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राजनीतिक बढ़त लेने से चूके अखिलेश ने भाजपा को दिया फ्रंट फुट पर खेलने का मौका

समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने शनिवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में जब अयोध्या में मंदिरों और धार्मिक स्थलों पर कई गुना हाउस टैक्स लगाए जाने के मुद्दे को उठाया और ऐलान किया कि जब उत्तर प्रदेश में उनके सरकार आएगी तो अयोध्या को टैक्स फ्री कर देंगे।

Dharmendra kumar
Published on: 3 Jan 2021 11:38 AM IST
राजनीतिक बढ़त लेने से चूके अखिलेश ने भाजपा को दिया फ्रंट फुट पर खेलने का मौका
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अखिलेश तिवारी

लखनऊ: समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव शनिवार को अपने प्रतिद्वंदी भारतीय जनता पार्टी पर राजनीतिक बढ़त लेने से चूक गए। अयोध्या को टैक्स फ्री करने का ऐलान करने के साथ उन्होंने भाजपा को घेरने में जो कामयाबी हासिल की थी वह कोरोना वैक्सीन के मसले पर अपनी टिप्पणी से गवां दी।

कोरोना महामारी को लेकर समाजवादी पार्टी भाजपा को घेरने की कोशिश में खुद कटघरे में खड़ी हो गई है। समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने शनिवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में जब अयोध्या में मंदिरों और धार्मिक स्थलों पर कई गुना हाउस टैक्स लगाए जाने के मुद्दे को उठाया और ऐलान किया कि जब उत्तर प्रदेश में उनके सरकार आएगी तो अयोध्या को टैक्स फ्री कर देंगे। इस बयान से उन्होंने योगी सरकार के लिए मुश्किल पैदा करने का काम किया था।

अखिलेश ने भाजपा के आरोपों की निकाल दी थी हवा

भाजपा जो अपने को हिंदुत्व का सबसे बड़ा समर्थक बताती है। अयोध्या के भगवान श्री राम का नाम लेकर प्रदेश और देश में रामराज्य की संकल्पना को हकीकत में बदलने का दावा करती है। उसी की सरकार में मंदिरों से कई गुना अधिक टैक्स लिया जा रहा है। अयोध्या समेत देश के दूसरे क्षेत्रों में भी यह मुद्दा बनने वाला था।

भाजपा की ओर से समाजवादी पार्टी पर मुस्लिम तुष्टीकरण का हमेशा आरोप लगाया जाता रहा है ऐसे में अखिलेश यादव ने अपने एक बयान से भाजपा के आरोपों की न केवल हवा निकाल दी थी बल्कि खुद को मुस्लिम तुष्टीकरण के घेरे से बाहर निकाल कर बहुसंख्यक मतदाताओं के साथ खड़ा कर लिया था। अयोध्या में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ओर से हर साल दीपावली मनाई जाती है इस मुद्दे पर भी अखिलेश ने यह कहकर बढ़त लेने की कोशिश की थी कि उनकी सरकार बनने पर अयोध्या में ऐसा काम किया जाएगा कि हर रोज दीपावली मनाई जाएगी।

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राजनीतिक बढ़त के बजाय नुकसान का सौदा किया

अखिलेश यादव ने पहली बार भाजपा के मैदान में जाकर ऐसा दांव मारा था जो भाजपा को चारों खाने चित करने वाला था। लेकिन इसी के साथ जब उन्होंने कोरोनावायरस वैक्सीन को भाजपाई बता कर टीकाकरण से इंकार कर दिया तो राजनीतिक बढ़त के बजाय नुकसान का सौदा कर लिया। अयोध्या के मुद्दे पर मिली उनकी बढ़त को किसी ने तवज्जो नहीं दी। भाजपा सरकार के उपमुख्यमंत्री केशव मौर्य ने उन्हें विज्ञान विरोधी करार दे दिया। वैज्ञानिकों का अपमान करने के लिए उन्होंने अखिलेश यादव से माफी मांगने को भी कहा।

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भाजपा की ओर से अखिलेश यादव की ऑस्ट्रेलिया में इंजीनियरिंग पढ़ाई को लेकर भी सवाल उठाए गए। अपनी इस गलती का एहसास भी अखिलेश यादव को हुआ लेकिन तब तक देर हो चुकी थी। उन्होंने वैज्ञानिकों को सम्मान देने वाला बयान जारी किया लेकिन भाजपाई वैक्सीन पर अड़े रहे। उनके इस बयान का असर समाजवादी पार्टी में होना ही था। पार्टी के नेता एक कदम आगे बढ़कर वैक्सीन को अल्पसंख्यक वर्ग के आबादी नियंत्रण की साजिश का हिस्सा बताने लगे। एक साल पहले भी अखिलेश यादव ने कोरोनावायरस और नागरिकता संशोधन विधेयक प्रदर्शनों को लेकर इसी तरह का अटपटा बयान दिया था।

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अयोध्या के मुद्दे पर भी अखिलेश यादव ने जहां भाजपा को घेरने में कामयाबी हासिल की थी वही अपनी राजनीतिक बढ़त को उन्होंने कोरोना के मुद्दे पर घटा दिया। राजनीति में वोट बैंक से ज्यादा मतदाताओं की मानसिक स्थिति को समझना जरूरी होता है। एक साल से भी ज्यादा समय से कोरोनावायरस को झेल रहे मतदाताओं को वैक्सीन लेने से रोकने की कोई भी कोशिश कभी राजनीति में फायदा देने वाली नहीं हो सकती है।

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