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Ambedkarnagar News: लोकसभा चुनाव से पूर्व विपक्षी दल जातीय समीकरण साधने में जुटे, सपा में शामिल हुए पूर्व बसपा नेता
Ambedkarnagar News: सपा गठबंधन से ओम प्रकाश राजभर के अलग होकर बीजेपी के साथ जाने के बाद अब अखिलेश ने कभी बसपा के बड़े नेता रहे दो प्रमुख नेताओं के सहारे अपनी सियासत साधने में जुटे हुए हैं।
Ambedkarnagar News: सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश ने बंगलौर में आयोजित विपक्षी दलों की बैठक में पूर्व मंत्री लालजी वर्मा और राम अचल राजभर को शामिल करा कर यह संदेश दे दिया है कि कुर्मी और राजभर वोटों पर उनकी पैनी नजर है। अब इन दो जातियों के मतदाताओं को साधने में इनकी बड़ी भूमिका होगी। 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर यूपी की राजनीति काफी अहम मानी जा रही है। यूपी की प्रमुख विपक्षी दल समाजवादी पार्टी के मुखिया पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने यूपी की सियासत के लिए जातीय समीकरणों को साधने में जुट गए हैं। सपा गठबंधन से ओम प्रकाश राजभर के अलग होकर बीजेपी के साथ जाने के बाद अब अखिलेश ने कभी बसपा के बड़े नेता रहे दो प्रमुख नेताओं के सहारे अपनी सियासत साधने में जुटे हुए हैं।
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अखिलेश ने अपना दल की अनुप्रिया पटेल और सुभासपा के ओम प्रकाश राजभर का तोड़ खोज लिया है। अखिलेश यादव राम अचल राजभर व लालजी वर्मा को अनुप्रिया पटेल व ओम प्रकाश के काट के रूप में देख रहे हैं और इन दो नेताओं के सहारे कुर्मी व राजभर वोटों को साधने के फिराक में हैं। 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर विपक्षी एकता को मजबूत करने के लिए जहां कांग्रेस सक्रिय है। वहीं सपा अपने जातीय कुनबे को मजबूत करने में लगी है। ओमप्रकाश राजभर जब से भाजपा खेमे के साथ गए हैं तभी से यह माना जा रहा है कि पूर्वांचल की सियासत में भाजपा मजबूत होगी, लेकिन राजनीतिक विषेशज्ञों की मानें तो अखिलेश यादव ने अब इसका विकल्प भी मिल गया है।
अब यही दोनों नेता सपा के रणनीतिकार बन गए हैं। लखनऊ की सड़कों पर अखिलेश लालजी का हाथ पकड़ कर सड़क पर निकलना या फिर विपक्ष की बैठक में राहुल गांधी के साथ इन दो नेताओं की तस्वीर सामने आना यह इस बात का परिचायक है कि सपा की सियासत में इनका कद बढ़ रहा है। वैसे भी पूर्वांचल में राजभर और कुर्मी मतदाताओं की संख्या ज्यादा है। अनुप्रिया पटेल और ओमप्रकाश राजभर भाजपा के साथ हैं । ओमप्रकाश द्वारा सपा गठबंधन छोड़ने के बाद से ही यह माना जा रहा था कि अखिलेश जल्द इनका विकल्प खोजेंगे, ऐसे में लालजी वर्मा और ओमप्रकाश राजभर का अपने जाति में जो सियासी कद है उससे सपा का फायदा हो सकता है।
पूर्व मंत्री लालजी वर्मा और राम अचल राजभर दोनों बसपा के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं। एक दौर था जब बसपा सुप्रीमो इन दो नेताओं पर आंख मूंद कर भरोसा करती थीं। ऐसा माना जाता है कि इन दोनों नेताओं ने बसपा प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए पूरे प्रदेश में अपनी एक अलग टीम खड़ी कर ली थी और अपने-अपने जाति के वोटों पर इनकी अच्छी पकड़ बना ली है।