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'चौकीदार की जंग' पर फूट पड़ा असल चौकीदारों का गम, बोले- अच्छा होता कि प्रधानमंत्री...

चौकीदार का कहना है कि हमारा काम रखवाली करना है लेकिन पुलिस वाले हमसे झाड़ू बर्तन और अपने सारे निजी काम करवाते हैं। उनका कहना है कि जब हम सरकारी काम करने के लिए रखे गए हैं तो हमसे पुलिस वाले अपना निजी काम क्यों करवाते हैं।

Shivakant Shukla
Published on: 25 March 2019 9:42 AM GMT
चौकीदार की जंग पर फूट पड़ा असल चौकीदारों का गम, बोले- अच्छा होता कि प्रधानमंत्री...
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बाराबं​की: राजनीति के मैदान-ए-जंग में जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह ने अपने नाम के आगे चौकीदार लगाया तो उनकी पूरी कैबिनेट एक एक कर चौकीदार की कतार में खड़ी हो गई। जिसे देखकर लगा कि 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के अध्यक्ष राहुल गांधी को जवाब देने की गंभीर कोशिश में भाजपा का शीर्ष नेतृत्व भिड़ गया है।

खैर इसी बहाने ग्रामीण अंचलों में सूचना और सुरक्षा का पहला सूत्र माने जाने वाले चौकीदार या ग्राम प्रहरी का नाम अचानक लोगों की जुबान पर आ गया है। आखिर हो भी क्यों नहीं, देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने नाम के आगे चौकीदार जो लिख लिया है। वहीं विपक्षी दल चौकीदार चोर बोलकर ताना देते हैं। ऐसे में चौकीदारों में खुशी और मायूसी दोनों है।

चौकीदारों के नाम पर देशभर में राजनीति

चौकीदारों का कहना है कि अगर सरकार हमारे नाम को बड़ा बना रही है तो मानदेय और सुविधाएं भी दे जिससे परिवार का पालन पोषण हो सके। जबकि वह चौकीदार चोर कहने वाली बात पर वह मायूस भी दिखे। उन्होंने एक सुर में कहा कि राजनीति के चक्कर में चौकीदार जैसे मेहनती और ईमानदार व्यक्ति को बदनाम नहीं करना चाहिए।

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लोकसभा चुनाव में राजनीतिक प्रोपोगेंडा बने चौकीदार इस समय सभी के दिमाग पर छाए हुए हैं। किसी ने अपने नाम के आगे चौकीदार लिखवा लिया तो किसी ने लिखा हां मैं भी चौकीदार, तो कोई इसी का विरोध करते हुए चौकीदार चोर है का नारा बुलंद करके चुनावी तैयारियों में लगा हुआ है। लेकिन जिन चौकीदारों के नाम पर देशभर में राजनीति की जा रही है उन्हीं की माली हालत बेहत खराब है।

सरकारें किसी की भी रही हों और स्थितियां चाहे जो भी रही हों गांवों में तैनात इन चौकीदारों पर न किसी का ध्यान गया और न ही किसी ने इनके बारे में आज तक सोचा। प्रशासनिक कामों में अहम भूमिका निभाने वाले इन चौकीदारों की हालत यह है कि वे अपनी बुनियादी सुविधाएं भी नहीं जुटा पा रहे हैं और जो राजनीतिक पार्टियां उनका नाम लेकर राजनीति करने में जुटी हैं उन्होंने भी उनकी ओर ध्यान नहीं दिया। बाराबंकी की फतेहपुर कोतवाली में तैनात करीब 70 चौकीदार भी इससे आहत हैं कि उनके नाम का राजनीति में उपयोग तो किया जा रहा है लेकिन उनकी ओर ध्यान किसी का नहीं जा रहा।

भाजपा के चौकीदार कैंपेन को लेकर फतेहपुर कोतवाली में कार्यरत चौकीदार सरकार से मिलने वाली सुविधाओं और मानदेय का रोना रोते नजर आए। चौकीदार हरनाम का कहना है कि साल 1986 में उन्हें 50 रुपए मिलता था फिर उनका मेहनताना 100 रुपए हुआ। जो बढ़ते बढ़ते अब रोजाना पचास रुपए के हिसाब से डेढ़ हजार तक पहुंचा है।

सरकार अगर हमारे नाम का इस्तेमाल कर रही है तो हमें हमारा हक भी दे: चौकीदार

उनका कहना है कि सरकार नाम के साथ सुविधाएं और मानदेय बढ़ाए। जिससे परिवार का गुजार हो सके। धीरज का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने नाम के साथ चौकीदार लिखा है, यह खुशी की बात है लेकिन नाम को आगे बढ़ाने से बेहतर होता की वह गरीब चौकीदारों के लिए सुविधाएं देते। चौकीदार मेहनत करने के बाद भी परेशानी की जिंदगी बिताते हैं। सिर्फ चौकीदार लिखने से कुछ बदलने वाला नहीं। बल्कि हमारा मेहनताना बढ़ाएं जिससे हम भी अपने परिवार और बच्चों का गुजारा चला सकें।

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वहीं चौकीदार धीरज का कहना है कि यह गर्व की बात है कि प्रधानमंत्री चौकीदार जैसा छोटा नाम अपने नाम के साथ जोड़ रहे हैं। लेकिन प्रधानमंत्री को चौकीदारों की बदहाली का भी संज्ञान लेना चाहिए। जिससे परिवार का पालन हो सके। सरकार की ओर से कोई सुविधा नहीं दी जाती। चौकीदारों का मानदेय बढ़ाया जाए। उनका कहना है कि वह कई बार अपनी मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन कर चुके हैं। यहां तक कि अपनी आवाज बुलंद करने को लेकर मुलायम सिंह यादव की सरकार में उनको जेल तक जाना पड़ा था। लेकिन हमारी स्थिति आज भी जस की तस बनी हुई है।

पुलिस वाले अपना निजी काम करवाते हैं: चौकीदार

जबकि बाबू चौकीदार का कहना है कि हमारा काम रखवाली करना है लेकिन पुलिस वाले हमसे झाड़ू बर्तन और अपने सारे निजी काम करवाते हैं। उनका कहना है कि जब हम सरकारी काम करने के लिए रखे गए हैं तो हमसे पुलिस वाले अपना निजी काम क्यों करवाते हैं। उन्होंने कहा कि सरकार अगर हमारे नाम का इस्तेमाल कर रही है तो हमें हमारा हक भी दे।

क्योंकि सिर्फ नाम के साथ चौकीदार जोड़ने से हमारा कुछ भला नहीं होने वाला। 50 रुपए रोज के मेहनताने पर आजकल क्या होता है। नाम का इस्तेमाल कर राजनीति हो सकती है। लोग चोर कह रहे हैं। जबकि चौकीदार मेहनती और ईमानदार होता है। पुलिस के साथ रात में भी मेहनत करता है। लेकिन मानदेय के नाम पर मात्र 1500 रुपये दिए जाते हैं। वर्दी और डंडा तक नहीं मिलता।

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