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कृषि विभाग में खेल! जमीन की सेहत जांचने को मिला धन वाहन व या़त्रा भत्ते पर खर्च

सवाल यह है कि महज 20 दिनों में यूपी में मृदा स्वास्थ्य की तस्वीर इतनी खुशनुमा कैसे हो गई। प्रदेश की योगी सरकार द्वारा वर्ष 2019-20 में मृदा स्वास्थ्य प्रबन्धन योजना के लिए दिए गए 677.70 करोड़ रुपये में से महज 167.37 करोड़ रुपये ही खर्च किए है।

Shivakant Shukla
Published on: 6 Dec 2019 3:23 PM GMT
कृषि विभाग में खेल! जमीन की सेहत जांचने को मिला धन वाहन व या़त्रा भत्ते पर खर्च
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लखनऊ: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार द्वारा किसानों की जमीनों की मृदा स्वास्थ्य सर्वेक्षण तथा प्रबंधन संबंधी भले तमाम दावें किए जा रहे हो लेकिन हकीकत यही हैं कि अन्य सरकारी योजनाओं की तरह इसमें महज अधिकारियों की आकंड़ेबाजी के अलावा और कुछ नहीं है।

हकीकत यह है कि प्रदेश सरकार द्वारा मृदा स्वास्थ्य प्रबन्धन योजना में वर्ष 2019-20 में दिए गए 677.70 करोड़ रुपये दिए लेकिन कृषि विभाग इसमे से अब तक महज 25 फीसदी ही खर्च कर पाया। इतना ही नहीं कृषि विभाग के अधिकारियों ने इस 25 फीसदी धन का उपयोग मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन के बजाए वाहन व यात्रा भत्ते में कर डाला।

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बीती पांच दिसंबर को मृदा संरक्षण दिवस के मौके पर प्रदेश सरकार के मंत्रियों व अधिकारियों द्वारा किसानों की जमीन की सेहत जांचने के तमाम दावें किए गए और अपनी पीठ थपथपाते हुए एक खूबसूरत तस्वीर पेश की गई लेकिन मृदा संरक्षण दिवस से पहले बीती 18 नवंबर को हुई कृषि विभाग द्वारा मृदा स्वास्थ्य कार्ड कार्यक्रम, मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन और मृदा सर्वेक्षण की समीक्षा बैठक में तस्वीर का दूसरा ही रूख सामने आया था।

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सवाल यह है कि महज 20 दिनों में यूपी में मृदा स्वास्थ्य की तस्वीर इतनी खुशनुमा कैसे हो गई। प्रदेश की योगी सरकार द्वारा वर्ष 2019-20 में मृदा स्वास्थ्य प्रबन्धन योजना के लिए दिए गए 677.70 करोड़ रुपये में से महज 167.37 करोड़ रुपये ही खर्च किए है। दिलचस्प यह है कि 167.37 करोड़ रुपये में से अधिकतर धनराशि का इस्तेमाल वाहन और यात्रा भत्ता मद में किया गया है।

मृदा स्वास्थ्य स्वास्थ्य प्रबंधन योजना में महज 25 फीसदी धन ही हो सका व्यय

कृषि विभाग से प्राप्त जानकारी के मुताबिक मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन के लिए जिम्मेदार 15 सहायक निदेशकों मृदा परीक्षण और मृदा सर्वेक्षण अधिकारियों द्वारा मृदा सर्वेक्षण कार्यक्रम 2018-19 का पूरी तरह से पालन नहीं किया जा रहा है, जिससे योजनाओं का क्रियान्वयन करने में कठिनाई सामने आ रही है। प्रदेश के 15 मृदा परीक्षण सहायक निदेशकों ने कृषि मशीनों, उपकरणों व सयंत्र के लिए नेशनल मिशन फार सस्टेनेबल एग्रीकल्चर योजना के तहत आवंटित किए गए धन में से केवल 27.61 प्रतिशत ही खर्च किया गया और वह भी केवल छह सहायक निदेशकों ने इस धन को व्यय किया जबकि शेष नौ सहायक निदेशकों ने आवंटित धन में से एक रुपया भी व्यय नहीं किया।

Shivakant Shukla

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