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वैज्ञानिक, नदियों में बढ़ रहे प्रदूषण को रोकने का मार्ग खोजें: केसरीनाथ त्रिपाठी

इस अवसर पर मुख्य अतिथि पंडित केसरीनाथ त्रिपाठी ने कहां की हमारी सभ्यता का विकास मठों मंदिरों का निर्माण व्यापार का संचालन शहरों की स्थापना प्रवाहित नदियों के किनारों से हुआ है। नदियों का संरक्षण आज समय की मांग है।

SK Gautam
Published on: 6 Dec 2019 1:42 PM GMT
वैज्ञानिक, नदियों में बढ़ रहे प्रदूषण को रोकने का मार्ग खोजें: केसरीनाथ त्रिपाठी
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चित्रकूट: आज मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्री राम की वनवास स्थली चित्रकूट धाम में नदी विकास एवं जल संसाधन के संरक्षण एवं प्रबंधन विषय को लेकर देश के जाने-माने पर्यावरणविद् इतिहास, भूगोल प्रशासनिक अधिकारियों और राजनेताओं ने जल जंगल और जमीन को प्रकृति के दिन बताते हुए इसके संरक्षण और संवर्धन की सामूहिक पैरवी की।

महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय के नेतृत्व क्षमता सभागार में आयोजित दो दिवसीय इस कार्यक्रम का उद्घाटन पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल पंडित केसरीनाथ त्रिपाठी ने किया।

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वैज्ञानिक नदियों में बढ़ रहे प्रदूषण को रोकने का मार्ग खोजें : पूर्व राज्यपाल केसरीनाथ त्रिपाठी

विधायक इंजीनियर ने आंसू चतुर्वेदी विशिष्ट अतिथि के रुप में सम्मिलित हुए। शिक्षाविद और वैज्ञानिक अतिथियों के रूप में भारतीय सेना से सेवानिवृत्त जनरल आर.एन सिंह, जेआर दिव्यांग विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफ़ेसर योगेश चंद्र दुबे जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के डॉक्टर राजेश अस्थाना, टाइगर मुंबई के डॉक्टर के के मिश्रा बायोवेद इलाहाबाद के निदेशक डॉ बीके द्विवेदी फैंस दिल्ली के संगठन सचिव गोलोक बिहारी आदि प्रमुख रूप से मौजूद रहे। अध्यक्षता प्रभारी कुलपति प्रोफ़ेसर इंद्र प्रसाद त्रिपाठी ने की।

कार्यक्रम संयोजन पर्यावरणविद एवं पशु वैज्ञानिक डॉ उमेश कुमार रहे। प्रमुख संतों के रूप में मदन दास जी महाराज (चित्रकूट) एवं प्रभाकर जी महाराज (प्रयाग)रहे।

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इस अवसर पर मुख्य अतिथि पंडित केसरीनाथ त्रिपाठी ने कहां की हमारी सभ्यता का विकास मठों मंदिरों का निर्माण व्यापार का संचालन शहरों की स्थापना प्रवाहित नदियों के किनारों से हुआ है। नदियों का संरक्षण आज समय की मांग है। यदि हमने नदियों के प्रवाह को बढ़ाकर नदियों में जमे शिल्ड का समाप्त करने का उपक्रम नहीं किया तो हमारे सामने मानव जीवन को लेकर अनेक संकट खड़े हो जाएंगे।

इतिहास के अनेक उदाहरणों का सहारा लेते हुए कहा कि हमारे देश में जल की कमी नहीं है आवश्यकता है केवल उसके समुचित उपयोग की। मुझे विश्वास है कि नदियों के बढ़ रहे प्रदूषण को रोकने का मार्ग खोजने में यह संगोष्ठी सफल होगी।

युवा इस दिशा में व्यावहारिक संसाधन बन सकते हैं

विशिष्ट अतिथि विधायक नीलांशु चतुर्वेदी ने कहा कि आज जल संरक्षण के लिए अनेक स्तर पर बातें की जाती है जब की आवश्यकता है योजनाओं के वास्तविक क्रियान्वयन की। युवा इस दिशा में व्यावहारिक संसाधन बन सकते हैं।

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कार्यक्रम का प्रारंभ विद्यादायिनी मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण दीप प्रज्वलन और सरस्वती वंदना से हुआ। कृषि संकाय के अधिष्ठाता डॉ डीपी राय ने स्वागत उद्बोधन किया।

पॉलिटरी फार्मिंग पर किताब का विमोचन

इस अवसर पर अतिथि गणों ने स्मारिका,रिवर कंजर्वेशन डेवलपमेंट एंड इट्स मैनेजमेंट और डॉ उमेश शुक्ला द्वारा रचित पॉलिटरी फार्मिंग किताब का विमोचन पूर्व राज्यपाल केसरीनाथ त्रिपाठी द्वारा किया गया। संचालन डॉक्टर पावन सिरोठिया ने किया धन्यवाद ज्ञापन डॉ उमेश शुक्ला ने किया।

कार्यक्रम में मुख्य रूप से, पूर्व राज्यपाल केसरीनाथ त्रिपाठी, प्रभारी कुलपति इंद्र प्रसाद त्रिपाठी, डॉक्टर के के मिश्रा, महंत मदन गोपाल दास, विधायक इंजीनियर नीलांशु चतुर्वेदी, पावन सिरोठिया , डॉ बीके द्विवेदी, लेफ्टिनेंट जनरल आर एन सिंह सेवानिवृत्त , गोलोक बिहारी राय, डॉ राजेश अस्थाना, कुदर उनिशा हैदराबाद विश्वविद्यालय, वर्णिका, सुनील मित्तल, राजेश कुमार

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