×

UP के क्रांतिकारी: अंग्रेजों की कर दी थी हालत खराब, देश नहीं भूलेगा ये योगदान

यह आंदोलन महात्मा गांधी द्वारा अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के मुम्बई अधिवेशन में शुरू किया गया था। यह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान विश्वविख्यात काकोरी काण्ड के ठीक सत्रह साल बाद ९ अगस्त सन १९४२ को गांधीजी के आह्वान पर समूचे देश में एक साथ आरम्भ हुआ।

Newstrack
Published on: 9 Aug 2020 11:28 AM GMT
UP के क्रांतिकारी: अंग्रेजों की कर दी थी हालत खराब, देश नहीं भूलेगा ये योगदान
X
Quit India Movement

कपिल देव मौर्य

भारत छोड़ो आन्दोलन, द्वितीय विश्वयुद्ध के समय ९ अगस्त १९४२ को आरम्भ किया गया था। जिसका एक लक्ष्य था कि भारत से ब्रितानी साम्राज्य को समाप्त करना है । यह आंदोलन महात्मा गांधी द्वारा अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के मुम्बई अधिवेशन में शुरू किया गया था। यह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान विश्वविख्यात काकोरी काण्ड के ठीक सत्रह साल बाद ९ अगस्त सन १९४२ को गांधीजी के आह्वान पर समूचे देश में एक साथ आरम्भ हुआ। यह भारत को तुरन्त आजाद करने के लिये अंग्रेजी शासन के विरुद्ध एक सविनय अवज्ञा आन्दोलन था।

गहलोत का हमला: बीजेपी पर बरस पड़े मुख्यमंत्री, कहा लोकतंत्र कमजोर हो रहा

अंग्रेजों भारत छोड़ो

jaunpur

क्रिप्स मिशन की विफलता के बाद महात्मा गाँधी ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ़ अपना तीसरा बड़ा आंदोलन छेड़ने का फ़ैसला लिया। 8 अगस्त 1942 की शाम को बम्बई में अखिल भारतीय काँगेस कमेटी के बम्बई सत्र में 'अंग्रेजों भारत छोड़ो' का नाम दिया गया था। हालांकि गाँधी जी को फ़ौरन गिरफ़्तार कर लिया गया था लेकिन देश भर के युवा कार्यकर्ता हड़तालों और तोड़फ़ोड़ की कार्रवाइयों के जरिए आंदोलन चलाते रहे। कांग्रेस में जयप्रकाश नारायण जैसे समाजवादी सदस्य भूमिगत प्रतिरोधि गतिविधियों में सबसे ज्यादा सक्रिय थे। पश्चिम में सतारा और पूर्व में मेदिनीपुर जैसे कई जिलों में स्वतंत्र सरकार, प्रतिसरकार की स्थापना कर दी गई थी। अंग्रेजों ने आंदोलन के प्रति काफ़ी सख्त रवैया अपनाया फ़िर भी इस विद्रोह को दबाने में सरकार को साल भर से ज्यादा समय लग गया| इस आन्दोलन में जनपद जौनपुर के स्वतंत्रता संग्राम सेनानीयों का बड़ा योगदान रहा है।

भारत छोड़ो आंदोलन पारित होने की सूचना जिले में एक दिन बाद पहुंच पाई थी। भारत छोड़ो आन्दोलन का प्रस्ताव 8 अगस्त 1942 को बम्बई अधिवेशन में पारित होने वाला था। जिसकी सूचना पाने के लिए समाचार पत्रों के अतिरिक्त कोई दूसरा संचार साधन नहीं था। ऐसे में 9 अगस्त 1942 तक भारत छोड़ो आन्दोलन की सूचना जिले के सेनानियों को दूसरे दिन मिल पाई थी।

ये लोग गिरफ्तार किये गए

shaheed smarak

10 अगस्त 1942 दिन सोमवार को क्षत्रिय कालेज (अब टीडी कालेज) के छात्रावास में अखबार देने वाले पारसनाथ ने छात्र सेनानी वीर दिवाकर सिंह को बताया कि अंग्रेजों भारत छोड़ो को प्रस्ताव पारित हो गया है। दिल्ली में महात्मा गांधी, पं.जवाहर लाल नेहरू, अबुल कलाम आजाद आदि गिरफ्तार कर लिए गए हैं। पारसनाथ ने यह भी बताया कि कांग्रेस कमेटी कार्यालय पर भी पुलिस का छापा पड़ा है। जिसमें अभयजीत दुबे, भगवती दीन तिवारी, दीपनारायण वर्मा, शिववर्ण शर्मा, रामगोविन्द दुबे, रामशिरोमणि दुबे, द्वारिका प्रसाद मौर्य, रामेश्वर प्रसाद सिंह, गजराज सिंह आदि नेता गिरफ्तार कर लिए गए हैं। कोई संचालन के लिए शेष नहीं रह गया है। हालांकि नौ अगस्त को ही सेनानियों ने बरगूदर का पुल तोड़ा था।

अपने जीवन काल में वीर दिवाकर सिंह बताते थे कि नेताओं की गिरफ्तारी की खबर मिलने के बाद क्षत्रिय कालेज, कायस्थ पाठशाला (अब बीआरपी कालेज) के छात्रों की बैठक हुई। जिसमें वीर दिवाकर सिंह को संचालन का कार्यभार दिया गया। बैठक में निश्चय किया गया कि जिला कारागार पर अधिकार करके सभी बन्दियों को मुक्त कराना है।

गहलोत का हमला: बीजेपी पर बरस पड़े मुख्यमंत्री, कहा लोकतंत्र कमजोर हो रहा

उसी दिन कारागार पर प्रदर्शन किया

1942 quit india movment hero

बैठक के बाद छात्रों ने उसी दिन कारागार पर प्रदर्शन किया और तिरंगा झंडा लगा दिया। इस बीच पुलिस दल आ गया और लाठी चार्ज किया। जिसमें दिवाकर सिंह गिरफ्तार हुए। क्षत्रिय कालेज के तत्कालीन प्रधानाचार्य रामजीवन चटर्जी ने तत्कालीन जिलाधिकारी सैमसन से बात कर उन्हें कारागार से मुक्त कराया।

दिवाकर सिंह बताते थे कि 11 अगस्त को एक लाज कुमार आश्रम में गुप्त बैठक हुई। जिसमें तय हुआ कि 12 अगस्त को कलेक्ट्रेट का घेराव करके न्यायालयों में वादकारियों और अधिवक्ताओं को जाने से रोका जाएगा। गुलामी का प्रतीक यूनियन जैक हटाकर तिरंगा झंडा लगाकर न्यायालय पर अधिकार किया जाएगा।

12 अगस्त 1942 को घेरा कलेक्ट्रेट

tribute to heroes

छात्र सेनानियों में 12 अगस्त को कलेक्ट्रेट का घेराव किया। उस समय वयस्क नेताओं का मार्ग दर्शन नहीं मिल सका। क्योंकि 9 अगस्त को गिरफ्तार नेताओं के अलावा जो बचे थे वह भूमिगत हो गए थे। उत्साहित छात्रों का दल कलेक्ट्रेट का घेराव किया। इसमें काशी विद्यापीठ व काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के कुछ छात्र भी शामिल रहे। यूनियन जैक हटाकर तिरंगा लगाने का प्रयास किया लेकिन तत्कालीन पुलिस अधीक्षक इन्ग्रेम ने पुलिस दल के साथ आकर लाठीचार्ज व फायरिंग शुरू करा दी। जिसमें दिवाकर सिंह समेत बहुत से छात्र घायल हुए थे।

15 अगस्त के दिन सलामी परेड में शामिल होने वाले 350 दिल्ली पुलिसकर्मी क्वारनटीन

देश दुनिया की और खबरों को तेजी से जानने के लिए बनें रहें न्यूजट्रैक के साथ। हमें फेसबुक पर फॉलों करने के लिए @newstrack और ट्विटर पर फॉलो करने के लिए @newstrackmedia पर क्लिक करें।

Newstrack

Newstrack

Next Story