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कोरोना काल में गीताप्रेस मालामाल, धार्मिक पुस्तकों की रिकॉर्डतोड़ बिक्री

कोरोना काल में पुस्तक-पत्रिकाओं की प्रिंटिंग पर संकट के बीच दुनिया के सबसे बड़े प्रकाशन समूह गीता प्रेस की धार्मिक पुस्तकों की रिकॉर्ड बिक्री हो रही है। बीते अक्तूबर में 6.80 करोड़ कीमत की धार्मिक पुस्तकें बिकीं जो अभी तक का रिकॉर्ड है। मांग से पुस्तकें आउट ऑफ स्टॉक हो गई हैं।

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Published on: 7 Dec 2020 4:11 AM GMT
कोरोना काल में गीताप्रेस मालामाल, धार्मिक पुस्तकों की रिकॉर्डतोड़ बिक्री
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कोरोना काल में गीताप्रेस मालामाल, धार्मिक पुस्तकों की रिकॉर्डतोड़ बिक्रीकोरोना काल में गीताप्रेस मालामाल, धार्मिक पुस्तकों की रिकॉर्डतोड़ बिक्री

गोरखपुर: कोरोना काल में पुस्तक-पत्रिकाओं की प्रिंटिंग पर संकट के बीच दुनिया के सबसे बड़े प्रकाशन समूह गीता प्रेस की धार्मिक पुस्तकों की रिकॉर्ड बिक्री हो रही है। बीते अक्तूबर में 6.80 करोड़ कीमत की धार्मिक पुस्तकें बिकीं जो अभी तक का रिकॉर्ड है। मांग से पुस्तकें आउट ऑफ स्टॉक हो गई हैं। ये स्थिति तब है, जब देश के 50 रेलवे स्टेशन पर गीता प्रेस के बुक स्टॉल के शटर गिरे हुए हैं। रेलवे स्टेशनों के बुक स्टॉलों पर बिक्री नहीं के बराबर है।

कोरोना के चलते हुए लॉकडाउन के बाद गोरखपुर के विश्व प्रसिद्ध गीता प्रेस की धार्मिक पुस्तकों की बिक्री पर ग्रहण लग गया था। अप्रैल में 39 लाख और मई महीने में सिर्फ 57.75 लाख कीमत की पुस्तकों की बिक्री हुई। लेकिन अनलॉक-1 की घोषणा के साथ ही जून में 2.62 करोड़ की पुस्तकें बिकीं। सितम्बर आते-आते बिक्री डबल से भी अधिक होकर 5.64 करोड़ रुपये पहुंच गई। अक्तूबर महीने में गीता प्रेस के इतिहास की सर्वाधिक बिक्री दर्ज की गई। अक्तूबर में हुई 6.80 करोड़ कीमत की पुस्तकों की बिक्री में डिजिटल प्लेटफार्म का भी योगदान है।

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गीता प्रेस के ट्रस्टी देवी दयाल अग्रवाल का कहना है कि ‘गीता प्रेस ऑनलाइन प्लेटफार्म से पुस्तकों की बिक्री में 800 प्रतिशत से ज्यादा का उछाल आया। मार्च 2020 तक गीता प्रेस की वेबसाइट book.gitapress.org पर औसतन हर महीने बमुश्किल बमुश्किल सौ ऑर्डर आते थे। जून में 719 ऑर्डर मिले तो अगस्त में कुल 856 ऑर्डर मिले। अब यह संख्या 1000 के करीब पहुंच गई है।’ गीता प्रेस के ट्रस्टी लालमणि तिवारी ने बताया कि ‘नवम्बर की बिक्री अक्तूबर से थोड़ी कम है। दिसम्बर में बिक्री का रिकॉर्ड एक बार फिर टूटने का अनुमान है।’

स्टॉक खत्म, चार घंटे अधिक हो रही प्रिंटिंग

कोरोना काल में गीताप्रेस की धार्मिक, आध्यात्मिक एवं प्रेरणादायी कहानी की किताबों की धूम है। किताबें ऑनलाइन पढ़ी जा रही हैं। ऑनलाइन प्लेटफार्म पर श्रीमद्भगवतगीता, श्रीरामचरितमानस, सुंदर कांड, दुर्गा सप्तशती, योग दर्शन, व्रत परिचय, ईशादि के नौ उपनिषद, गीता की तत्वविवेचनी टीका, हनुमान चालीसा आदि धार्मिक पुस्तकों की मांग है। वहीं बच्चों की भी कहानी की लगभग एक हजार अलग-अलग किताबें गीताप्रेस की वेबसाइट पर मौजूद हैं। इनमें लकड़ी की तलवार, एक शाम जादूगर के साथ, छह अंधे और हाथी, चूहे को मिली पेंसिल, भोजन की थाली, बंदर की मूंछे, तीन नन्हें खरगोश, नीला सियार, बिच्छू और मगरमच्छ आदि पुस्तकें पढ़ी जा रही हैं। मांग के चलते गीता प्रेस में 400 से अधिक प्रकार की पुस्तकों का स्टाक खत्म हो गया है।

गीता प्रेस प्रबंधन के मुताबिक, पातंजलि योग प्रदीप, नारद पुराण, संक्षिप्त श्रीमद्देवीभागवत, संक्षिप्त ब्रह्मपुराण, नरसिंह पुराण, भागवत सटीक (तमिल), वाल्मीकि रामायण (तमिल), गीता तत्व विवेचनी (उड़िया, अंग्रेजी), श्रीरामचरितमानस (मराठी, तेलुगु, रोमन), सचित्र हनुमान चालीसा, मत्स्य पुराण और गर्ग संहिता जैसी महत्वपूर्ण पुस्तकों का स्टॉक खत्म हो गया है। छपाई के लिए 150 पुस्तकें लाइन में हैं। आपूर्ति सामान्य करने को चार घंटे अतिरिक्त मशीन चलाई जा रही है।

इसलिए बढ़ी गीता प्रेस की धार्मिक पुस्तकों की बिक्री

वर्ष 1927 में महात्मा गांधी की प्रेरणा से स्थापित गीता प्रेस से 15 भाषाओं में करीब 1800 तरह की पुस्तकें प्रकाशित होती हैं। हिन्दी, संस्कृत, अंग्रेजी, बांग्ला, उड़िया, असमिया, गुजराती, मराठी, तमिल, तेलगु, कन्नड़, मलयालम, उर्दू, पंजाबी व नेपाली भाषाओं में पुस्तकें प्रकाशित होती हैं। गीता प्रेस के उत्पाद प्रबंधक डॉ.लालमणि तिवारी का कहना है कि ‘कोरोना के कारण लोग घरों से कम निकल रहे हैं। पाठकों को पुस्तकें सुरक्षित मिल जा रही हैं। ऑनलाइन के ऑफ लाइनऑर्डर में काफी वृद्धि हुई है। अमेजन आदि से भी बिक्री हो रही है।’ पूर्वांचल के प्रतिष्ठित बुक सेलर गुड्डू खान बताते हैं कि ‘कोरोना काल में कई साहित्यिक, धार्मिक और लाइफ स्टाइल की पत्रिकाओं का प्रकाशन खत्म होने से काउंटर से गीता प्रेस की पुस्तकें बिकीं।’

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गीता प्रेस की इन पुस्तकों की सर्वाधिक मांग

गीता प्रेस की पुस्तकें नेपाल, अमेरिका समेत दुनिया के सभी देशों में जाती हैं। कोरोना काल में श्री रामचरितमानस, गीता साधक संजीवनी, वाल्मीकि रामायण, भागवत महापुराण और शिवमहापुराण के सर्वाधिक ऑर्डर मिले हैं। गीता प्रेस के मुख्य स्टॉल के प्रमुख राममूरत सिंह बताते हैं कि ‘तमाम ऐसे लोग हैं, जो बड़ी संख्या में पुस्तकें खरीदकर मंदिरों और सार्वजनिक स्थलों पर वितरित कर रहे हैं। एक व्यापारी हर 15 दिन पर आते हैं, और बांटने के लिए 10 से 15 हजार कीमत की पुस्तकें ले जाते हैं। इनमें नारी धर्म, परम सेवा, नारी शिक्षा, स्त्रियों के लिए कर्त्यव्य शिक्षा, दुर्गा सप्तसती, दुर्गा चालिया, गीता, हनुमान चालिसा प्रमुख है। नये वर्ष के लिए लोग डायरी की जगह गीता दैनन्दिनी की डिमांड कर रहे हैं।’

गोरखपुर से पूर्णिमा श्रीवास्तव

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