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दिल्ली वोटिंग का खुलासा: इसलिए पड़े कम वोट, इनको होगा फायदा
मतदान में दिल्ली वासियों की सुस्ती साफ़ नजर आई। ऐसे में अब सवाल ये बनता है कि दिल्ली में वोटिंग क्यों कम हुई? वहीं कम मतदान से किस दल को फायदा होगा?
नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा चुनाव 2020 खत्म हो चुका है। शनिवार को राजधानी के नए सीएम के चुनाव के लिए वोटिंग हुई , हालाँकि वोटिंग का प्रतिशत पिछली बार के चुनाव से कम रहा। मतदान में दिल्ली वासियों की सुस्ती साफ़ नजर आई। ऐसे में अब सवाल ये बनता है कि दिल्ली में वोटिंग क्यों कम हुई? वहीं कम मतदान से किस दल को फायदा होने की सम्भावना है?
कहां पड़े कितने वोट:
दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों पर शनिवार को सुबह आठ बजे से शुरू हुई वोटिंग शाम 5 बजे तक सिर्फ 62 फीसदी तक पहुंची। कई पोलिंग बूथ पर लंबी कतारों के बाद भी दिल्ली वासियों का वोट प्रतिशत साल 2015 विधानसभा चुनाव से कम रहा।
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सबसे अधिक वोट सीलमपुर विधानसभा सीट पर पड़े। यहां 71.40 फीसदी मतदान हुए। वहीं दिल्ली कैंट में सबसे कम 45.42 प्रतिशत वोटिंग हुई।
70 विधानसभा सीटों के वोटिंग टर्नआउट
टॉप थ्री सीटों में गोकलपुर, मटियामहल और सीमापुरी विधानसभा सीट पर 71.40 फीसदी मतदान हुआ।
कैंट के बाद कम वोटिंग में महरौली रहा। यहां 46.59 फीसदी वोट पड़े।
आंकड़ों को देखा जाए तो 70 सीटों में से 40 सीटें ऐसी रहीं जहां 60 फीसदी या इससे अधिक मतदान हुआ। जबकि 30 विधानसभा सीटों पर 60 फीसदी से कम वोट पड़े।
इसलिए कम पड़े दिल्ली में वोट:
वोटिंग कम होने के कारण के बारे में कांग्रेस नेता शशि थरूर ने एक चौकाने वाला बयान दिया है। उनका मानना है कि दिल्ली में कम वोटिंग की वजह शाहीन बाग़ में हुई फायरिंग हैं। इसके अलावा उन्होंने एनआरसी और सीएए पर भी बयान देते हुए कहा कि लोगों में इस बात का शक है कि इन नागरिकता कानून के जरिये ठीक कागज न दिखा पाने वालों के वोटिंग अधिकार छीने जा सकते हैं।
कम वोटिंग से किसका फायदा-किसका नुकसान:
दिल्ली में सबसे ज्यादा वोटिंग की उत्सुकता शाहीन बाग़ में देखने को मिली। वहीं उम्मीद जताई जा रही है कि मुस्लिम समुदाय का एकतरफा वोट आम आदमी पार्टी के पास गया।
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इसके अलावा दिल्ली में करीब 35 प्रतिशत पूर्वांचली मतदाता हैं जो कुल 27 सीटों पर सीधा असर डालते हैं। एग्जिट पोल रिपोर्ट के मुताबिक़, 55 फीसदी पूर्वांचलियों ने केजरीवाल को वोट दिया और 36 प्रतिशत ने बीजेपी पर भरोसा जताया।
वहीं एग्जिट पोल रिपोर्ट के मुताबिक़, आम आदमी पार्टी को 46 से 54 सीटें तक मिल सकती हैं। कांग्रेस का आंकड़ा 0-3 के बीच कुछ भी हो सकता है। बीजेपी को 16 से 25 सीटें हाथ लग सकती हैं।