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चौदह साल हो गए RTI को, और यहां के अधिकारियों को जवाब देना नहीं आया
राज्य सूचना आयुक्त सुबोध कुमार सिंह का कहना है कि कई विभागों ने अपना पोर्टल तैयार किया है। उत्तर प्रदेश सरकार भी इस पर बहुत ध्यान दे रही है। ज्यादा से ज्यादा अपनी सूचनाओं को और अपनी फाईल को अपने पोर्टल पर डालें। पोर्टल एक माध्यम बन जाता है लोगों के लिए कि वह अपनी सूचना पोर्टल से ही प्राप्त कर सकें। हमको जन सूचना अधिकारी के आने की जरूरत नही है।
शाहजहांपुर: यूपी के शाहजहांपुर में आज राज्य सूचना आयुक्त ने एक कार्यक्रम किया। जिसमें जन सूचना अधिकारी प्रथम अपीलिय अधिकारी और जिले के वरिष्ठ अधिकारियों ने शिरकत की। इस कार्यक्रम में जन सूचना अधिकारियों को बताया गया कि उनको सूचना के अधिकार का कैसे जवाब देना है। और इस बने एक्ट में कौन कौन से बिंदू है जो बेहद महत्वपूर्ण है। राज्य सूचना आयुक्त का कहना है कि आयोग में अभी भी 50 हजार से ज्यादा अपील लंबित है जिस पर सुनवाई नही हो पाई है।
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ज्यादा से ज्यादा अपनी सूचनाओं को और अपनी फाईल को अपने पोर्टल पर डालें
राज्य सूचना आयुक्त सुबोध कुमार सिंह का कहना है कि कई विभागों ने अपना पोर्टल तैयार किया है। उत्तर प्रदेश सरकार भी इस पर बहुत ध्यान दे रही है। ज्यादा से ज्यादा अपनी सूचनाओं को और अपनी फाईल को अपने पोर्टल पर डालें। पोर्टल एक माध्यम बन जाता है लोगों के लिए कि वह अपनी सूचना पोर्टल से ही प्राप्त कर सकें। हमको जन सूचना अधिकारी के आने की जरूरत नही है।
आयोग अपनी सुनवाई मे भी ज्यादा से ज्यादा नेट का उपयोग करना चाहता है। इस प्रकार से जो अंतिम आदेश आयोग के द्वारा किए जा रहे हैं। वही आदेश उसी जान आयोग अपने पोर्टल पर डाल देता है। चाहे वह अपीलकर्ता हो या फिर संबधित विभाग हो। वह उसी दिन अपने केस के बारे मे जान सकता है कि क्या फैसला हुआ है क्या निर्णय लिया गया है वह पोर्टल पर देख सकता है।
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राज्य सूचना आयुक्त ने जन सूचना अधिकारियों के साथ एक बैठक की। जिसमे बताया कि सूचना का अधिकार नियम 2005 सूचना का अधिकार नियमावली 2015 के संबध मे प्रशिक्षण कार्यक्रम किया गया था।
समय समय पर उत्तर प्रदेश सूचना आयोग द्वारा इस प्रकार के प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाते है
इस कार्यक्रम का वित्तिय भार भारत सरकार की तरफ से खर्च किया गया है। जन सूचना अधिकार एक महत्वपूर्ण अधिनियम है। इसमें जो विभिन्न धाराएं है उस संबध में बहुत सारी जानकारिया जन सूचना अधिकारी के पास नही होती है। इसलिए समय समय पर उत्तर प्रदेश सूचना आयोग द्वारा इस प्रकार के प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाते है।
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उनका कहना है कि सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 है उसका प्रीयम्बल है उसमे ही अंकित है कि ये एक्ट जो बनाया जा रहा है। और जो बनाया गया है। इससे पारदर्शिता लाना है जो विभिन्न विभागों में कार्यप्रणाली है उसमें पारदर्शिता आए । उनके जो उत्तरदायित्व है उनका निर्धारण हो। तथा भ्रष्टाचार जैसी समस्या को दूर किया जाए।
उन्होंने बताया कि जब जन सूचनाएं मांगी जाती हैं तो विभिन्न विषयों पर मांगी जाती हैं और विभिन्न प्रकार से मांगी जाती है। यह एक वातावरण तैयार किया जाता है। जिसमें कि गलत काम करना गलत ढंग से काम करना किसी को फायदा पहुंचाना इस पर अंकुश लगता है। उनका कहना है कि अभी भी आयोग मे 50 हजार से ज्यादा ऐसी अपील है जो लंबित है। जिस पर अभी तक कोई सुनवाई नही हो पाई है।