड़ने का मौका मिला है और इसके लिए मैं खुद को सौभाग्यशाली मानता हूं।

कोरोना महामारी सबसे बड़ी चुनौती

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इस समय पूरी दुनिया कोरोना महामारी के रूप में सदी की सबसे बड़ी चुनौती का सामना कर रही है। भारत भी इस चुनौती से लड़ने में जुटा हुआ है। इस महामारी ने पूरी दुनिया के सामने कई मुसीबतें खड़ी कर दी हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सशक्त नेतृत्व में पूरा देश इस संकट से जूझने में जुटा हुआ है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बड़ी आपदा को अवसर में बदलने का संकल्प लिया है।

आत्मनिर्भर भारत के लिए युवा आगे आएं

कोरोना महामारी के इस दौर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को आत्मनिर्भर बनाने पर जोर दिया है। प्रधानमंत्री ने हर किसी से आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को पूरा करने के लिए जुट जाने का आह्वान किया है।



मौजूदा समय में आत्मनिर्भर भारत के संकल्प और स्वरूप के देश भर में चर्चा हो रही है। इसमें सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि आत्मनिर्भर भारत का संकल्प युवाओं की मदद से ही पूरा होगा। छात्रों और युवाओं को आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को पूरा करने के लिए आगे आना होगा। यह संकल्प देश की समृद्ध सांस्कृतिक परंपरा व गौरवशाली अतीत से जुड़कर ही पूरा किया जा सकता है।

चरित्र निर्माण पर देना होगा ध्यान

उन्होंने कहा कि हमारे युवाओं को भी इस बात का ध्यान रखना होगा कि धन व संपदा के साथ ही चरित्र का निर्माण भी बहुत जरूरी है। इसलिए चरित्र निर्माण पर ज्यादा जोर देना होगा। ‌उन्होंने कहा कि भारत को नई पहचान देने की क्षमता युवाओं में ही है। युवाओं को यह बात समझनी होगी कि वह अकेले नहीं हैं बल्कि पूरा देश उनके साथ खड़ा है और आत्मविश्वास के बल पर ही आत्मनिर्भर भारत का निर्माण होगा।

बहुमुखी विकास करेगी नई शिक्षा नीति

केंद्रीय रक्षा मंत्री ने कहा कि देश बदल रहा है और वैश्विक शक्ति बनने की ओर अग्रसर है। पिछले 6 साल के दौरान हमने जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में काफी सुधार किए हैं और कई ऐसे कानूनों को खत्म किया है जिनका कोई मतलब नहीं रह गया था।

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उन्होंने नई शिक्षा नीति का विशेष तौर पर जिक्र करते हुए कहा कि नई शिक्षा नीति में काफी बदलाव किए गए हैं और युवाओं के बहुमुखी विकास को ध्यान में रखते हुए नई शिक्षा नीति बनाई गई है। ‌

आने वाले समय में दिखेगा असर

नई शिक्षा नीति 21वीं सदी के बदलते भारत से मेल खाती है और नए भारत की जरूरतों को पूरा करने वाली है। इसमें हाउ टू थिंक पर विशेष जोर दिया गया है तथा यह नए व पुरातन का मेल है।

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इसके साथ ही मातृभाषा के महत्व का भी नई शिक्षा नीति में पूरा ध्यान रखा गया है। साथ ही कौशल विकास पर भी विशेष फोकस किया गया है। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति के दूरगामी परिणाम होंगे और आने वाले समय में इसका असर जरूर दिखेगा।

अंशुमान तिवारी की रिपोर्ट

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