Jhansi News: आरपीएफ का काम सिर्फ, रेलवे की संपत्ति की हिफाजत करना है

Jhansi News: रेलवे प्लेटफार्म पर लगे स्टॉल, ठेले और रजिस्टर्ड वेंडर्स से पूछताछ या चेकिंग आरपीएफ नहीं कर सकती है। साथ ही वेंडर्स को आईडेंटी कार्ड भी जारी करने का कोई हक आरपीएफ को नहीं है।

B.K Kushwaha
Published on: 9 April 2023 12:26 AM GMT
Jhansi News: आरपीएफ का काम सिर्फ, रेलवे की संपत्ति की हिफाजत करना है
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आरपीएफ का काम सिर्फ, रेलवे की संपत्ति की हिफाजत करना है- Photo- Newstrack

Jhansi News: रेलवे प्लेटफार्म पर लगे स्टॉल, ठेले और रजिस्टर्ड वेंडर्स से पूछताछ या चेकिंग आरपीएफ नहीं कर सकती है। साथ ही वेंडर्स को आईडेंटी कार्ड भी जारी करने का कोई हक आरपीएफ को नहीं है। इस बात का खुलासा एक आरटीआई में हुआ है। आरटीआई के आए जवाब में यह बात कही गई है कि आरपीएफ को इन सबसे कोई सरोकार नहीं है। उनका काम सिर्फ रेलवे की सम्पत्ति की हिफाजत करना है।

आरपीएफ की बढ़ती दखल अंदाजी से तंग आकर एक व्यक्ति ने कुछ दिनों पहले एक आरटीआई डाली थी। जिसमें उन्होंने कई सूचनाएं मांगी थी। जैसे-रेलवे स्टेशनों पर रेलवे की ओर से अधिकृत स्टॉल व ट्रॉली, वेंडर का मेडिकल, फूड लाइसेंस, यूनिफऑर्म, नेम प्लेट, आई कार्ड, स्टॉल, ट्रॉली पर क्या-क्या बेचने की अनुमति है को चेक करने का अधिकार है। यदि चेक करने का अधिकार है, तो किसके आदेश पर। इन सारे सवालों का मंडल वाणिज्य प्रबंधक एसएस एवं जन सूचना अधिकारी वाणिज्य का एक ही जवाब आया है कि आरपीएफ को इस प्रकार का कोई अधिकार नहीं है।

चेकिंग के नाम पर करती है परेशान

अवैध वेंडर्स की धरपकड़ के नाम पर आरपीएफ रजिस्टर्ड वेंडर, अधिकृत स्टॉल और ट्रॉली वालों को भी परेशान करती है। कुछ दिनों पहले ही आरपीएफ ने दर्जनों वेंडर्स को थाने में बैठा कर उनके मेडिकल, आई कार्ड सहित अन्य चेक किए थे। आरपीएफ की आए दिन इस हरकत से काफी परेशान होती है। क्योंकि, इससे उनका कारोबार प्रभावित होता है। एेसे में आरटीआई इन सवालों ने सारी समस्याओं पर विराम लगा दिया है।

सिस्टम में आ जाओ, नहीं तो दुकानें बंद करवा देंगे

वीरांगना लक्ष्मीबाई झाँसी स्टेशन के ठीक सामने एमएफसी बिल्डिंग में बनी दुकानों के दुकानदार आरपीएफ व आरपीएफ की सीआई से काफी दुखी है। यह लोग दुकानदारों का उत्पीड़न कर रहे हैं व बोल रहे हैं कि सिस्टम में आ जाओ नहीं तो हम तुम लोगों की दुकानें बंद करवा देंगे। इस तरह की हरकतों से परेशान दुकानदारों ने रेल सुरक्षा बल के महानिदेशक आदि अफसरों को शिकायती पत्र देकर इन लोगों की जांच कराए जाने की मांग की है।

प्रेमनगर थाना क्षेत्र के पुलिया नंबर नौ मोहल्ले में रहने वाले मुकेश चंद्र तिवारी और सीपरी बाजार थाना क्षेत्र के ग्वालटोली मोहल्ले में रहने वाले पुखराज यादव ने रेल सुरक्षा बल के महानिदेशक आदि अफसरों को शिकायती पत्र देते हुए बताया है कि वीरांगना लक्ष्मीबाई झाँसी स्टेशन के सामने बनी बिल्डिंग में दुकानें ले रखी है। यह दुकानें लाखों रुपया खर्च करके ली गई है। दुकानों का संचालन हो रहा है।

वीरांगना लक्ष्मीबाई झाँसी स्टेशन पर आने व जाने वाले रेलयात्रियों को खाना मुहैया करायी जा रहा है। इसके अलावा बाहरी रेलयात्रियों को तमाम तरह की जानकारियां दी जा रही हैं ताकि लोग यहां आकर परेशान न हो, लेकिन आरपीएफ प्रभारी निरीक्षक व सीआई प्रभारी निरीक्षक कई दिनों से सभी लीगल दुकानदारों का उत्पीड़न कर रहे हैं व बोल रहे है कि सिस्टम में आ जाओ नहीं तो हम तुम लोगों की दुकानें बंद करा देंगे। बीते रोज प्रभारी निरीक्षक आरपीएफ व सीआई निरीक्षक मय स्टॉफ के साथ आए और सभी दुकानें बंद करवाने लगे और बोलने लगे कि सिस्टम में आ जाओ तो हम लोगों ने मना कर दिया तो उन लोगों ने उनके दो कर्मचारियों को जबरदस्ती गाड़ी में बैठा लिया और थाने में छह घंटे बैठाये रहे। झाँसी के सर्कुलेटिंग एरिया में अवैध रुप से वेंडिंग होती हैं।

वीरांगना लक्ष्मीबाई झाँसी स्टेशन के सभी प्लेटफार्म पर कई वैध वेंडरों की आड़ में अवैध वेंडरों को चलवाते हैं। रेलवे स्टेशन के सभी प्लेटफार्म पर लगे सीसीटीवी कैमरों में इन अवैध वेंडरों को देखा जा सकता है। शिकायती पत्र के माध्यम से लीगल दुकानदारों पर हो रहे उत्पीड़न को रोकने व अवैध वेंडरों के खिलाफ कार्रवाई करने, स्टेशन पोस्ट प्रभारी निरीक्षक, सीआई निरीक्षक के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। इस मामले की जांच झाँसी मंडल के अधिकारी स न कराकर अन्य मंडल के किसी वरिष्ठ अधिकारी से कराई जाए। घटना की सीसीटीवी वीडियो में उपलब्ध है।

क्या थाना में चलती हैं अदालत?

अगर कहीं पर भी अवैध वेंडरों को पकड़ा जाता है तो आरपीएफ कार्रवाई करते हुए उसे रेलवे अदालत में पेश करती है। अदालत में पेश होने के समय जुर्माना अदा करके संबंधित व्यक्ति को छोड़ दिया था मगर एनसीआर में एक थाना एेसा, जहां थाना की अंदर ही अदालत चलती हैं। काफी दिनों से रेलवे अदालत में मजिस्ट्रेट नहीं है। इसके बावजूद जीआरपी व आरपीएफ थाना का स्टॉफ अभियुक्त को अदालत में पेश करता है। अगर या कुछ नहीं होता है तो उसे सिविल अदालत में पेश किया जाता है। यहां से उसे जमानत मिल जाती या फिर जेल भेज दिया जाता है। मगर एनसीआर में आरपीएफ का एक थाना एेसा है जहां मात्र अवैध वेंडरों को जुर्माना लेकर छोड़ दिया जाता हैं। बाकी अन्य मामलों में पकड़े जाने वाले अभियुक्तों को सिविल अदालत में पेश किया जाता है। सूत्र बताते हैं कि मार्च और अप्रैल माह में कई वेंडर पकड़े गए हैं। प्रत्येक वेंडर से 3300 या 2300 रुपया जुर्माना वसूला गया है, मगर न तो उनको रसीद दी गई है और न ही किसी प्रकार की लिखापढ़ी के कागजात दिए गए हैं।

B.K Kushwaha

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