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मस्जिदों में लाउडस्पीकरों का इस्तेमाल कम करें: जमीयत उलेमा
मस्जिदों से बार-बार अलाउंस करने से रोजा नही रखने वालों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। बीमार ,बुजुर्ग और नौकरी पेशा करने वालों को इससे समस्या होती है। रोजा नहीं रखने वालों की नींद में खलल डालना गलत बात हैं प्रदेश स्तरीय बैठक में ये फरमान जारी किया गया है।
कानपुर: जमीयत उलेमा के प्रदेश अध्यक्ष ने मौलाना मतीन उल हक उसमा ओसामा कासिमी ने अपील की है कि मस्जिदों में लाउडस्पीकरों का इस्तेमाल कम से कम करें। सुबह के वक्त होने वाली शहरी का वक्त मस्जिदों से एक बार एलाउंस किया जाए। उसकी रेकार्डिंग को मस्जिदों से कई बार रिपीट नहीं करे।
मस्जिदों से बार-बार अलाउंस करने से रोजा नही रखने वालों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। बीमार ,बुजुर्ग और नौकरी पेशा करने वालों को इससे समस्या होती है। रोजा नहीं रखने वालों की नींद में खलल डालना गलत बात हैं प्रदेश स्तरीय बैठक में ये फरमान जारी किया गया है।
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कानपुर में जमीयत उलेमा की राज्य स्तरीय बैठक संपन्न हुई। जिसमे 6 मई से शुरू होने वाले रमजान पर चर्चा की गई। इसके साथ ही मौजूदा राजनीतिक समीकरणों पर भी बात हुई। जमीयत के सूबाई सदर मौलाना ने प्रदेश के सभी मुस्लिमों से अपील की है कि रमजान के पवित्र माह में लोकतंत्र के महापर्व का हिस्सा बने और वोट जरूर डालने जाए। वो ये नहीं सोचे की रोजे के वक्त इतनी गर्मी में कैसे वोटिंग करने जाएंगे।
जमीयत उलेमा के प्रदेश अध्यक्ष मौलाना मतीन उल हक उसमा ओसामा कासिमी ने कहा कि माह-ए-रमजान में मस्जिदों में सुबह होने वाली रेकार्डिंग को लगातार नहीं बजाया जाए। लाउडस्पीकरों की आवाज को बुलंद नही किया जाए। शहरी के वक्त दस-दस मिनट में मस्जिदों से एलान कर दिया जाए ताकि सभी को जानकारी हो जाए। पता चला कि रेकार्डिंग लगा दी और वो एक-एक घंटे तक चल रही है। रोजा सब को शांति और अमन का पैगाम लेकर आया है। आप लोग सोने बीमार,बुजुर्ग और बच्चो की नींद में खलल डाल कर तकलीफ पहुँचाने का काम करने लगते है।
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वोट करना लोकतंत्र को मजबूत करना है जितना मुल्क मजबूत होगा उतना ही हम मजबूत होंगे। मुल्क है तो हम मुल्क नहीं तो हमारी क्या कीमत है। मेरी आप सभी से अपील है कि वोट जरूर डालने जाए। जब हम रमजान में सभी काम करते है व्यापर करते है तो वोट भी जरूर करें।