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बस्ती: जयंत ने BJP पर साधा निशाना, कहा- शहीद किसानों को मिले सम्मान
पश्चिम यूपी के बाद आब पूर्वी यूपी में भी किसान आंदोलन की चिंगारी उठने लगी है। आरएलडी उपाध्यक्ष जयन्त चौधरी ने बस्ती के रूधौली में किसान पंचायत में शिरकत की, उन्होंने यहां के किसानों को तीन प्रस्ताव दिए।
बस्ती: पश्चिम यूपी के बाद आब पूर्वी यूपी में भी किसान आंदोलन की चिंगारी उठने लगी है। आरएलडी उपाध्यक्ष जयन्त चौधरी ने बस्ती के रूधौली में किसान पंचायत में शिरकत की, उन्होंने यहां के किसानों को तीन प्रस्ताव दिए।
आरएलडी नेता जयन्त चौधरी ने कहा की आम पब्लिक मानती है की किसान आंदोलन में 200 से ज्यादा किसान शहीद हुए उन्होंने किसानों के लिए कुरबानी दी,मेरा पहला प्रस्ताव है की उन शहीद किसानों का सम्मान होना चाहिए सरकार उन का सम्मान करे, जो पत्रकार किसान आनदोलन के पक्ष में बोल रहे लिख रहे सरकार उन के खिलाफ अनैतिक कार्रवाई बंद करे।
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जो सरकार जिद करेगी वो सरकार बदल देना...
पंचायत यह फैसला लेती है की इस क्षेत्र की जनता भी उबाल में है खड़ी होगी और न्याय की लड़ाई लड़ेगी, दूसरा प्रस्ताव जब तक तीन कानून वापस हों, जो सरकार जिद करेगी वो सरकार बदल देना, पंचायत का यह फैसला है जब तक तीन कानून सरकार वापस नहीं ले लेती, कोई शर्त नहीं चलेगी मौत तो मौत है चाहे आज आए या 18 महीने के बाद, सरकार किसानों को इन कानूनों के जरिए सजाए मौत देना चाहती है, जब तक ये तीनों कानून वापस नहीं होते तब तक किसान आनदोलन के लिए जो भी कुर्बानियां देनी पड़े देंगे।
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हर एक किसान का बच्चा-बच्चा इस में शामिल होने के लिए तैयार है, तीसरी बात फसलों के भाव की है, जो मूल बात है, अगर कानून वापस ले लेते हैं तो उस में कोई जीत नहीं है क्योंकि आप ने कुछ हासिल नहीं किया, जहां एक साल पहले खड़े थे वहीं खड़े रहोगे, मण्डी व्यवस्था में सुचारू रूप से सुधार होना चाहिए, चाहे सरकारी खरीद हो या प्राइवेट किसानों का न्यूनतम समर्थन मूल्य का हक बनता है वो उस को मिलना चाहिए, लेकिन ये लोग सुधरने वाले नहीं है जिस तरह से दिल्ली में रोकने के लिए आप लोगों के लिए कील लगाई गई एक-एक लाठी जो आप लोगों पर चलाई गई है।
सत्ता में आते ही भाषा बदल गई
जब ये लोग विपक्ष में थे क्या बात करते थे आज सत्ता में आते ही भाषा बदल गई है, 2011 में मोदी जी की अध्यक्षता में कमेटी बनाई गई थी, अब आप सोंचो मनमोहन जी का दिल तो बड़ा था की विपक्ष के एक बड़े नेता की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई और उस से प्रस्ताव लिए ये न तो किसी को पूछते हैं न ही मानते हैं, जहां हम लोग कार्यक्रम करते हैं वहां धारा 144, 2011 में मोदी जी ने मनमोहन जी के साथ एक फोटो खिंचाई थी, एक प्रत्यावेदन सौंपा गया था मांग की गई थी की एमएसपी के लिए कानून बनना चाहिए जो निजी व्यापार है वो भी एमएसपी के दायरे में आए, किसानों को न्यूयनतम समर्थन मूल्य मिलना चाहिए ये उन की भाषा थी, लेकिन अपनी सरकार में उन को खुद अपनी बात मान लेनी चाहिए किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य मिलना चाहिए
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BJP के गुंडों ने किसानों पर हाथ उठाना शुरू कर दिया
वहीं जयन्त चौधरी ने कहा की शुभ संकेत है की लोग आज खुद खड़े हो गए गांव-गांव में इन को नकार दिया जा रहा है, बौखलाहट में किसानों की पिटाई पर उतर आए हैं, किसानों पर इन के गुण्डों ने हाथ उठाना शुरू कर दिया तो हमें अब कुछ करने की जरूरत नहीं है, किसान इतना सक्षम है की इन को खदेड़ देगा, जिस लालकिले की अपमान की ये बात करते हैं, जो भी वहीं सल्तनत थी उस को अगर बिगाड़ना था तो उस क्षेत्र के किसान फैसला कर लेते थे और उस को बिगाड़ देते थे,
ये वो लोग है कहते हैं न आप ने गलत लोगों से पंगा ले लिया छत्ते में हाथ दे दिया, इन को अभी एहसास नहीं होगा की चोट कितनी भारी लगी है, पूर्वांचल के किसानों ने आज पंचायत में आकर साबित कर दिया की यहां भी किसान का खून है, ये राजनीतिक भूमि है पूर्वांचल के किसी व्यक्ति को माइक पर खड़ा कर दें तो घण्टों बोल सकता है।
रिपोर्ट: अमृत लाल