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बूंदी आपकी छुट्टियों को बना देगी शानदार, जानिए क्या है यहां जो आना चाहेंगे बार-बार

राजस्थान और उसके शहर पूरी दुनिया में अलग पहचान रखते है। यहां के अधिकतर जगहों में इतिहास बसा है। राजा-महाराजाओं का गढ है। राजस्थान के इन्ही जगहों में अरावली पहाडि़यों की गोद में बसा बूंदी, राजस्थान के प्राकृतिक सौन्दर्य अद्भुत नजारा पेश करता है। यहां अनेक मंदिर होने से इसे 'छोटी काशी' के नाम से जाना जाता है।

suman
Published on: 3 Jan 2020 7:19 AM IST
बूंदी आपकी छुट्टियों को बना देगी शानदार, जानिए क्या है यहां जो आना चाहेंगे बार-बार
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बूंदी: राजस्थान और उसके शहर पूरी दुनिया में अलग पहचान रखते है। यहां के अधिकतर जगहों में इतिहास बसा है। राजा-महाराजाओं का गढ है। राजस्थान के इन्ही जगहों में अरावली पहाडि़यों की गोद में बसा बूंदी, राजस्थान के प्राकृतिक सौन्दर्य अद्भुत नजारा पेश करता है। यहां अनेक मंदिर होने से इसे 'छोटी काशी' के नाम से जाना जाता है। यह खूबसूरत शहर बूंदी जिले का मुख्यालय है। प्राचीन बूंदी रियासत के समय महलों से जुड़ी मजबूत चार दिवारी (परकोटे) से घिरी थी। इसमें पश्चिम में भैरोपोल, दक्षिण में चौगान गेट, पूर्व में पाटन पोल एवं उत्तर में शुक्ल बावड़ी गेट बने हैं। पुराने समय में बूंदी एक रियासत हुआ करती थी जिसकी स्थापना सन 1242 में हुई थी। यह राजस्थान के हाडौती अंचल में आता है।बूंदी में घूमने के लिए कई सुंदर स्थान हैं अगर आप राजस्थान घूमने का प्लान कर रहे हैं तो बूंदी जरूर घूमिये।आइये जानते हैं बूंदी में घूमने के लिए क्या क्या है।

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रानी जी की बावड़ी बूंदी शहर की कलात्मक बावडि़यों एवं कुंडो में राव राजा अनिरूद्ध सिंह की विधवा रानी नाथावत द्वारा 1699 ई. में निर्मित शहर के मध्य स्थित रानी जी की बावड़ी सिरमौर है। बावड़ी में ऊपर से नीचे की ओर जाते हुए करीब 150 सीढि़यों के बाद जल कुण्ड आता है। स्थापत्य, मूर्ति, शिल्प बनावट सीढि़यां मध्य में बना हाथियों का तोरण द्वार, ऊपर बनी छतरियों तथा दीवारों में बने देवी देवताओं की मूर्तियां बावड़ी की विशेषताएं हैं।

शिकार बुर्ज बूंदी में बनी शिकार बुर्ज राजाओं के शिकार के लिए बना सुंदर भवन है। इसे 1770 ई. में महाराव उम्मेद सिंह ने रहने के लिए बनवाया था और वे प्रायः यहाँ विश्राम करने आते थे। बाद में इस भवन को शिकारगाह के रूप में उपयोग में लिया जाने लगा। इसी के पास हनुमान छतरी बनी है। यह कभी खूबसूरत पिकनिक स्थल रहा।

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बादल महल यह महल तारागढ़ के किले में ही बना हुआ है।इस महल की दीवारों पर कलात्मक पेंटिंग की गई हैं।जैत सागर यह महल झील जैत सागर के किनारे पर बसी हुई है। इसे यहां के शासक उम्मेद सिंह के समय में बनाया गया था। यहां एक सफेद संगमरमर की छतरी देखने लायक है।

तारागढ़ का किला यह किला बूंदी का प्रमुख दर्शनीय स्थान है।इस किले से पूरा बूंदी दिखाई पड़ता है।इस किले के बारे में प्रसिद्ध लेखक रुडयार्ड किपलिंग ने कहा है कि इसे स्वर्ग के देवताओं द्वारा बनवाया गया है।यहां रखी हुई प्रसिद्ध तोप को गर्भ गुंजन कहा जाता है।

मोती महल इस महल को 1645 में बनवाया गया था।इस महल के अंदर के बावड़िया हैं। यहीं पास में नवल सागर झील भी है।महल के अंदर स्थित शिव ।मन्दिर भी दर्शनीय है।

चौरासी खम्भों की छतरी इस छतरी को राव अनिरुद्ध सिंह ने 1683 में बनवाया था। यह छतरी चौरासी खम्भों पर टिकी हुई है।इन खम्भों पर कलात्मक काम किया गया है।आप यहां फोटोग्राफी का मजा ले सकते हैं।

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खूबसूरत झरने बूंदी से 9 कि.मी. दूरी पर प्रकृति की गोद में रामेश्वरम् खूबसूरत जगह है। यहां 200 फीट से ऊँचाई से गिरता झरना देखना रोमांचक लगता है। यह झरना जहाँ गिरता है वहां शिंवलिंग स्थापित है। यहीं एक गुफा में पांच सौ वर्ष पुराने शिवलिंग की पूजा की जाती है।

परिंदों का स्वर्ग बूंदी जिला आज प्रवासी व स्थानीय पक्षियों की पसंदीदा सैरगाह के रूप में प्रसिद्ध रहा है! अरावली की पर्वत श्रृंखलाएं बूंदी को और भी मनोरम बनाती है । वन एवं वन्य जीवों से बूंदी समृद्ध व इनके लिए प्रसिद्ध है! नैसर्गिक सुषमा से समृद्ध इस अंचल में जलाशयों के तटों व वृक्षों पर विचरण करते देशी विदेशी पक्षी और सघन वनाच्छादित क्षेत्रों में उन्मुक्त घूमते वन्यजीवों से बूंदी जिले की अपनी अलग ही पहचान बनती है।

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