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लोकसभा में लगातार दूसरी बार भी सपा टाॅप-10 से बाहर

लोकसभा चुनाव में चली मोदी लहर ऐसी चली कि उत्तर प्रदेश के प्रमुख दलों की लोकसभा में हैसियत कम हो गयी। लोकसभा में अपने सांसदों की संख्या के बल पर लगातार टाप 10 में रहने वाली समाजवादी पार्टी की रैंकिग अब इतना नीचे आ गयी है कि वह टाप 10 में भी नहीं है।

Dharmendra kumar
Published on: 6 Jun 2019 4:54 PM IST
लोकसभा में लगातार दूसरी बार भी सपा टाॅप-10 से बाहर
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मनीष श्रीवास्तव

लखनऊ: लोकसभा चुनाव में चली मोदी लहर ऐसी चली कि उत्तर प्रदेश के प्रमुख दलों की लोकसभा में हैसियत कम हो गयी। लोकसभा में अपने सांसदों की संख्या के बल पर लगातार टाप 10 में रहने वाली समाजवादी पार्टी की रैंकिग अब इतना नीचे आ गयी है कि वह टाप 10 में भी नहीं है। हालांकि वर्ष 2014 की लोकसभा में किसी भी सांसद के न होने के कारण रैंकिग से बाहर बसपा ने उल्लेखनीय सुधार करते हुये मौजूदा लोकसभा में टांप-10 में जगह बना ली है।

वर्ष 2009 में लोकसभा में नंबर एक की हैसियत वाली कांग्रेस वर्ष 2014 व 2019 में नंबर दो पर है। हालांकि यूपी में कांग्रेस को महज एक ही सीट मिली है लेकिन अन्य राज्यों में मिली सीटों के कारण 17र्वी लोकसभा में उसकी नंबर-2 की रैंकिग बरकरार है।

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वर्ष 2009 में नंबर तीन की हैसियत वाली समाजवादी पार्टी 2014 में पांच सांसदों के साथ 16वीं लोकसभा में 12वें नंबर पर थी तो वर्ष 2019 में भी उसे पांच ही सीटे मिली है लेकिन 17वीं लोकसभा में उसकी रैंकिग में एक अंक का सुधार हो गया है और अब वह नंबर 11 पर है। इस लोकसभा में सपा की जगह नंबर तीन पर डीएमके ने ले ली है।

डीएमके वर्ष 2009 में 15वें स्थान पर थी तो 2014 में आठवें स्थान पर थी। इसी तरह वर्ष 2009 में चैथे स्थान पर रही बहुजन समाज पार्टी मौजूदा 17वीं लोकसभा में 10 सांसदों के साथ नौवें स्थान पर पहुंच गयी है। बसपा को बेदखल कर चैथे स्थान पर वाईएसआर और तृणमूल कांग्रेस पहुंच गयी है।

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मोदी लहर का सबसे ज्यादा नुकसान पश्चिमी उत्तर प्रदेश और किसानों की राजनीति करने वाली राष्ट्रीय लोकदल का हुआ है। 16वीं लोकसभा में रालोद के सांसदों की संख्या शून्य थी और इस बार भी रालोद का कोई भी प्रत्याशी सांसद नही बना है।



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