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Opposition Meeting: विपक्ष की बैठक में नहीं जाएंगे जयंत चौधरी,नीतीश और अखिलेश को दिया झटका,सपा मुखिया से खटपट की चर्चाएं
Opposition Meeting: जयंत चौधरी विपक्ष बैठक में नहीं जाएंगे। अखिलेश यादव की ओर से उठाए गए एक कदम से भी जयंत चौधरी और राष्ट्रीय लोकदल के अन्य नेता काफी नाराज बताए जा रहे हैं।
Opposition Meeting: राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष जयंत चौधरी ने पटना में होने वाली विपक्षी दलों की महाबैठक से किनारा कर लिया है। उन्होंने पूर्व निर्धारित पारिवारिक कार्यक्रमों की वजह से बैठक में शामिल न होने का फैसला किया है। जयंत ने बैठक के आयोजक और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को अपने फैसले की जानकारी दे दी है। नीतीश कुमार को भेजे गए संदेश में उन्होंने बैठक की सफलता के लिए शुभकामनाएं तो दी हैं मगर इसके साथ ही बैठक में शामिल होने असमर्थता भी जता दी है।
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जयंत चौधरी का यह कदम समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। जयंत चौधरी के इस फैसले से साफ हो गया है कि उनके और सपा मुखिया अखिलेश यादव के रिश्ते पहले की तरह सहज नहीं रह गए हैं। दोनों नेताओं के बीच खटपट और खींचतान की चर्चाएं तेज हो गई हैं।
इसलिए बढ़ीं दोनों नेताओं की दूरियां
समाजवादी पार्टी ने पिछला विधानसभा चुनाव राष्ट्रीय लोकदल के साथ गठबंधन में लड़ा था। 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान दोनों दलों के बीच तालमेल हुआ था। पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान दोनों दलों के बीच कुछ सीटों को लेकर खींचतान हुई थी मगर बाद में मामला सुलझा लिया गया था। वैसे पिछले निकाय चुनाव के दौरान दोनों दलों के बीच खींचतान बढ़ गई थी। मेरठ की मेयर सीट पर राष्ट्रीय लोकदल की ओर से दावेदारी की जा रही थी मगर समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव इस सीट के लिए सीमा प्रधान को उम्मीदवार घोषित कर दिया था। इस ऐलान से पहले उन्होंने जयंत चौधरी से कोई चर्चा तक नहीं की थी। हालांकि चुनाव में सीमा प्रधान को करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा था।
अब दोनों का साथ चलना लग रहा मुश्किल
मेरठ की मेयर सीट के अलावा पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कई नगर पालिकाओं में भी दोनों दलों के बीच टकराव का माहौल पैदा हो गया था। ऐसे में जयंत चौधरी के पटना बैठक से अलग हो जाने के फैसले को काफी अहम माना जा रहा है। जयंत चौधरी के इस रुख से साफ हो गया है कि लोकसभा चुनाव के दौरान भी उनका सपा के साथ गठबंधन टूट सकता है। जानकारों का कहना है कि दोनों नेताओं के बीच खींचतान इस हद तक पहुंच गई है कि अब दोनों का आगे साथ चलना मुश्किल दिखाई दे रहा है।
अखिलेश के इस कदम से भारी नाराजगी
अभी हाल में सपा मुखिया अखिलेश यादव की ओर से उठाए गए एक कदम से भी जयंत चौधरी और राष्ट्रीय लोकदल के अन्य नेता काफी नाराज बताए जा रहे हैं। अखिलेश यादव ने जयंती चौधरी के गढ़ मुजफ्फरनगर में एक बड़ा सियासी खेल कर दिया है। सपा मुखिया ने यहां पर हरेंद्र मलिक को लोकसभा चुनाव प्रभारी घोषित करके जयंत के सामने बड़ी चुनौती पेश कर दी है। सपा के नेता मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट पर दावेदारी ठोक रहे हैं जबकि जयंत चौधरी किसी भी सूरत में इस सीट को छोड़ने के लिए तैयार नहीं दिख रहे हैं।
अखिलेश यादव की ओर से मुजफ्फरनगर में लोकसभा प्रभारी घोषित किए जाने के बाद राष्ट्रीय लोकदल के नेताओं में भारी नाराजगी दिख रही है। मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट पर 2019 के चुनाव में संजीव बालियान ने जयंत के पिता चौधरी अजित सिंह को हरा दिया था। जयंत चौधरी आज तक अपने पिता की हार को नहीं भूल सके हैं। इस बार वे इस सीट पर कब्जा करके 2019 की हार का बदला लेना चाहते हैं मगर इससे पहले ही सपा मुखिया अखिलेश यादव ने बड़ा सियासी खेल कर दिया। सपा मुखिया के इस कदम के बाद दोनों दलों के बीच टकराव काफी बढ़ गया है जिसका नतीजा 2024 के लोकसभा चुनाव में दिख सकता है।