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किसानों की लड़ाई में युवाओं का आह्वानः बचाओ खेती-बारी, नेता प्रतिपक्ष की हुंकार
किसानों को दिल्ली पहुंचने से पहले वाटर कैनन प्रहार से रोकने और सडक़ पर गड्ढे खोदे जाने की निंदा करते हुए सपा नेता ने कहा कि दिल्ली आ रहे किसानों के साथ सरकार का पशुवत व्यवहार लोकतन्त्र को शर्मसार करने वाला है।
लखनऊ। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रामगोविन्द चौधरी ने किसानों को दिल्ली पहुंचने से रोकने की सरकारी कोशिशों की निंदा की और इसे तानाशाही वाला कार्य बताया है। उन्होंने कहा कि देश के युवा एवं छात्रों को भी आगे बढक़र किसानों के संघर्ष में शामिल होना चाहिए। आज किसानों को लडऩा पड़ रहा है , अगली बारी दूसरे लोगों की आएगी। उन्होंने कहा कि इस सरकार को अगर नहीं रोका गया तो यह सरकार खेती-बारी के साथ ही देश को भी निगल जाएगी।
किसानों सरकार का व्यवहार लोकतन्त्र को शर्मसार करने वाला
किसानों को दिल्ली पहुंचने से पहले वाटर कैनन प्रहार से रोकने और सडक़ पर गड्ढे खोदे जाने की निंदा करते हुए सपा नेता ने कहा कि दिल्ली आ रहे किसानों के साथ सरकार का पशुवत व्यवहार लोकतन्त्र को शर्मसार करने वाला है। इसकी जितनी भी निंदा की जाए कम है। उन्होंने शिक्षकों, बुद्धिजीवियों, कवियों, छात्रों, नवजवानों, कर्मचारियों, मजदूरों, बेरोजगारों और गैर कारपोरेट व्यवसायियों से कहा है कि वह इस लड़ाई में किसानों की मदद करने के लिए आगे आएं। केंद्र की भाजपा सरकार धीरे धीरे देश का सर्वस्य अडानी, अम्बानी जैसे कारपोरेट घरानों को सौंप रही है।
खेती बारी को बचाने की गुहार
इसी क्रम में वह एक काला कानून बनाकर खेती को भी देशी विदेशी कारपोरेट घरानों को देने पर आमादा है। सरकार के इस काले कानून से खेती बारी को बचाने की गुहार करने के लिए किसान दिल्ली आ रहा है और चीन के प्रधानमंत्री को बुलाकर झूला झुलाने वाली अडानी और अम्बानी जैसों की सरकार उनके साथ दुश्मन जैसा व्यवहार कर रही है। इसे किसी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है।
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किसान कमजोर पड़ा तो देश कमजोर होगा
उन्होंने कहा है कि यह लड़ाई केवल किसानों की नहीं है। यह लड़ाई पूरे देश की है। इस लड़ाई में किसान कमजोर पड़ा तो देश कमजोर होगा और नई ईस्ट इंडियाज कम्पनियों के नुमाइन्दे इस देश को अपनी मुट्ठी में भर लेने में कामयाब हो जाएंगे। इसलिए किसानों की इस लड़ाई में जो जहां है, वहीं किसानों के साथ खड़ा हो। उन्होंने कहा कि लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने दूसरी आजादी के लिए गाया था कि -जागो कृषक, श्रमिक, नागरिकों, इंक़लाब का नारा दो। कविजन, शिक्षक, बुद्धिजीवियों, अनुभव भरा सहारा दो।
फिर देखें यह सत्ता कितनी बर्बर है बौराई है
उन्होंने कहा कि आज कृषक जग गया है। अब जरूरत है कि श्रमिक, शिक्षक, बुद्धिजीवी, कवि, छात्र, युवा, बेरोजगार और ग़ैरकारपोरेट व्यवसायी भी जगें और खेती बचाओ- देश बचाओ के संघर्ष में किसानों का साथ दें।
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रिपोर्ट-अखिलेश तिवारी
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