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प्रधानमंत्री व राज्यों के मुख्यमंत्रियों को ज्ञापन भेज कर की भत्ता कटौती वापस लेने की मांग
राज्य कर्मचारियों के भत्तों की कटौती के विरोध में आज देशभर के केंद्रीय एवं राज्य के कर्मचारियों ने काला फीता बांधकर सांकेतिक विरोध प्रकट किया तथा प्रधानमंत्री और राज्यों के मुख्यमंत्रियों को ज्ञापन भेजकर मांग की है।
लखनऊ: राज्य कर्मचारियों के भत्तों की कटौती के विरोध में आज देशभर के केंद्रीय एवं राज्य के कर्मचारियों ने काला फीता बांधकर सांकेतिक विरोध प्रकट किया तथा प्रधानमंत्री और राज्यों के मुख्यमंत्रियों को ज्ञापन भेजकर मांग की है कि भत्तों की कटौती को वापस किया जाए।
इप्सेफ के राष्ट्रीय अध्यक्ष वीपी मिश्र ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, उत्तराखंड, बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ, राजस्थान, गुजरात, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, कर्नाटक में कर्मचारियों के विरोध का विशेष प्रभाव रहने का दावां किया है। उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश के लखनऊ सहित 75 जनपदों में व्यापक असर रहा, क्योंकि यहां सभी भत्ते समाप्त कर दिए गए हैं।
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मिश्र ने कहा कि कोरोना-19 की बीमारी से जूझ रहे मरीजों की देखरेख में स्वास्थ्य विभाग के डॉक्टर, नर्सेस, पैरामेडिकल स्टाफ, वार्ड बॉय एवं अन्य सफाई कर्मचारी जान पर खेलकर मरीजों की सेवा में लगे हैं साथ ही अन्य विभागों के कर्मचारी भी अपनी सेवाएं अनेकों प्रकार से दे रहे हैं। लाकडाउन में बढ़ती महंगाई से भी उनका परिवार संकट में है। ऐसी परिस्थिति में उन्हें पुरस्कार देने के बजाय भत्तों की कटौती करना तथा बेरोजगार मजदूरों को रोजगार देने की नितांत आवश्यकता है। विकट परिस्थिति के बावजूद कर्मचारी अपनी सेवाएं दे रहे हैं और आगे भी देते रहेंगे।
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इप्सेफ के राष्ट्रीय सचिव अतुल मिश्रा ने बताया कि परिषद के सम्बद्ध संगठन के प्रांतीय पदाधिकारियों ने बलरामपुर चिकित्सालय में एकत्रित होकर काला फीता बांधकर विरोध दर्ज कराते हुए कार्यक्रम सम्पन्न कराया। उन्होंने कहा कि कर्मचारियों में अत्यंत आक्रोश व्याप्त है कोरोना जैसी महामारी से लड़ने में प्रदेश का हर कर्मचारी जी जान से लगा हुआ है अपनी जान की परवाह नहीं कर रहा है कर्मचारी दिन रात एक कर 24 घंटे सेवाएं दे रहे हैं। लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा उन्हें पुरस्कृत और सम्मानित करने के स्थान पर उनका महंगाई भत्ता व 06 भत्तों को स्थगित करने के बाद कुछ ही दिन बाद समाप्त करने का निर्णय निश्चित रूप से गरीब कर्मचारियों के प्रति सरकार का रुख नकारात्मक सिद्ध हो रहा है भत्तों की कटौती निश्चित ही अत्यंत पीड़ादायक है, कर्मचारी स्वयं को अपमानित महसूस कर रहे है।