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UP News: स्वामी प्रसाद मौर्या को बड़ी राहत, हिन्दू देवि-देवताओं पर टिप्पणी मामले में चल रहा मुकदमा खारिज
Swami Prasad Maurya: अधिवक्ता ने मौर्या के खिलाफ याचिका दाखिल किया था। इसके बाद एसीजेएम कोर्ट ने आईपीसी 295 ए में मौर्य को तलब किया था। एसीजेएम कोर्ट के फैसले को मौर्या ने हाईकोर्ट में दी थी चुनौती दी थी।
Swami Prasad Maurya: समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव व MLC स्वामी प्रसाद मौर्य को हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। हाई कोर्ट नें मौर्या के के खिलाफ चल रहे हिंदू देवी,देवताओं के खिलाफ टिप्पणी मामले को खारिज कर दिया। एक अधिवक्ता ने मौर्या के खिलाफ याचिका दाखिल किया था। इसके बाद एसीजेएम कोर्ट ने आईपीसी 295 ए में मौर्य को तलब किया था। एसीजेएम कोर्ट के फैसले को मौर्या ने हाईकोर्ट में दी थी चुनौती दी थी।
क्या था स्वामी प्रसाद मौर्य का मामला
बता दें हाल ही में स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामचरितमानस को लेकर भी विवादित बयान दिया था। उन्होंने रामचरित मानस को बकवास बताते हुए कहा था कि करोड़ो लोग रामचरित मानस नहीं पढ़ते। इसे तुलसीदास ने अपनी खुशी के लिए लिखा था। स्वामी ने कहा कि सरकार को संज्ञान लेते हुए रामचरित मानस के कुछ आपत्तिजनक अंश को हटाए या पूरी पुस्तक को बैन कर देना चाहिए। स्वामी नें सवाल उठाते हुए कहा था कि ब्राह्मण भले ही लंपट, दुराचारी, अनपढ़, गंवार और अत्याचारी हो लेकिन वह ब्राह्मण है, तो उसे पूजनीय बताया गया है। वहीं शूद्र कितना भी ज्ञानी और विद्वान हो उसका सम्मान नहीं किया जाता। क्या धर्म यही कहता है। इके बाद हजरतगंज थाने में इनके खिलाफ IPC की धारा 295A, 298, 504 और 153 के तहत FIR दर्ज किया गया था।
क्या था पूरा मामला
2014 स्वामी प्रसाद मौर्या बसपा के राष्ट्रीय महासचिव थे। उन्होने लखनऊ में एक सभा को संबोधित करते हुए हिन्दु देवि-देवताओं के खिलाफ अभद्र टिप्पणी की थी। इसके बाद उनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया, जिसमें अनिल तिवारी परिवादी और तेज बहादुर सिंह व श्रवण पांडे ने बयान दर्ज कराया था।
इस मामले में गवाह श्रवण कुमार पांडे ने जानकारी देते हुए बताया था कि स्वामी प्रसाद मौर्य ने जनसभा के दौरान देवी और देवताओं पर अभद्र टिप्पणी करते हुए कहा था, कि शादी-विवाह में गौरी गणेश की पूजा नहीं करनी चाहिए, जिसको लेकर अनिल तिवारी ने एक परिवाद दायर किया था। इसमें गवाह के रूप में मैंने स्वयं गवाही दी थी। इसके स्वामी को कोर्ट में तलब किया गया था। मामले में LBW जारी हुआ था। LBW जारी होने के बाद स्वामी हाई कोर्ट की शरण में गए।